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Reading: स्वास्तिक : समृद्धि,सद्भाव और आध्यात्मिक महत्व का पवित्र प्रतीक
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स्वास्तिक : समृद्धि,सद्भाव और आध्यात्मिक महत्व का पवित्र प्रतीक

स्वास्तिक अत्यंत शुभ कारक और मांगलिक चिह्न है। स्वास्तिक का चिन्ह भगवान राम जी और श्री कृष्ण के चरणों में भी था। स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता ही है बाकी यदि साइंटिफिक ढंग से देखें तो कई पॉजिटिव एनर्जी उत्पन्न भी करता है। इसलिए घरों के बाहर प्राचीन काल से स्वास्तिक बनाने की परिपाटी परंपरा चली आ रही है।

Anushka Mishra
Last updated: November 28, 2024 3:58 pm
By Anushka Mishra
6 Min Read
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स्वास्तिक अत्यंत शुभ कारक और मांगलिक चिह्न है। स्वास्तिक का चिन्ह भगवान राम जी और श्री कृष्ण के चरणों में भी था। स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता ही है बाकी यदि साइंटिफिक ढंग से देखें तो कई पॉजिटिव एनर्जी उत्पन्न भी करता है। इसलिए घरों के बाहर प्राचीन काल से स्वास्तिक बनाने की परिपाटी परंपरा चली आ रही है।

Contents
क्या है स्वास्तिक ?स्वास्तिक बनाने की विधि।स्वास्तिक किस चीज से बनाना चाहिए ?कुमकुमचंदनहल्दी और चावल का आटामहत्वपूर्ण बातें

क्या है स्वास्तिक ?


स्वास्तिक अत्यंत प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल प्रत्येक माना जाता रहा है। इसलिए प्रत्येक सुख और कल्याणकारी में सर्वप्रथम स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करने का आदिकाल से नियम है। स्वास्तिक शब्द मूलभूत ‘सु’ और ‘अस्’ धातु से बना है। ‘सु’ का अर्थ है अच्छा, कल्याणकारी, मंगलमय। ‘अस्’ का अर्थ है अस्तित्व,सत्ता। तो स्वास्तिक माने कल्याण की सत्ता, मांगल्य का अस्तित्व।
स्वास्तिक शांति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। सनातन संस्कृति की परंपरा के अनुसार पूजन के अवसरों पर, दिवाली पर्व पर, बहीखाता पूजन में तथा विवाह, नवजात शिशु की छठी तथा अन्य शुभ प्रसंग में व घर तथा मंदिरों के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह कुमकुम से बनाया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि ‘हे प्रभु! हमारा कार्य निर्विघ्न सफल हो और हमारे घर में जो अन्य, वस्त्र, वैभव आदि आए वे पवित्र हो।’

स्वास्तिक बनाने की विधि।


वेदों के अनुसार स्वास्तिक इंद्रदेव, सूर्य देव, गरुड़ देव और बृहस्पति को प्रतिनिधित्व करता है। सबसे पहले स्वास्तिक बनाने के लिए हम ब्रह्म स्थान बनाएंगे- बीच में एक बिंदी रखेंगे। अब इस ब्रह्मस्थान के चारों ओर हम चारों देवों को स्थापित करेंगे- ब्रह्मस्थान के चारों ओर चार बिंदिया रखेंगे। एक बात का अवश्य ध्यान दें की स्वास्तिक हमेशा दक्षिणावर्त (clockwise) बनाएं। अब हम बाकी की चार बिंदिया लगाकर स्वास्तिक का सम प्रमाण बनाएंगे। फिर हम सारी बिंदियों को जोड़ते हुए स्वास्तिक का रूप देंगे। सारी बिंदिया ब्रह्मस्थान की तरफ जाते हुए ही जोडे़। सभी लकीरें एक समान होनी चाहिए। अब स्वास्तिक के अंदर चार बिंदिया लगाये। यह भी दक्षिणावर्त होनी चाहिए। अब बाहर निकली हुई चारों लकीरों पर छोटी नुकीली लकीर खींचे। इन लकीरों से सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है। स्वास्तिक बनाते समय यदि कभी कुछ गलत हो जाए तो एक कपड़े के मदद से आप उसे मिटाकर फिर बना सकते है।
स्वास्तिक बनाने के बाद हमें गणेश जी के परिवार को स्थापित करना है। जिन्हें हम रिद्धि,सिद्धि और शुभ,लाभ मानते हैं। हम स्वास्तिक के दोनों तरफ उससे बड़ी दो-दो लकीरें खींचेंगे। अब हमारा स्वास्तिक तैयार है।

स्वास्तिक

स्वास्तिक किस चीज से बनाना चाहिए ?

