हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। जब यह व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।
इस व्रत का पुण्य बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत 23 जून 2025 सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करते हैं और रात में व्रत कथा व विशेष नियमों का पालन करते हैं।
तिथि और मुहूर्त
व्रत की तिथि: 23 जून 2025 (सोमवार)
पूजा का शुभ समय: शाम 7:37 से 9:33 बजे तक
इस विशेष समय पर भगवान शिव की पूजा करने से व्रती को अच्छा स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोमवार और त्रयोदशी तिथि दोनों ही भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं।
ऐसे में जब दोनों एक ही दिन मिलते हैं तो यह दिन विशेष पुण्यदायी हो जाता है।
सोम प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं।
मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।

व्रत और पूजा विधि
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जल या फलाहारी व्रत करें।
- पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करें, “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- शाम को (7:37 से 9:33 बजे तक) भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।
- पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भस्म, गंगाजल, दूध, शहद, दही, घी आदि का प्रयोग करें।
- शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें और बेलपत्र चढ़ाएं।
- दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें और भक्ति भाव से ध्यान करें।
- अगली सुबह व्रत तोड़ें और ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दें।
व्रत के नियम
- व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- क्रोध, झूठ, छल और बुरे विचारों से बचना चाहिए।
- लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए।
- पूरे दिन भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।
- रात्रि में शिव चालीसा या शिवाष्टक का पाठ करना शुभ माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत से जुड़े विशेष नियम और सावधानियां
व्रत के दिन जमीन पर सोना श्रेष्ठ माना जाता है। पलंग या गद्दे पर न सोएं।
किसी भी जीव को नुकसान न पहुंचाएं, खासकर चींटियों, कीड़ों या पक्षियों के साथ दयालुता से पेश आएं।
पूजा में लोहे के बर्तन या प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें, तांबे, पीतल या मिट्टी के बर्तन श्रेष्ठ माने जाते हैं।
व्रत काल में मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहें। टीवी, मोबाइल जैसे मनोरंजन से दूर रहें।
व्रत के दौरान अधिक पानी का सेवन न करें, जरूरत के अनुसार ही पानी पिएं (अगर पूरा व्रत रखना संभव न हो)।
ब्राह्मणों, बुजुर्गों और गरीबों की सेवा करने से व्रत और भी प्रभावशाली हो जाता है।
घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, पूजा स्थल को खास तौर पर साफ रखें।
सोम प्रदोष व्रत के लाभ
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
नौकरी, व्यापार और आर्थिक क्षेत्र में तरक्की मिलती है।
दांपत्य जीवन में सुख और प्रेम बना रहता है।
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है। मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुलते हैं।
इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय
- शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से पापों का नाश होता है।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
- शिव पार्वती की संयुक्त पूजा से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
- जरूरतमंदों को वस्त्र, अनाज और दक्षिणा दान करना अत्यंत शुभ होता है।

किसे सोम प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए?
जिनकी कुंडली में चंद्र दोष है।
जिनके विवाह में देरी हो रही है।
जो मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं।
जिनके कार्यों में बार-बार रुकावट आ रही है।
जो शिव के भक्त हैं और उनका आशीर्वाद चाहते हैं।
निष्कर्ष
23 जून 2025 को आने वाला सोम प्रदोष व्रत भक्तों के लिए बहुत ही शुभ अवसर है।
इस दिन अगर श्रद्धा, विश्वास और नियमितता के साथ व्रत और पूजा की जाए तो भगवान शिव की कृपा से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
व्रत के साथ-साथ आत्मशुद्धि, सेवा, दान और शिव नाम का जाप इस दिन को और भी अधिक फलदायी बनाता है।