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Reading: Vaishakhi 2025 | वैसाखी 2025 कब हैं: जाने इतिहास, महत्व व परंपराएं
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Vaishakhi 2025 | वैसाखी 2025 कब हैं: जाने इतिहास, महत्व व परंपराएं

Anushka Mishra
Last updated: April 5, 2025 1:39 pm
By Anushka Mishra
6 Min Read
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भारत विविधताओं से भरा देश है, जहां हर मौसम, महीने और क्षेत्र का अपना एक खास त्योहार होता है। वैसाखी उन त्योहारों में से एक है, जिसे उत्तर भारत में खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

Contents
वैसाखी का ऐतिहासिक महत्वहिंदू धर्म में वैसाखी का महत्वकृषि से जुड़ा महत्ववैसाखी कैसे मनाई जाती है?भारत के विभिन्न राज्यों में वैशाखीआधुनिक समय में वैसाखी का स्वरूपवैसाखी के संदेश और महत्वनिष्कर्ष

2025 में वैसाखी 13 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी।

यह त्योहार सिर्फ एक पारंपरिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आस्था, कृषि पर्व और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम है।

वैसाखी का ऐतिहासिक महत्व

इतिहास की दृष्टि से भी वैसाखी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है।

इसी दिन 1699 ई. में दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

उन्होंने पांच प्यारे (पंज प्यारे) बनाकर सिख धर्म को एक नई दिशा दी।

खालसा पंथ का उद्देश्य अन्याय, अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ एकजुट होना था।

उन्होंने सिखों को “सिंह” और “कौर” की उपाधि देकर उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने, न्याय की रक्षा करने और निडर रहने की प्रेरणा दी।

इस प्रकार वैसाखी सिख धर्म के पुनर्जागरण का दिन बन गया।

वैसाखी

हिंदू धर्म में वैसाखी का महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह दिन वैसाख महीने का पहला दिन होता है, जिसे सौर नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।

कई राज्यों में इसे नए साल के रूप में मनाया जाता है, जैसे बंगाल में “नववर्ष (पोइला बोइशाख)”, असम में “बोहाग बिहू”, केरल में “विशु” और तमिलनाडु में “पुथंडु”।

हिंदू धर्म में इस दिन गंगा में स्नान, दान, जप और भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने की परंपरा है।

उत्तर भारत के कई तीर्थ स्थलों पर विशेष मेलों का आयोजन किया जाता है।

कृषि से जुड़ा महत्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है और वैसाखी रबी की फसलों की कटाई के समय आती है।

किसान इस दिन को धन्यवाद उत्सव के रूप में मनाते हैं।

गेहूं की फसल काटकर भगवान को अर्पित की जाती है और अच्छे उत्पादन के लिए धन्यवाद व्यक्त किया जाता है।

पंजाब और हरियाणा में यह दिन खुशी और नई शुरुआत का प्रतीक है।

खेतों में नाच-गाना और पारंपरिक भोजन के साथ जश्न मनाया जाता है।

भांगड़ा और गिद्दा के साथ-साथ लोकगीत किसानों की मेहनत और खुशी को दर्शाते हैं।

वैसाखी कैसे मनाई जाती है?

  • गुरुद्वारों में विशेष आयोजन:

गुरुद्वारों में अखंड पाठ, शबद कीर्तन, लंगर सेवा और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

सुबह से ही श्रद्धालु गुरुद्वारे में इकट्ठा होते हैं और ‘वाहे गुरु’ का नाम लेते हैं।

  • नगर कीर्तन:

सिख समुदाय नगर कीर्तन के माध्यम से शहर के विभिन्न हिस्सों में झांकियां निकालता है जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सजी हुई पालकी में रखा जाता है।

साथ ही सिख सैनिक (निहंग) पारंपरिक हथियारों का प्रदर्शन करते हैं।

  • पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य:

लोग रंग-बिरंगे पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, पुरुष भांगड़ा करते हैं और महिलाएं गिद्दा करती हैं।

ढोल की थाप के साथ खेतों में उत्सव का माहौल होता है।

  • पकवान और लंगर:

इस दिन घरों और गुरुद्वारों में सरसों का साग, मक्के की रोटी, केसर की खीर, घेवर, लस्सी, छोले-भटूरे जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।

गुरुद्वारों में निशुल्क सामुदायिक भोजन (लंगर) का आयोजन किया जाता है।

भारत के विभिन्न राज्यों में वैशाखी

राज्य स्थानीय नाम विशेषताएं
पंजाबवैशाखीखालसा स्थापना, भंडारा-गिद्दा, गुरूद्वारे
बंगालपोइला बोईशाखबंगाली नववर्ष, खास भोजन, घर की सजावट
असमबोहाग बिहूरोंगाली बिहू नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम
केरलविशुकीन्णी देखने की परंपरा,विशु कंही
तमिलनाडुपुथांडूनववर्ष की शुरुआत, विशेष पूजा
उत्तर भारतवैशाखीगंगा स्नान, मंदिर पूजा, दान -पुण्य

आधुनिक समय में वैसाखी का स्वरूप

वर्तमान समय में वैसाखी का स्वरूप और भी व्यापक हो गया है।

अब यह न केवल पारंपरिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक त्यौहार का रूप भी ले चुका है।

स्कूल, कॉलेज, क्लब और सरकारी संस्थानों में भी वैसाखी उत्सव का आयोजन किया जाता है।

एनआरआई सिख समुदाय विदेशों में गुरुद्वारों में भी वैसाखी का त्यौहार उत्साह के साथ मनाता है।

टेलीविजन और सोशल मीडिया के माध्यम से यह त्यौहार अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना चुका है।

कई फिल्मों और गानों में भी वैसाखी की खुशियों को दर्शाया गया है।

know more about vaishakhi

भंगड़ा

वैसाखी के संदेश और महत्व

धार्मिक एकता का प्रतीक

कर्म और साहस का मार्गदर्शन

किसानों की मेहनत का सम्मान

समाज सेवा और परोपकार की प्रेरणा

नए साल और नई शुरुआत का जश्न

यह त्यौहार हमें बताता है कि मेहनत, भक्ति और विश्वास से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

वैसाखी 2025 केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह आस्था, परंपरा, श्रम और उत्साह का सजीव चित्रण है।

यह दिन हमें अपने इतिहास, मूल्यों और प्रकृति से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है।

आज जब दुनिया तकनीक और व्यस्तता में उलझी हुई है, वैसाखी जैसे त्यौहार हमें जीवन के मूल मूल्यों की ओर लौटने का संदेश देते हैं।

हमें न केवल इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए, बल्कि इसके मूल उद्देश्यों – समानता, सेवा, परिश्रम और समर्पण – को भी अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

also check: Hanuman Jayanti 2025

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ByAnushka Mishra
An enthusiast author at Marg Darshan who holds the proficiency in the fields of Finance, Ethics and Sports.
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