राम नवमी का त्यौहार भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह दिन भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन रामायण और रामचरितमानस का पाठ करने का विशेष महत्व है।
इन दोनों ग्रंथों में भगवान श्री राम के जीवन, आदर्शों और दिव्य चरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया है।
रामचरितमानस की रचना तुलसीदासजी ने की है, जबकि रामायण वाल्मीकि ऋषि द्वारा रचित सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
इस लेख में हम रामनवमी पर इन दोनों ग्रंथों के पाठ की विधि, महत्व और लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

रामनवमी पर रामायण पाठ की विधि
वाल्मीकि रामायण एक महाकाव्य है, जिसमें श्री राम के जीवन का विस्तार से वर्णन किया गया है।
रामनवमी पर इस पाठ को पढ़ने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
स्थान और समय का चयन
पाठ के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें।
घर, मंदिर या किसी शांत स्थान पर पूजा स्थल पर बैठकर पाठ करें।
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है।
पूजा एवं संकल्प
पाठ शुरू करने से पहले भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण एवं हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
शुद्ध जल, अक्षत, पुष्प, धूप एवं दीप जलाकर पूजा करें।
संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ रामायण का पाठ करेंगे।
पाठ की विधि
बालकाण्ड से उत्तरकाण्ड तक रामायण का विधिपूर्वक पाठ करें।
यदि सम्पूर्ण रामायण पाठ संभव न हो तो केवल सुन्दरकाण्ड या बालकाण्ड का पाठ किया जा सकता है।
पाठ के दौरान उच्चारण शुद्ध एवं स्पष्ट होना चाहिए।
समापन एवं आरती
पाठ पूर्ण होने के पश्चात श्री रामचरितमानस की आरती करें।
राम नाम का गुणगान करें एवं प्रसाद वितरित करें।
राम नवमी पर रामचरितमानस पाठ की विधि
रामचरितमानस तुलसीदासजी द्वारा रचित एक भक्ति ग्रंथ है, जिसे रामायण का भक्ति संस्करण भी माना जाता है।
राम नवमी पर इस ग्रंथ का पाठ करने की विधि इस प्रकार है:
पाठ की तैयारी
पाठ के लिए उचित स्थान चुनें और पवित्रता बनाए रखें।
रामचरितमानस को एक चौकी पर रखें और उसके चारों ओर दीपक जलाएं।
गंगाजल छिड़क कर स्थान को पवित्र करें।
पूजा और संकल्प
भगवान श्री राम, माता सीता, हनुमानजी और तुलसीदासजी की पूजा करें।
संकल्प लें कि आप श्रद्धा और भक्ति के साथ रामचरितमानस का पाठ करेंगे।
पाठ की विधि
रामचरितमानस में सात अध्याय हैं: बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड।
बालकांड से उत्तरकांड तक का पाठ करें।
यदि सम्पूर्ण पाठ संभव न हो तो सुन्दरकाण्ड, बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड या केवल हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
हवन और आरती
पाठ के बाद भगवान श्री राम की आरती करें।
‘श्री राम जय राम जय जय राम’ मंत्र का जाप करें।
भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
राम नवमी पर रामायण और रामचरितमानस पाठ का महत्व

धार्मिक महत्त्व
मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भगवान श्री राम का चरित्र पूरे विश्व के लिए आदर्श है।
रामायण और रामचरितमानस का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
मानसिक शांति
इन ग्रंथों का पाठ करने से मन को शांति और संतुष्टि मिलती है।
नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कर्म और धर्म का मार्गदर्शन
श्री राम का जीवन हमें कर्तव्य, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
इन ग्रंथों के अध्ययन से जीवन के मूल्यों को समझने में मदद मिलती है।
वास्तु और ग्रह दोष निवारण
सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
रामायण का पाठ करने से वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
राम नवमी पर रामायण और रामचरितमानस पाठ के लाभ
पारिवारिक सुख-समृद्धि
इन ग्रंथों का नियमित पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि और सौहार्द बना रहता है।
आध्यात्मिक जागृति
इनका पाठ करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे भगवान की भक्ति में लीन होने का अवसर मिलता है।
कष्टों और बाधाओं से मुक्ति
रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।
रोगों से मुक्ति
राम नाम का जाप करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
सुंदरकांड का पाठ करने से भय और मानसिक तनाव कम होता है।
रामनवमी पर विशेष उपाय
- रामनवमी के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है।
- रामचरितमानस की चौपाइयों का जाप करने से मनोवांछित फल मिलता है।
- रामायण पाठ के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है।
निष्कर्ष
रामनवमी का पर्व श्री राम की भक्ति में लीन होने का सबसे पवित्र अवसर है।
इस दिन रामायण और रामचरितमानस का पाठ करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक उन्नति मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि भी मिलती है।
इन ग्रंथों का अध्ययन करके हम भगवान श्री राम के आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
हमें भगवान श्री राम के चरणों में श्रद्धा रखते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और धर्म, सत्य और कर्तव्य के मार्ग पर चलना चाहिए।
जय श्री राम!