हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन वैशाख अमावस्या को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
यह तिथि धार्मिक, आध्यात्मिक और पितृ दोष निवारण के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण, दान और व्रत का विशेष महत्व है।
वैशाख अमावस्या पर की गई पूजा से पितृ प्रसन्न होते हैं और पापों का नाश होता है।
यह दिन आत्मशुद्धि, ध्यान और पुण्य संचय के लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और विशेष उपाय।
वैशाख अमावस्या 2025 की तिथि और महत्व
अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल को सुबह 04:49 बजे होगी और समापन 28 अप्रैल को देर रात 01:00 बजे होगा
हिंदू धर्म में इस तिथि को बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह गर्मी के शुरुआती चरण में आती है, जब सूर्य उत्तरायण होता है और वातावरण शुद्ध होता है।
इस दिन भगवान विष्णु, पितरों और सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है।
इस दिन व्रत, जप और दान करने वाले लोगों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा यह दिन पितृ तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के लिए भी बहुत शुभ होता है।
मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा कई जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाती है।

पवित्र स्नान और दान का महत्व
वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य मिलता है।
अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद तिल, गुड़, वस्त्र, चावल, सोना, घी, छाता, जूते, चप्पल आदि का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
खास तौर पर ब्राह्मणों, गरीबों, गायों और वृद्धों को दान करने से कई गुना फल मिलता है।
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान अवश्य करना चाहिए।
ऐसा करने से वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पितृ दोष का शमन होता है।
व्रत रखने की विधि
वैशाख अमावस्या पर व्रत रखना विशेष पुण्यदायी होता है।
इस दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें तथा भगवान विष्णु और पितरों का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन सात्विक भोजन करें या निर्जल व्रत रखें।
शाम को दीपदान करें तथा सूर्यास्त के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराना श्रेष्ठ माना गया है।
व्रत रखने से मन शुद्ध होता है तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
व्रत के दौरान मांसाहार, शराब, क्रोध तथा किसी का अपमान करने से बचना चाहिए।
इस दिन यथासंभव जप, ध्यान तथा सत्संग करना अत्यंत लाभकारी होता है।
पितृ तर्पण और पिंडदान
पितरों की आत्मा की शांति के लिए वैशाख अमावस्या पर तर्पण और पिंडदान अवश्य करना चाहिए।
तर्पण के लिए कुशा, तिल, जल तथा गाय के दूध का उपयोग किया जाता है।
पिंडदान में चावल, तिल, घी और गुड़ का उपयोग किया जाता है।
इस अनुष्ठान को सुबह-सुबह किसी नदी या पवित्र जलस्रोत के किनारे करना सबसे अच्छा होता है।
पिंडदान से पूर्वज संतुष्ट होते हैं और आशीर्वाद देते हैं और वंश में सुख-शांति बनी रहती है।
यह दिन उन लोगों के लिए बहुत शुभ है जिनकी कुंडली में पितृ दोष है।
शास्त्रों में कहा गया है कि “पितृ देवो भवः” – इसलिए जीवन में उनका आशीर्वाद बहुत महत्वपूर्ण है।

धार्मिक क्रियाकलाप एवं पूजा विधि
इस दिन भगवान विष्णु, शिव, सूर्य एवं पितरों की विशेष पूजा की जाती है।
घर को गंगाजल से शुद्ध करें तथा पूजा स्थल पर दीपक जलाकर प्रभु का नाम जपें।
विष्णु सहस्रनाम, सूर्य अष्टकम, महामृत्युंजय मंत्र एवं पितृ शांति मंत्रों का जाप करना विशेष लाभकारी होता है।
भगवान को काले तिल, सफेद फूल, घी, गुड़ एवं तुलसी के पत्तों से भोग लगाएं।
घर के मुखिया को परिवार के साथ मिलकर हवन करना चाहिए, जिससे वातावरण शुद्ध होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इस दिन तुलसी जी को जल चढ़ाना, शिवलिंग पर जलाभिषेक करना तथा सूर्य को अर्घ्य देना विशेष पुण्यदायी होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या पर चंद्रमा अदृश्य रहता है, जिसका प्रभाव मानसिक स्थिति पर पड़ता है।
यह दिन ध्यान, साधना एवं आत्मचिंतन के लिए सर्वोत्तम है।
जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष, पितृ दोष या राहु-केतु दोष है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा और उपाय करने चाहिए।
शनिदेव की कृपा पाने के लिए काले तिल का दान करना और नीले कपड़े बांटना शुभ होता है।
राहु-केतु की पीड़ा से मुक्ति के लिए नारियल प्रवाहित करना या किसी पवित्र पुस्तक को धागे में बांधकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाना लाभकारी होता है।
वैशाख अमावस्या पर किए जाने वाले विशेष उपाय
पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और उसकी सात बार परिक्रमा करें।
कौओं, गायों, कुत्तों और जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।
चावल, दूध, तिल, कपड़े और घी का दान करें।
भगवान विष्णु को शंख में जल भरकर चढ़ाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
ये उपाय दुर्भाग्य को दूर करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।
निष्कर्ष
वैशाख अमावस्या एक बहुत ही पवित्र और शुभ तिथि है, जो आत्मशुद्धि, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और मानसिक शांति के लिए सर्वोत्तम अवसर प्रदान करती है।
इस दिन किया गया दान, व्रत और पूजा-पाठ अनंत पुण्यों की प्राप्ति कराता है। पितृ दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह दिन विशेष लाभकारी है।
यदि इस व्रत को श्रद्धा, नियम और आस्था के साथ किया जाए तो जीवन के सभी कष्ट नष्ट हो जाते हैं और शुभता की प्राप्ति होती है।
इस अमावस्या को सकारात्मकता से परिपूर्ण बनाने के लिए धर्म, सेवा और भक्ति का पालन अवश्य करें।
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