निर्जला एकादशी 2023 में कब है?
निर्जला एकादशी जेष्ठ मास शुक्ल पक्ष की पढ़ने वाली एकादशी को कहा जाता है| इस एकादशी का व्रत धारण करने से व्यक्ति जन्म जन्मांतर के कष्टों से मुक्त हो जाता है तथा तथा मृत्यु पर्यंत श्री हरि विष्णु के धाम में स्थान पाता है इस इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 21 मई 2023 को धारण करना श्रेष्ठ माना जाएगा|
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त 2023
निर्जला एकादशी तिथि प्रारंभ 30 मई मंगलवार को दोपहर 1:09 से तथा एकादशी समाप्त हो रही है 31 मई दोपहर 1:00 बज कर 43 मिनट पर उदया तिथि के अनुसार 31 मई को एकादशी का व्रत रखना श्रेष्ठ माना जाएगा|
निर्जला एकादशी का महत्व
पद्मपुराण में निर्जला एकादशी के महत्व के बारे में बताया गया है कि यदि व्यक्ति साल में पढ़ने वाली 24 एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ है तो वह जेष्ठ मास शुक्ल पक्ष की पढ़ने वाली निर्जला एकादशी का व्रत धारण करके पूरे साल की एकादशी व्रत का पुण्य फल प्राप्त कर सकता है इस एकादशी को पांडू एकादशी के नाम से भी जाना जाता है पांचो पांडव में से चारों पांडवों एकादशी का व्रत धारण करते थे परंतु भीम के पेट में ब्रिक नामक अग्नि प्रज्वलित होने के कारण वह किसी भी प्रकार का व्रत धारण नहीं कर पा रहे थे अपने गुरु के आज्ञा और आदेशानुसार उन्होंने निर्जला एकादशी का व्रत धारण किया तथा संपूर्ण एकादशीओं का फल प्राप्त किया उनकी इस कठिन तपस्या के कारण इस एकादशी का भीमसेनी एकादशी भी पड़ा|
निर्जला एकादशी व्रत का नियम
निर्जला एकादशी के 1 दिन पूर्व अर्थात दशमी के दिन आपको सूर्योदय से पूर्व भोजन कर लेना है तथा उसके पश्चात पूरी रात्रि मुंह में आने नहीं डालना है जल फल दूध इत्यादि का सेवन कर सकते हैं परंतु सूर्यास्त के बाद आपको किसी भी प्रकार का भोजन नहीं ग्रहण करना है तथा दशमी तिथि में ब्रह्मचर्य का पालन करना है निंदा चोरी झूठ कपट इत्यादि से बचना है तभी जाकर इस एकादशी का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सकता है|
निर्जला एकादशी पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दिन सुबह सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में जागरण करने के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की फोटो मूर्ति या प्रतिमा का पूजन किया जाता हैl पूजन के लिए पंचामृत की व्यवस्था कर पंचामृत से भगवान विष्णु को स्नान कराएं lपीले पुष्प चढ़ाएं पीले वस्त्र चढ़ाएं पीले फलों का भोग लगाएं तथा उसी समय एकादशी व्रत का संकल्प करें l कि आप इस व्रत को निर्जला धारण करना चाहते हैं यथासंभव भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जप करेंl विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंl गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें lपूरे दिन आप इसी विधि से भगवान का ध्यान अपने मन में करते हुए इस एकादशी की पूजा पूर्ण कर सकते हैं|
निर्जला एकादशी के दिन सुबह सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में जागरण करने के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की फोटो मूर्ति या प्रतिमा का पूजन किया जाता हैl पूजन के लिए पंचामृत की व्यवस्था कर पंचामृत से भगवान विष्णु को स्नान कराएं lपीले पुष्प चढ़ाएं पीले वस्त्र चढ़ाएं पीले फलों का भोग लगाएं तथा उसी समय एकादशी व्रत का संकल्प करें l कि आप इस व्रत को निर्जला धारण करना चाहते हैं यथासंभव भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जप करेंl विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंl गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें lपूरे दिन आप इसी विधि से भगवान का ध्यान अपने मन में करते हुए इस एकादशी की पूजा पूर्ण कर सकते हैं|
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