सोम प्रदोष हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा से जुड़ा हुआ है।
यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, जो अमावस्या (कृष्ण पक्ष) और पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष) दोनों में आता है।
जब यह प्रदोष सोमवार के दिन होता है, तो यह सोम प्रदोष कहा जाता है।
यह विशेष रूप से भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
जनवरी 2025 में सोम प्रदोष 27 जनवरी को सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन को लेकर विशेष धार्मिक मान्यता है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है।
व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सोम प्रदोष का महत्व
“सोम प्रदोष” शब्द का अर्थ है सोमवार की त्रयोदशी तिथि को किया गया विशेष पूजा का समय।
यह दिन खास होता है क्योंकि यह भगवान शिव के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है और इस व्रत से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
प्रदोष काल में पूजा करना बड़ा पवित्र माना जाता है क्योंकि इस समय भगवान शिव की ऊर्जा अधिक होती है और भक्त इस समय में भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
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सोम प्रदोष की पूजा और पूजन विधि
सोम प्रदोष पर, श्रद्धालु भक्त पूरे दिन उपवास पर ध्यान देते हैं और संतान सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं।
यह उपवास दिनभर उपवास करके एवं भगवान शिव के मंत्र जाप करके मनाया जाता है।
इस दिन विशेष पूजन विधियों का अनुसरण किया जाता है:
भगवान शिव का अभिषेक
सोम प्रदोष पर शिवलिंग के स्नान का महत्व अधिक होता है।
शिव भक्त शिवलिंग पर पानी, दूध, मधु, गुलाबजल, तिल, बेलपत्र, और संदल की अर्पण करते हैं।
यह अभिषेक भगवान शिव की अनुग्रह प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
“ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप
आज का प्रमुख वाक्य “ॐ नमः शिवाय” है।
इस मंत्र की जप से मानसिक शांति, पापों का परिहार और भगवान शिव की अनुग्रह प्राप्त होती है।
फूल और बेल पत्र अर्पित करना
बेल पत्र भगवान शिव के लिए प्रिय होता है, इसलिए इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से विशेष लाभ होता है।
भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करना भी प्रभावशाली होता है।
शिव कथा और भजन
इस दिन को और अधिक विशेष बनाने के लिए शिव कथा सुनना या शिव भजन गाना बहुत ही प्रभावशाली होता है।
व्रत का समापन
उपवास का अंत सन्ध्या समय (शाम) में पूजा कर उसे समाप्त किया जाता है।
इसके बाद श्रद्धालु फलाहार से उपवास को समाप्त करते हैं।
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सोम प्रदोष की तिथि और शुभ मुहूर्त
यह व्रत सोमवार को पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहलाता है।
प्रदोष की पूजा मुहूर्त:
27 जनवरी 2025 को शाम 05:56 बजे से रात 08:34 बजे तक प्रदोष का पूजनीय समय है।
सोम प्रदोष व्रत के लाभ
यदि आप सोम प्रदोष का व्रत करते हैं तो आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:-
- पापों से मुक्ति: अगर कोई व्यक्ति इस व्रत का उपासन निभा रहा है, तो उसका अपने पापों से मुक्त होना संभव है और वह भगवान शिव की अनुग्रह प्राप्त कर सकता है।
- धन-समृद्धि की प्राप्ति: इस दिन की उपासना से धन-धान्य की प्राप्ति और समृद्धि की संभावना बनी रहती है।
- स्वास्थ्य लाभ: भगवान शिव की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: सोमवार के प्रदोष के दिन उपासना और पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का अवसर प्राप्त हो सकता है।
सोम प्रदोष के नियम
- सोम प्रदोष के दिन उपवास रखना।
- व्रत से पहले नहाना और शुद्ध कपड़े पहनना।
- भगवान शिव की पूजा करना और शिवलिंग पर अभिषेक करना।
- बेल पत्ते, दूध, पानी, शहद दान करना।
- “ॐ नमः शिवाय” और “महामृत्युंजय मंत्र” का मंत्र जप करना।
- प्रदोष काल में पूजा करना।
- पूजा के बाद प्रसाद लेना।
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निष्कर्ष
यह व्रत भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
इस दिन की पूजा से व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
जनवरी 2025 में, 27 जनवरी को सोम प्रदोष का आयोजन होगा, और इस दिन पूजा करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त की जा सकती है।
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