भगवान शिव के ताण्डव नृत्य का वर्णन करने वाला शिव तांडव स्त्रोत भगवान शिव की महाशक्ति और महिमा को दर्शाता है।
इस स्तोत्र का रचयिता रावण था और यह भगवान शिव की प्रशंसा करता है।
इसके पाठ से मानसिक स्थिरता, आंतरिक ऊर्जा और आत्मिक समृद्धि मिलती है। यह स्तोत्र जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में सहायक है और भगवान शिव की अनुग्रह प्राप्त करने का एक माध्यम है।
शिव ताण्डव स्तोत्र का नियमित अध्ययन भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, सुख-शांति और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

शिव तांडव स्त्रोत
शिव तांडव स्त्रोत
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम् ॥१॥
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशंपरिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना । विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतंयः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तांलक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
शिव तांडव स्त्रोत की रचना
शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना रावण द्वारा की गई थी।
रावण एक प्रख्यात भक्त और विद्वान थे जिन्होंने भगवान शिव की महिमा का उल्लेख करने के लिए इसे रचा था।
यह स्तोत्र भगवान शिव के क्रूर और शक्तिशाली रूप को दर्शाता है जिसे उनका ताण्डव नृत्य प्रतिपादित करता है।
रावण ने इसे भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और आदर्शों को व्यक्त करने के लिए रचा था। यह स्तोत्र भगवान शिव की शक्ति और महिमा को दर्शाता है।
इसमें भगवान शिव के उग्र रूप, ताण्डव नृत्य और अद्वितीय कार्यों का विवेचन किया गया है।
इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में मानसिक शांति और समृद्धि आती है।
कब और कैसे करें शिव तांडव स्त्रोत का पाठ?
कब करें:
- शिव जी के दिन सोमवार को शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से फायदेमंद होता है।
- महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ बहुत ही शुभ माना जाता है।
- रात्रि के समय, खासकर रात्रि के अंतिम पहर (प्रभातकाल से पहले) में इसका पाठ करना प्रभावी होता है।
- सुबह का समय भी इस पाठ के लिए सही है, जब मौसम शांत हो।
कैसे करें:
शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के लिए निम्नलिखित बातो का विशेष रूप से ध्यान दें:-
- शुद्धि स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति के सामने, आत्मियता और आदर के साथ बैठें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें और फिर भगवान शिव का तांडव स्तोत्र पढ़ें।
- इसे 11 बार या 108 बार जपने का प्रयास करें।
- ध्यान रखें कि जब आप पाठ कर रहे हों तो आपका मन भगवान शिव में लगा रहे और आपका विश्वास बना रहे।
- पाठ के बाद भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।
इस प्रकार, सही समय और पावित्र्य के साथ भगवान शिव का तांडव स्तोत्र पाठ करने से आपको मानसिक शांति, आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है।

शिव तांडव स्त्रोत पाठ के लाभ
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से विभिन्न प्रकार के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इस स्तोत्र में भगवान शिव का क्रोधी और प्रबल रूप प्रकट होता है, जिससे नियमित पाठ करने से निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं:
- मानसिक शांति:
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकता है और शांति की अनुभूति कराता है।
यह मानसिक स्थिरता देता है और चिंता को दूर करने में मदद कर सकता है।
- आध्यात्मिक उन्नति:
यह गान आत्मिक पवित्रता और जागरूकता को बढ़ाता है।
इससे इंसान को अपने आत्मा और भगवान शिव के बीच गहरा संबंध मिलता है।
- ऊर्जा और प्रेरणा:
शिव ताण्डव स्तोत्र में भगवान शिव के ताण्डव नृत्य का वर्णन है, जो एक अत्यधिक ऊर्जावान रूप को दर्शाता है।
इस स्त्रोत को पढ़ने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और पराक्रम का विकास होता है।
- दुखों से छुटकारा:
यह मंत्र जीवन में आने वाली समस्याओं और दुखों से छुटकारा पाने में मददगार माना जाता है। यदि इसे नियमित तोर पर बोला जाता है तो जीवन में खुशियां और समृद्धि आती है।
- महादेव की कृपा:
शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का मुख्य तरीका है। इससे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
- देह और मन की शुद्धि:
यह मंत्र शारीरिक और मानसिक पवित्रता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति का जीवन अधिक संतुलित और सुखद होता है।
- भक्ति का विकास:
शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाता है, जिससे भक्त का जीवन आध्यात्मिक दृष्टि से प्रगति करता है।

निष्कर्ष
शिव तांडव स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और तेजस्वी स्तोत्र है।
यह भगवान शिव की उच्च महिमा, ऊर्जा और नृत्य का वर्णन करता है।
इस पाठ से मानसिक शांति, आध्यात्मिक विकास और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
यह भक्त को भगवान शिव की अनुग्रह प्राप्त करने का एक उपाय है, जो जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।
नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मकता कम होती है।
भक्त को मानसिक स्थिरता, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
इस प्रकार, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भक्त के जीवन में आध्यात्मिक विकास, शांति और सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक शक्तिशाली उपाय है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
शिव ताण्डव स्तोत्र के सार को समझना कितना आवश्यक है?
हाँ, इसे समझकर पढ़ना बहुत प्रभावशाली होता है। इससे व्यक्ति को भगवान शिव की महिमा और ताण्डव नृत्य की शक्ति का सही अहसास होता है।
क्या शिव ताण्डव स्तोत्र का उच्चारण शिव के दर्शन के लिए महत्वपूर्ण है?
शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करना शिव के दर्शन के लिए अनिवार्य नहीं है, परन्तु यह एक अत्यधिक प्रभावशाली उपाय है जो उनकी अनुग्रह प्राप्ति में मदद कर सकता है। यह भक्त के जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक शांति लेकर आ सकता है।
क्या सभी को शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए?
हाँ, शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ सभी भक्तों के लिए उपयुक्त है। यह भगवान शिव के प्रति अभिवादन और आस्था को दर्शाता है।लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और मन से करने पर ही फल मिलते हैं।
शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ कितनी बार किया जाना चाहिए?
इसे 11 बार या 108 बार जपने से विशेष प्राप्ति होती है। हालांकि, इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ किसी भी संख्या में वाचन किया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए:- शिव तांडव स्त्रोत का सार
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