माँ विंध्यवासिनी देवी की कृपा पाने के लिए श्री विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह चालीसा साधक को शक्ति, समृद्धि और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
माँ विंध्येश्वरी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं, जो सभी बाधाओं को दूर करती हैं और भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करती हैं।
इस चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या या विशेष पर्वों पर इसका पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और माँ की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं।

श्री विंध्येश्वरी चालीसा
॥ दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में,
करती नहीं विलम्ब ॥
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥
सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥
कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥
रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10
तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥
तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥
अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥
चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥
पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥
बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥
जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥
नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20
कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥
विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥
जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥
निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥
जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥
जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥
निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30
जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥
पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥
यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥
जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40
श्री विंध्येश्वरी चालीसा पाठ की विधि
- स्नान और शुद्धि – पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मन को शांत करें।
- पूजा स्थल – स्वच्छ स्थान पर माँ विंध्येश्वरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और दीपक जलाएँ।
- संकल्प – पाठ करने से पहले मन में संकल्प लें कि आप इस पाठ को श्रद्धा और भक्ति के साथ करेंगे।
- आरंभिक पूजा – माता को लाल फूल, चावल, सिंदूर, फल और मिठाई अर्पित करें।
- गणेश वंदना – पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनके किसी एक मंत्र का जाप करें।
- चालीसा पाठ – अब श्रद्धा के साथ श्री विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करें। हो सके तो कम से कम 11 या 21 दिन तक इसका पाठ करें।
- आरती – पाठ के बाद मां विंध्येश्वरी की आरती करें और भोग लगाएं।
- प्रसाद वितरण – पाठ समाप्त होने के बाद घर के सभी सदस्यों को प्रसाद बांटें और भगवान का धन्यवाद करें।
- एकांत और भक्ति – ध्यान रखें कि पाठ के दौरान किसी भी तरह का विकर्षण या अशुद्धता न हो।
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श्री विंध्येश्वरी चालीसा पाठ के लाभ
- संकटों का निवारण – यह पाठ जीवन में आने वाली परेशानियों और बाधाओं को दूर करता है।
- धन, वैभव और समृद्धि – माता की कृपा से धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश – यह पाठ बुरी शक्तियों, नकारात्मकता और बुरी नज़र से बचाता है।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास– नियमित पाठ से मन शांत रहता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- परिवार में सुख-शांति – पारिवारिक कलह और तनाव दूर होते हैं, जिससे घर में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति – इस चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- स्वास्थ्य लाभ – यह पाठ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है।

Frequently Asked Questions (FAQs)
श्री विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
इसका पाठ सुबह स्नान के बाद या शाम को करना शुभ होता है।
क्या नवरात्रि के दौरान इस चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है?
हां, नवरात्रि के दौरान इस चालीसा का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
क्या चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना आवश्यक है?
हां, पवित्रता, एकाग्रता और भक्ति आवश्यक है।
क्या इस चालीसा का पाठ घर पर अकेले किया जा सकता है?
हां, इसे घर पर अकेले किया जा सकता है, लेकिन पूरी विधि का पालन किया जाना चाहिए।
क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान इस चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
यह व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है, लेकिन अधिकांश परंपराओं में इस अवधि के दौरान पाठ न करने की सलाह दी जाती है।
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