कुमकुम

स्वास्तिक को हमें कुमकुम से बनाना चाहिए। कुमकुम में गंगाजल, गोमूत्र और इत्र आदि मिलाकर स्वास्तिक बनाया जाता है। कुमकुम का स्वास्तिक प्रायः पूजा घर में उपयोग किया जाता है। जैसे मान लीजिए हमने कोई कलश रखा हो तो उसके ऊपर हम कुमकुम से स्वास्तिक बना सकते हैं। संत महात्मा जन बताते हैं कि एक सूती कपड़ा लेकर, उसके ऊपर स्वास्तिक बनाकर यदि उसे आसन के नीचे रखकर भजन का पाठ करें तो भजन में अधिक उर्जा उत्पन्न होती है और सात्विकता बढ़ती है। कुमकुम द्वारा अनाज के भंडार पर भी हम लोग स्वास्तिक बना सकते हैं। मुख्य दरवाजे के ऊपर की ओर हम लोग स्वास्तिक कुमकुम के द्वारा बना सकते हैं। स्वास्तिक हम अपने उपकरणो पर भी बना सकते हैं। इससे बुरी नजर का बचाव होता ही है साथ में शुभता भी आती है।

Kumkum

चंदन

स्वास्तिक हम अष्टगंध मिले हुए चंदन से भी बना सकते हैं। यदि आपको किसी देवी देवताओं को स्नान करवाना हो तो आप किसी बर्तन पर अश्वगंधा मिला हुआ चंदन से स्वास्तिक बनाकर,उसपर पर स्नान, अभिषेक आदि करवा सकते हैं।
यदि हम कभी अखंड दिया की स्थापना करें तो जिस प्लेट में हम चावल रखते हैं आसान देने के लिए उस प्लेट में भी हम चंदन से स्वास्तिक बना सकते हैं।

Chandan

हल्दी और चावल का आटा

स्वस्तिक हल्दी और चावल के आटे को गंगाजल,गोमूत्र, इत्र आदि के साथ घोल बनाकर भी बना सकते हैं। यदि आपके पास गंगाजल या गोमूत्र नहीं है तो इनमे में कोई एक से भी आप घोल बना सकते हैं। यदि आपके पास दोनों ही नहीं है तो आप शुद्ध जल का उपयोग कर सकते हैं। यहां आप कोशिश करें की हल्दी पैकेट वाला ना हो। हल्दी शुद्ध होनी चाहिए । इसके लिए आप हल्दी की गांठ ले और उसे पिसवा कर स्वास्तिक कर लिए इस्तेमाल करें। हल्दी और चावल के आटे के मिश्रण से आप दहलीज़ के बाहर दोनों तरफ स्वास्तिक बना सकते हैं। आप चाहे तो शाम के समय दहलीज पर दीपक भी रख सकते हैं, यह लक्ष्मी जी को आकर्षित करता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है और नकारात्मक ऊर्जा को भीतर आने से रोकता है।Haldi

महत्वपूर्ण बातें

  1. यदि आपके घर कोई छोटा बच्चा हो और उसे जल्दी ही नजर लग जाती हो तो जहां वह सोता है वहां आप स्वास्तिक का फोटो रख सकते हैं अथवा आप स्वास्तिक बना भी सकते हैं इससे बच्चों को बुरी नज़र नहीं लगती।
  2. यदि आपको बुरे सपने आते हैं तो भी आप स्वास्तिक बनाकर तकिए के नीचे रखकर सो सकते हैं।
  3. हमें अपने घर के हर कमरे में स्वास्तिक बनाना चाहिए जिससे जब भी इस पर नज़र पड़े तो सकारात्मक ऊर्जा और सात्विक तरंगे बढे़।
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ByAnushka Mishra
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