सोहल सोमवार व्रत शुरू करने के लिए सबसे शुभ और उत्तम महीना सावन का महीना माना जाता है। सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार का व्रत शुरू कर सकते हैं। यदि किसी कारण से सावन के महीने में आप 16 सोमवार का व्रत प्रारंभ नहीं कर सकते हैं तो कार्तिक तथा अगहन मास भी 16 सोमवार का व्रत प्रारंभ कर सकते हैं।
16 सोमवार व्रत करने के फायदे | Solah Somwar Vrat Ke Fayde
16 सोमवार व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमज़ोर हो तो वह धीरे-धीरे मजबूत होने लगती है तथा व्यक्ति डिप्रेशन या किसी भी मानसिक समस्या से पीड़ित हो तो उसे भी 16 का व्रत करने से ऐसे समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मन वांछित कामना के लिए भी 16 सोमवार का व्रत किया जाता है, इसे करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
16 सोमवार व्रत करने से कुंवारी लड़कियों को मनोवांछित पति की प्राप्ति होती है तथा विवाह में विलंब होने की स्थिति में भी 16 सोमवार का व्रत किया जाता है, इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। मोटे तौर पर कहें तो 16 सोमवार का व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है।
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सोलह सोमवार व्रत नियम | 16 Solah Vrat Ke Niyam
(i). 16 सोमवार व्रत करने वाले को एक दिन पूर्व से लहसुन-प्याज का त्याग कर देना चाहिए तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। 16 सोमवार व्रत रखने के लिए महिलाओं को एक दिन पहले अपने बालों में शैंपू अवश्य कर लेना चाहिए।
(ii). 16 सोमवार व्रत करने वाले को पूजा के समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जिस समय पर आप पहले दिन पूजा कर रहे हैं उसी समय पर आपको पूरे 16 सोमवार की पूजा करनी चाहिए।
(iii). 16 सोमवार व्रत में जो प्रसाद महादेव को चढ़ाया जाता है, उसका तीन हिस्सा किया जाता है। एक हिस्सा महादेव को अर्पित किया जाता है, दूसरा हिस्सा गाय का होता है और तीसरा हिस्सा खुद ग्रहण किया जाता है।
(iv). 16 सोमवार के व्रत को एक भी सोमवार बीच में छोड़ना नहीं चाहिए। व्रत शुरू करने के पश्चात जब तक 16 सोमवार पूर्ण ना हो जाए तब तक बीच में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होना चाहिए।
(v). व्रत के दिन मन, कर्म तथा वचन से शुद्ध होकर प्रदोष काल में महादेव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। चाहे तो मिट्टी का शिवलिंग बनाएं या किसी मंदिर में जाकर भी पूजन कर सकते हैं। बिना शिवलिंग के अभिषेक के यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है।
सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि | 16 Somwar Vrat Ki Puja Vidhi
16 सोमवार व्रत में सर्वप्रथम सुबह-सवेरे जगकर घर पर साधारण विधि से महादेव, माता गौरी तथा गणेश जी का पूजन कर लें। शाम के समय घर में यदि शिवलिंग है तो एक छोटी चौकी लें और उस पर एक सफेद वस्त्र बिछाएं फिर महादेव के शिवलिंग को उस पर स्थापित करें और गौरी-गणेश तथा संपूर्ण शिव परिवार की कोई फोटो हो तो वह भी स्थापित करें।
इसके पश्चात् एक कलश का निर्माण करें। तांबे या पीतल का एक लुटिया लें जिसमें गंगाजल युक्त साफ जल भर उसके ऊपर आम का पल्लव तथा कलश पर दीप प्रज्वलित करें।
इसके बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें, अभिषेक करने के बाद भगवन को साफ कपड़े से साफ कर धूप, दीप, अक्षत, और फल या प्रसाद जो आपने बनाया है उसका तीन हिस्सा करके भगवान को समर्पित करें। पहला हिस्सा गौ माता को, दूसरा हिस्सा लोगों में बांट दें या महादेव के पास ही छोड़ दें और तीसरा और अंतिम हिस्सा आप स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करके व्रत करेंगे।
प्रसाद चढ़ाने के बाद आप 16 सोमवार व्रत कथा पढ़ेंगे। इसके बाद अंत में आरती कर महादेव से पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा मांगेंगे।
16 सोमवार व्रत करते समय सावधानियाँ
(i). वैसे तो 16 सोमवार व्रत शीघ्र मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए प्रसिद्ध है परंतु आपको ध्यान रखना ज़रूरी है कि इस व्रत में प्रसाद के तीन हिस्से अवश्य होना चाहिए।
व्रतधारी को पूरे दिन निर्जल रहना चाहिए तथा प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद जो प्रसाद चढ़ाया जाता है उसका तीन हिस्सा करके केवल एक हिस्सा ही ग्रहण करना चाहिए।
(ii). किसी कारण आप पूरे दिन फलाहार करके नहीं रह सकते हैं तो पूरे दिन आप फल और जल को ग्रहण करके रह सकते हैं परंतु नमक का त्याग करना बहोत ही आवश्यक है।
(iii). 16 सोमवार व्रत करने वाले व्रतधारी की सभी इच्छाएं महादेव की कृपा से पूर्ण हो जाती है परंतु इस व्रत को करने में आपको एक चीज़ का विशेष ध्यान देना चाहिए कि आपने पहला व्रत प्रारंभ कर दिया है तो जब तक 17वें सोमवार ना आ जाए तब तक बीच की किसी भी सोमवार को आप व्रत रोक नहीं सकते। हर सोमवार में व्रत रखना अनिवार्य है अन्यथा आपके द्वारा किया गया व्रत खंडित माना जाता है।
16 सोमवार उद्यापन की सरल विधि
वैसे तो 16 सोमवार व्रत का उद्यापन विधि-विधान से 16 ब्राह्मण को निमंत्रण देकर रुद्राभिषेक इत्यादि के साथ करना चाहिए परंतु अगर ऐसा संभव न हो तो 16 सोमवार के दिन स्वयं शिवलिंग का अभिषेक करें और कुछ दान की वस्तुएं तथा अनाज निकालकर ब्राह्मण के घर पहुंचा दें और खुद एक माला “ ओम नमः शिवाय ” बोलकर शुद्ध देसी घी से हवन करके 17वें सोमवार को आपको भोजन ग्रहण कर लेना है।
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