हिंदू धर्म में उपवास और त्योहार केवल धार्मिक कार्य नहीं हैं, इन्हे आत्मिक विकास, शारीरिक शुद्धि, और मानसिक स्थिरता का साधन माना जाता है। इनमें से एक प्रमुख त्योहार है स्कंद षष्ठी व्रत जो भगवान मुरुगन यानी कार्तिकेय जी को समर्पित है।
मुरुगन, जिन्हें कार्तिकेय और सुब्रमण्य भी कहा जाता है, शक्ति और वीरता के देवता हैं।
यह पर्व उनकी उस महान विजय को याद करता है, जिसमें उन्होंने राक्षस सुरपद्मन का वध किया था।
जनवरी 2025 में स्कंद षष्ठी का त्योहार 5 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा।
इस दिन भक्तगण भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।
इस त्योहार की महत्व, तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और नियम को समझने के लिए चलिए आगे बढ़ें।
स्कंद षष्ठी का महत्व
स्कंद षष्ठी का आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह त्योहार बुराई से अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। भगवान मुरुगन, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, ने राक्षस सुरपद्मन को पराजित करके पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की थी।
धार्मिक दृष्टिकोण
स्कंद षष्ठी व्रत मनाने से भक्तों की जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान होता है। यह पर्व दुर्घटनाओं के सामना करने के लिए उन्हें साहस और शक्ति प्रदान करता है।
मानसिक शांति
ध्यान की स्थिति और आध्यात्मिक प्रगति के लिए भगवान मुरुगन की पूजा का महत्व होता है। श्रद्धालु इस दिन उपवास करते हैं और भगवान के चरणों में अपनी भक्ति समर्पित करते हैं।
सांस्कृतिक महत्व
तमिल संस्कृति में यह त्योहार बहुत अहम भूमिका निभाता है। तमिलनाडु और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में इसको उत्साह से मनाया जाता है।

स्कंद षष्ठी की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में, 5 जनवरी को स्कंद षष्ठी का त्योहार मनाया जाएगा, जिसमें भगवान कार्तिकेय की पूजा होती है।
अनुसारित पंचांग के अनुसार,
आरंभ: पौष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 4 जनवरी पर रात के 10 बजे से आरंभ होगा।
समाप्ति: 5 जनवरी को रात के 8 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।
इस दिन के शुभ योग निम्नलिखित हैं:
- सुबह 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रवि योग चलेगा।
- सर्वार्थ सिद्धि योग पूरी रात रहेगा।
- त्रिपुष्कर योग और अभिजीत मुहूर्त भी मौजूद होगा।
- 8 बजकर 18 मिनट तक शिव वास योग भी रहेगा।
स्कंद षष्ठी के मुख्य अनुष्ठान
उपवास
उपवास इस दिन का मुख्य तंत्र है।
व्रती अपने आस्था और शारीरिक प्रयोगशीलता के बावजूद विभिन्न प्रकार के उपवास मनाते हैं:
निर्जला उपवास: इस उपवास में पूरी तरह से पानी और भोजन का त्याग किया जाता है।
फलाहार उपवास: कुछ व्रती केवल फल और दूध लेते हैं।
सादा भोजन: कुछ व्रती उपवास के दौरान एक समय शाकाहारी आहार उपभोग करते हैं।
उपवास का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि हासिल करना है।
मंदिर में पूजा
भगवान मुरुगन के मंदिरों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्रद्धालु मंदिर में भगवान मुरुगन की मूर्ति की अभिषेक करते हैं, जिसे दूध, दही, शहद, और गंगाजल से स्नान कराया जाता है।
मंत्र और स्तोत्र जप
“स्कंद षष्ठी कवचम” और “सुब्रमण्य भुजंगम्” जैसे स्तोत्रों का जप श्रद्धालु करते हैं।
ये मंत्र भक्तों को आंतरिक ऊर्जा प्रदान करते हैं और भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्ति में सहायक होते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में भगवान मुरुगन की जय गाथा का नृत्य रूपांतरण किया जाता है, जिसे “सूरसम्हारम” कहा जाता है।
इस समय भगवान मुरुगन की मूर्ति को रथ पर सवारी करके जुलूस निकाला जाता है।
तमिलनाडु में उत्सव का माहौल
तमिलनाडु में स्कंद षष्ठी उत्सव महानता से मनाया जाता है। खासकर, इन मंदिरों में इस उत्सव का केंद्र है:
- तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर
- पालयमकोट्टई मुरुगन मंदिर
- स्वामीमलाई मुरुगन मंदिर
विश्वासियों द्वारा मंदिरों में नारियल, केला, और फूलों की अर्पणा की जाती है।
साथ ही, दीपकों को जलाकर भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है।
स्कंद षष्ठी व्रत पूजन विधि
- स्नान और पवित्रता: पहले नहाएं और शुद्ध स्थिति में पूजा स्थल पर बैठें।
- पूजा सामग्री: दूध, दही, मधु, गंगा जल, फूल, श्रीफल, प्रदीप और शाकाहारी प्रसाद एकत्रित करें।
- भगवान मुरुगन की पूजा: भगवान मुरुगन की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं और फिर पंचामृत से स्नान कराएं।
- मंत्र जप: “ॐ स्कंदाय नमः” और “स्कंद षष्ठी कवच” जैसे मंत्रों का जप करें।
- पूजा और प्रसाद अर्पण: भगवान मुरुगन को फूल, दूर्वा, श्रीफल और मिठाई अर्पित करें। फिर आरती उतारें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
स्कंद षष्ठी व्रत के नियम
- स्कंद षष्ठी के दिन उपवास रखने की सलाह दी गई है। इस दिन जल, फल या शाकाहारी आहार का सेवन किया जा सकता है।
- कुछ भक्त निर्जला व्रत अपनाते हैं, जिसमें न तो जल पिया जाता है और न ही कोई भोजन किया जाता है।
- व्रत के दौरान केवल सच बोलें और शुद्ध विचार करें।
- व्रत के समय किसी भी प्रकार के नशे से परहेज करें। शारीरिक और मानसिक उत्साह को बनाए रखें।

फल और लाभ- स्कंद षष्ठी व्रत के
स्कंद षष्ठी व्रत का पालन करने से भक्तों को कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं:
- समस्याओं का निवारण: भगवान मुरुगन की कृपा से जीवन की कठिनाइयां और अड़चनें खत्म हो जाती हैं।
- धन-संपदा की वृद्धि: भगवान मुरुगन की उपासना से परिवार में धन-संपदा में वृद्धि होती है।
- आत्मिक ऊर्जा: व्रत और पूजा से आत्मिक शक्ति बढ़ती है और व्यक्ति मानसिक दृढ़ता हासिल करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: व्रत का पालन करके शारीरिक शुद्धि होती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
निष्कर्ष
स्कंद षष्ठी न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान मुरुगन से कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
इस उत्सव से आत्म-शुद्धि, धैर्य, और साहस का संदेश मिलता है।
जब इस उत्सव का पालन किया जाता है, तो यह याद रखना चाहिए कि भगवान मुरुगन की कृपा सिर्फ अनुष्ठानों से ही नहीं, बल्कि वास्तविक श्रद्धा और प्रतिष्ठा से प्राप्त होती है।
स्कंद षष्ठी व्रत का पालन करें, भगवान मुरुगन का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरें।
पढ़े, स्कंद षष्ठी कवचम