मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है और यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
यह व्रत विशेष रूप से मनोवांछित फलों की प्राप्ति, पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
अप्रैल 2025 की मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि यह वैशाख माह में आती है, जो अपने आप में धार्मिक दृष्टि से बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
इस लेख में आप मासिक शिवरात्रि की तिथि, व्रत विधि, पूजा नियम, ज्योतिषीय महत्व, उपाय और अन्य आवश्यक जानकारी जानेंगे।
मासिक शिवरात्रि क्या है और इसका महत्व
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक मासिक त्योहार है जो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आता है।
यह व्रत शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी है और इसे आध्यात्मिक शुद्धि का सबसे अच्छा माध्यम माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि में किया गया व्रत, उपवास और रात्रि जागरण साधक को आत्मविश्वास, संयम और स्थिरता प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने और रात्रि में शिव की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संतान, सुखी वैवाहिक जीवन या मानसिक शांति की कामना रखने वालों के लिए यह व्रत विशेष शुभ है।
यह दिन शिव को समझने और शिव भाव में लीन होने का दिव्य अवसर है।

अप्रैल 2025 की मासिक शिवरात्रि: तिथि और मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 अप्रैल को प्रातः 08:27 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 27 अप्रैल को प्रातः 04:49 बजे समाप्त होगी।
सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसके लिए 26 अप्रैल को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात्रि जागरण करके शिव का अभिषेक करते हैं, उन्हें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि पर व्रत की विधि
इस व्रत की शुरुआत सुबह स्नान करके शुद्ध मन से भगवान शिव को प्रणाम करके की जाती है।
व्रत करने वाला व्यक्ति संकल्प लेकर पूरे दिन व्रत रखता है – वह फलाहार या निर्जल व्रत कर सकता है।
पूरे दिन भगवान शिव का नाम जपते हुए शिव चालीसा, रुद्राष्टक आदि का पाठ किया जाता है।
रात में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक किया जाता है।
उसके बाद बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, अक्षत, चंदन और धूपबत्ती चढ़ाई जाती है।
रात में जागरण करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
अगली सुबह ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें और व्रत खोलें।
मासिक शिवरात्रि पर ध्यान रखने योग्य बातें
इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
मन, वाणी और कर्म में पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन क्रोध, झूठ, निंदा, विवाद और तमोगुणी विचारों से बचना चाहिए।
तामसिक भोजन, प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा से बचें। घर में शुद्ध वातावरण बनाए रखें, शुद्ध वस्त्र पहनें और शिव मंत्रों का जाप करते रहें।
पूजा में त्रिफल (3 पत्ते) के रूप में बेलपत्र चढ़ाएं, यह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस दिन तुलसी का प्रयोग वर्जित है।
शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
संयम और भक्ति के साथ किया गया व्रत शिव कृपा के द्वार खोलता है।

मासिक शिवरात्रि का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष में शिवरात्रि का संबंध चंद्रमा और तांत्रिक साधनाओं से है।
चतुर्दशी तिथि चंद्रमा की कमजोर स्थिति को दर्शाती है और भगवान शिव चंद्रमा को धारण करते हैं।
इसलिए इस दिन शिव की पूजा करने से चंद्र दोष, मानसिक तनाव, भ्रम, अस्थिरता आदि से मुक्ति मिलती है।
खासकर जिनकी कुंडली में चंद्रमा, शनि, राहु या केतु पीड़ित हैं, उन्हें इस दिन शिव की पूजा करनी चाहिए।
यह तिथि साधना, मंत्र सिद्धि, ध्यान और तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए भी शुभ मानी जाती है।
इस दिन किए गए उपाय शीघ्र फल देते हैं और व्यक्ति को आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
मासिक शिवरात्रि पर किए जाने वाले विशेष उपाय
- शिवलिंग पर काले तिल और जल चढ़ाने से शनि दोष शांत होता है।
- केसर मिले दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें, इससे विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- बेलपत्र पर ‘राम’ लिखकर चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रात में दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं – नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- भगवान शिव को सफेद फूल और चावल चढ़ाएं – इससे चंद्र संबंधी दोषों से मुक्ति मिलती है।
- रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें – इससे रोग और शोक से मुक्ति मिलती है।
शिवरात्रि और मानसिक शांति
यह मासिक शिवरात्रि न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि मानसिक शुद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का दिन भी है।
शिव को ‘योगेश्वर’ कहा जाता है और वे ध्यान के सर्वोच्च प्रतीक भी हैं।
इस दिन ध्यान और योग करने से मानसिक स्थिरता और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।
रोजमर्रा की भागदौड़, तनाव और चिंता से घिरे लोगों के लिए मासिक शिवरात्रि आत्मनिरीक्षण और मन की शुद्धि का सुनहरा अवसर है।
इस दिन ध्यान करते हुए ‘शिवोहम’ का जाप करना विशेष लाभकारी होता है।
यह ध्यान शिव तत्व से जुड़ने, आत्मा की शक्ति को पहचानने और आंतरिक मन को शांति दिलाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
मासिक शिवरात्रि और वैवाहिक सुख
यह व्रत विवाहित लोगों और विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए बहुत फलदायी है।
जिन दंपत्तियों के बीच तनाव या मतभेद है, उन्हें इस दिन शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा करनी चाहिए।
इससे दांपत्य जीवन में प्रेम, सद्भाव और विश्वास बढ़ता है।
अविवाहित लड़कियां इस दिन व्रत रखकर शिव से योग्य वर की प्रार्थना करती हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
शिव को एक आदर्श पति और गृहस्थ के रूप में भी पूजा जाता है।
इसलिए मासिक शिवरात्रि का व्रत पति-पत्नी के बीच संबंधों को मजबूत करने और दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने में सहायक है।

शिवरात्रि का सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलू
शिवरात्रि केवल व्यक्तिगत साधना नहीं है, बल्कि समाज को संयम, सहनशीलता और त्याग का संदेश देने वाला पर्व है।
इस दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन, सामूहिक पूजा और शिव पार्वती विवाह का आयोजन किया जाता है, जिससे सामाजिक समरसता और आध्यात्मिकता का माहौल बनता है।
यह पर्व हमें भौतिकवाद से ऊपर उठकर आत्मा के स्तर पर जीने की प्रेरणा देता है।
सामूहिक रुद्राभिषेक, यज्ञ, कथा श्रवण और प्रवचन जैसी गतिविधियां जन-जन को धर्म, ध्यान और सेवा से जोड़ती हैं।
शिवरात्रि सामाजिक जागरूकता और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी बन रही है।
निष्कर्ष
अप्रैल 2025 की मासिक शिवरात्रि एक शुभ अवसर है, जब साधक भगवान शिव की कृपा से आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक स्थिरता और पवित्रता प्राप्त कर सकता है।
यह पर्व संयम, भक्ति और ध्यान का प्रतीक है, जो जीवन को दिशा और दिव्यता प्रदान करता है।
व्रत, पूजन और जागरण से हम शिव के निकट पहुंचते हैं और सांसारिक बंधनों से मुक्ति की ओर बढ़ते हैं।
यदि इस व्रत को भक्तिभाव और विधिपूर्वक किया जाए तो यह जीवन में शुभता, समृद्धि और शांति लाने में सहायक सिद्ध होता है।