सूर्य हमारे मूल देवता हैं और सूर्य चालीसा का पाठ विशेष रूप से रविवार के दिन अवश्य करना चाहिए। रविवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और यदि संभव हो, तो नमक का सेवन न करें। साथ ही, सूर्य को जल अर्पित करना भी अत्यंत लाभकारी होता है।
श्री सूर्य चालीसा पढ़ने से सभी वर्गों के लोगों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्य नारायण को देवताओं में सबसे पूजनीय माना जाता है। इसी प्रकार सूर्य चालीसा का भी विशेष महत्व है। आज के इस लेख में हम इस के पाठ से होने वाले लाभों, महत्व, समय और विधि के बारे में जानेंगे।
सूर्य चालीसा का पाठ किन्हें करना चाहिए ?
- आत्मविश्वास की कमी वाले लोग: जो लोग आत्मविश्वास में कमी महसूस करते हैं और समाज में अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाते, उन्हें सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- कमजोर बच्चे: वे बच्चे जो परीक्षा के समय बीमार पड़ जाते हैं या परीक्षा की तैयारी के दौरान अस्वस्थ हो जाते हैं, उनके लिए सूर्य चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है: अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है, तो इस का पाठ करने से सूर्य मजबूत होता है।
सूर्य चालीसा के लाभ
श्री सूर्य चालीसा के पाठ से व्यक्ति को जो लाभ प्राप्त होते हैं, उनके बारे में यहाँ विस्तार से जानेंगे।
- दीर्घायु प्राप्ति: सूर्य चालीसा का पाठ करने से लंबी आयु मिलती है।
- हड्डी और त्वचा रोगों से मुक्ति: इसके पाठ से हड्डी और त्वचा से संबंधित बीमारियां ठीक होती हैं।
- अकाल मृत्यु का भय समाप्त: सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करने से अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है।
- धन और संतान सुख: इससे धन में वृद्धि होती है और संतान का सुख प्राप्त होता है।
- नई विद्या और उच्च शिक्षा में लाभ: सूर्य चालीसा का पाठ उच्च शिक्षा और नई विद्या प्राप्त करने में सहायक होता है।
- अवसाद से मुक्ति: जो लोग अवसाद से जूझ रहे हैं, उनके लिए सूर्य चालीसा का पाठ बहुत लाभकारी होता है।
- शत्रुओं पर विजय – चालीसा के पाठ से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- विद्या पर प्रभाव – सूर्य चालीसा का पाठ विद्यार्थियों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। इससे पढ़ाई में सफलता मिलती है और भाग्य का उदय होता है।
विशेष समय और विधि
- 108 बार पाठ: सूर्य चालीसा का 108 बार पाठ करने से उतना ही फल मिलता है जितना एक माला का जप करने से।
- सूर्य को अर्घ्य और सूर्य चालीसा का पाठ: रोज़ाना सूर्य को अर्घ्य देकर चालीसा का पाठ करने से जीवन में विशेष लाभ मिलता है।
- संक्रांति के समय: साल भर संक्रांति के दिन सूर्य चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी होता है।
सूर्य चालीसा पाठ
श्री रवि हरत हो घोर तम, अगणित किरण पसारी
वंदन करू तब चरणन में, अर्ध्य देऊ जल धारी
सकल सृष्टि के स्वामी हो, सचराचर के नाथ
निसदिन होत तुमसे ही, होवत संध्या प्रभात
जय भगवान सूर्य तम हारी, जय खगेश दिनकर शुभकारी
तुम हो सृष्टि के नेत्र स्वरूपा, त्रिगुण धारी त्रैय वेद स्वरूपा
तुम ही करता पालक संहारक, भुवन चतुदर्श के संचालक
सुंदर बदन चतुर्भुजा धारी, रश्मि रथी तुम गगन विहारी
चक्र शंख अरु श्वेत कमलधर, वरमुद्रा सोहत चोटेकर
शीश मुकुट कुंडल गल माला, चारु तिलक तब भाल विशाला
सप्त अश्व रथ अतिद्रुत गामी, अरुण सारथी गति अविरामी
रक्त वर्ण आभूषण धारक, अतिप्रिय तोहे लाल पदार्थ
सर्वात्मा कहे तुम्हें ऋग्वेदा, मित्र कहे तुमको सब वेदा
पंचदेवों में पूजे जाते, मनवांछित फल साधक पाते
द्वादश नाम जाप उदधारक, रोग शोक अरु कष्ट निवारक
माँ कुंती तब ध्यान लगायों, दानवीर सूत कर्ण सो पायो
राजा युधिष्ठिर तब जस गायों, अक्षय पात्र वो वन में पायो
शस्त्र त्याग अर्जुन अकुरायों, बन आदित्य ह्रदय से पायो
विंध्याचल तब मार्ग में आयो, हाहाकार तिमिर से छायों
मुनि अगस्त्य गिरि गर्व मिटायो, निजटक बल से विंध्य नवायो
मुनि अगस्त्य तब महिमा गाई, सुमिर भये विजयी रघुराई
तोहे विरोक मधुर फल जाना, मुख में लिन्ही तोहे हनुमाना
तब नंदन शनिदेव कहावे, पवन के सूत शनि तीर मिटावे
यज्ञ व्रत स्तुति तुम्हारी किन्ही, भेंट शुक्ल यजुर्वेद की दीन्ही
सूर्यमुखी खरी तर तब रूपा, कृष्ण सुदर्शन भानु स्वरूपा
नमन तोहे ओंकार स्वरूपा, नमन आत्मा अरु काल स्वरूपा
दिग दिगंत तब तेज प्रकशे, उज्ज्वल रूप तुम्ही आकशे
दश दिग्पाल करत तब सुमिरन, अंजली नित्य करत हैं अर्पण
त्रिविध ताप हरता तुम भगवन, ज्ञान ज्योति करता तुम भगवन
सफल बनावे तब आराधन, गायत्री जप सरल है साधन
संध्या त्रिकाल करत जो कोई, पावे कृपा सदा तब वोही
चित शांति सूर्याष्टक देव, व्याधि अपाधि सब हर लेवे
अष्टदल कमल यंत्र शुभकारी, पूजा उपासन तब सुखकारी
माघ मास शुद्धसप्तमी पावन, आरंभ हो तब शुभ व्रत पालन
भानु सप्तमी मंगलकारी, भक्ति दायिनी दोषण हारी
रविवासर जो तुमको ध्यावे, पुत्रादिक सुख वैभव पावे
पाप रूपी पर्वत के विनाशी, व्रज रूप तुम हो अविनाशी
राहू आन तब ग्रास बनावे, ग्रहण सूर्य तोको लग जावे
धर्म दान तप करते है साधक, मिटत राहू तब पीड़ा बाधक
सूर्य देव तब कृपा कीजे, दिर्ध आयू बल बुद्धि दीजे
सूर्य उपासना कर नीत ध्यावे, कुष्ट रोग से मुक्ति पावे
दक्षिण दिशा तोरी गति जावे, दक्षिणायन वोही कहलावे
उत्तर मार्गी तोरो रथ होवे, उत्तरायण तब वो कहलावे
मन अरु वचन कर्म हो पावन, संयम करत भलित आराधन
भरत दास चिंतन करत, घर दिनकर तब ध्यान
रखियों कृपा इस भक्त पे, तुमरी सूर्य भगवान
सावधानी
सूर्य चालीसा का पाठ करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पान का सेवन न करें।
श्री सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक हर क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है।