महेश नवमी भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक विशेष त्यौहार है।
यह त्यौहार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से माहेश्वरी समुदाय के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
महेश नवमी के दिन, भक्त परिवार की उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि के लिए भगवान शिव से व्रत, पूजा और प्रार्थना करते हैं।
यह दिन भगवान महेश और देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शुभ अवसर माना जाता है।
महेश नवमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
महेश नवमी 2025 में 04 जून को मनाई जाएगी।
नवमी तिथि की शुरुआत: 03 जून को रात 9:56 बजे
नवमी तिथि का अंत: 04 जून को रात 11:54 बजे
त्योहार की तिथि: 04 जून (उदय तिथि के अनुसार)
सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है, इसलिए यह त्यौहार 04 जून को ही मनाया जाएगा।
इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

महेश नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
माहेश्वरी समुदाय में महेश नवमी का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माहेश्वरी समुदाय की रचना की थी, इसलिए इस दिन को इस समुदाय का स्थापना दिवस भी माना जाता है।
धार्मिक दृष्टि से यह दिन वैवाहिक सुख, पारिवारिक समृद्धि, धार्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुत उपयुक्त है।
महिलाएं विशेष रूप से इस दिन शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा करके अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थायित्व की कामना करती हैं।
वहीं पुरुष वर्ग व्रत और पूजा करके अपने कुलदेवता की पूजा करता है।
व्रत रखने की विधि
जो भक्त इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें निम्न विधि का पालन करना चाहिए:
व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्र व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन केवल फलाहार करें या निर्जल व्रत (अपनी क्षमता के अनुसार) रखें।
पूरे दिन सात्विकता बनाए रखें और संयम से व्यवहार करें।
दिन में काम से काम 108 बार भगवान शिव के “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
शाम की पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
अगले दिन व्रत तोड़ें और किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं।
पूजा विधि: भगवान महेश और माता पार्वती की पूजा
महेश नवमी पर निम्न तरीके से पूजा करें:
पूजा स्थल को साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) से अभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, चंदन, अक्षत, भस्म चढ़ाएं।
माता पार्वती को लाल चुनरी, सिंदूर, चूड़ियां जैसी सुहाग की वस्तुएं चढ़ाएं।
शिव पंचाक्षरी मंत्र “ओम नम: शिवाय” और देवी मंत्र “ओम ह्रीं नम: पर्वतायै” का जाप करें।
अंत में आरती और शिव चालीसा का पाठ करें।
व्रत रखने वालों के लिए विशेष निर्देश
व्रत करने वाले को पूरे दिन पवित्रता, सात्विकता और धार्मिक आचरण बनाए रखना चाहिए।
किसी से कटु वचन न बोलें और क्रोध से बचें।
व्रत रखने के दौरान पूरे दिन शिव-पार्वती मंत्रों का जाप और ध्यान करें।
केवल फल, दूध, शर्बत, मेवे आदि का सेवन करें, अनाज और नमक से परहेज करें।
पूरे दिन कथा, पाठ, ध्यान, जप आदि धार्मिक क्रियाकलापों में संलग्न रहें।
रात में शिव स्तोत्र या शिवपुराण का पाठ करके सोना शुभ होता है।
ध्यान देने योग्य बातें
पूजा और व्रत में पूरी आस्था और पवित्रता रखें।
व्रत रखने से पहले स्वास्थ्य का ध्यान रखें, अगर कोई बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री शुद्ध और साफ होनी चाहिए।
गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या अस्वस्थ व्यक्ति फलाहार व्रत रख सकते हैं।
इस दिन शराब, मांस, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक पदार्थों से पूरी तरह परहेज करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और कोई भी अपवित्र आचरण न करें।
परिवार के सदस्यों के साथ सामूहिक पूजा करना शुभ होता है।

सामाजिक और पारिवारिक परिप्रेक्ष्य
महेश नवमी न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक एकता और पारिवारिक प्रेम का भी प्रतीक है।
इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा करते हैं, जिससे आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
माहेश्वरी समाज इस दिन को एक सामाजिक उत्सव के रूप में मनाता है, जो युवा पीढ़ी को उनकी परंपराओं से भी जोड़ता है।
सामूहिक आयोजन, भोजन वितरण, सेवा कार्य और धार्मिक आयोजन समाज में सहयोग और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं।
निष्कर्ष
महेश नवमी एक बहुत ही पवित्र और शुभ दिन है जो भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
यह दिन आत्म-शुद्धि, परिवार कल्याण, सामाजिक सद्भाव और धार्मिक भक्ति का प्रतीक है।
व्रत और पूजा-पाठ से व्यक्ति को न केवल अपने जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि भगवान महेश की कृपा से दुखों से मुक्ति और सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है।
महेश नवमी के अवसर पर जो 2025 में 04 जून को मनाई जाएगी, सभी भक्तों को इस दिव्य दिन का लाभ अवश्य उठाना चाहिए।