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Reading: Ram Navmi | राम नवमी 2025: महत्व, पूजा विधि, कथा और संपूर्ण जानकारी
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Marg Darshan > Blog > Bhakti > Ram Navmi | राम नवमी 2025: महत्व, पूजा विधि, कथा और संपूर्ण जानकारी
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Ram Navmi | राम नवमी 2025: महत्व, पूजा विधि, कथा और संपूर्ण जानकारी

Anushka Mishra
Last updated: March 26, 2025 8:07 pm
By Anushka Mishra
15 Min Read
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राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Contents
राम नवमी 2025 की तिथि व मुहूर्तराम नवमी का पौराणिक महत्वभगवान श्री राम का अवताररामचरितमानस और रामायण में उल्लेखरामनवमी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वअयोध्या में भव्य उत्सवभारत के विभिन्न राज्यों में उत्सवराम नवमी व्रत और इसकी विधि: पूरी प्रक्रिया और महत्वव्रत की परंपरा और नियमराम नवमी पूजा विधि: पूरी प्रक्रियाराम नवमी से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान: आध्यात्मिक जागृति का पर्वराम जन्म महोत्सव: आध्यात्मिक उल्लासराम नाम संकीर्तन: भक्ति और शक्ति का संगमरामलीला तथा शोभा यात्रा: भक्ति का सजीव प्रदर्शनराम नवमी पर विशेष हवन और उपाय: दुर्भाग्य दूर करने के कारगर उपायराम नवमी हवन विधि: शुभता और सकारात्मकता का संचारराम नवमी उपाय: जीवन की समस्याओं का समाधानराम नवमी और ज्योतिषीय महत्व: राशियों पर प्रभाव और विशेष ज्योतिषीय उपायजन्म कुंडली पर प्रभाव और शुभ फलराशि के अनुसार उपाय: प्रत्येक राशि के लिए विशेष उपायरामनवमी से जुड़े प्रमुख मंदिर: धार्मिक पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व का केंद्रप्रमुख राम मंदिर और उनकी विशेषताएंअन्य महत्वपूर्ण राम मंदिरराम नवमी और श्री राम के आदर्श: आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा और मार्गदर्शनश्री राम के प्रमुख आदर्श और उनका प्रभावआधुनिक जीवन में श्री राम के आदर्शों का महत्वनिष्कर्ष

यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है और इसे नवरात्रि के समापन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

इस दिन भक्त भगवान राम की पूजा करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

यह त्यौहार धर्म, सत्य, कर्तव्य और मर्यादा की शिक्षा देता है।

राम नवमी 2025 की तिथि व मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल को शाम 7:26 बजे से शुरू होगी और यह तिथि अगले दिन 6 अप्रैल को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी।

इसलिए पंचांग के अनुसार 6 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।

अयोध्या व अन्य मंदिरों में इसी दिन राम नवमी की पूजा भी की जाएगी।

राम नवमी का पौराणिक महत्व

राम नवमी का उल्लेख विभिन्न हिंदू ग्रंथों, विशेषकर रामायण और विष्णु पुराण में मिलता है।

भगवान राम को विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता है, जिन्होंने अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना की थी।

इस दिन को उनकी जयंती के रूप में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

भगवान श्री राम का अवतार

त्रेता युग में जब धरती पर अधर्म बढ़ने लगा, तब भगवान विष्णु ने राक्षसों का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए अयोध्या के राजा दशरथ के यहाँ पुत्र के रूप में जन्म लिया।

उनका जन्म माता कौशल्या के गर्भ से हुआ था और वे अयोध्या के सबसे प्रिय राजकुमार बने।

रामायण

रामचरितमानस और रामायण में उल्लेख

वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस में भगवान श्री राम के जीवन और मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप का विस्तृत वर्णन है।

वे सत्य, धर्म और कर्तव्य के प्रतीक हैं।

उनकी कथा हमें सिखाती है कि जीवन में विपरीत परिस्थितियों में भी मर्यादा का पालन करना आवश्यक है।

रामनवमी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

रामनवमी न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

अयोध्या में भव्य उत्सव

भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, इसलिए इस त्योहार का वहां विशेष महत्व है।

अयोध्या में भव्य रामनवमी उत्सव का आयोजन किया जाता है।

सरयू नदी में पवित्र स्नान, शोभा यात्रा, रामलीला मंचन और भव्य राम जन्मोत्सव समारोह होता है।

भारत के विभिन्न राज्यों में उत्सव

उत्तर प्रदेश: अयोध्या में सबसे बड़ा उत्सव।

महाराष्ट्र: रामनवमी का संबंध शिवाजी महाराज से भी है, इसलिए यहां इस दिन विशेष श्रद्धा होती है।

दक्षिण भारत: तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा: इस दिन झूलनोत्सव और रामलीला का आयोजन किया जाता है।

राम मंदिर अयोध्या

राम नवमी व्रत और इसकी विधि: पूरी प्रक्रिया और महत्व

राम नवमी व्रत न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन भक्त भगवान राम का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

यह व्रत पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं, तो कुछ फलाहार करके व्रत रखते हैं।

इस दिन व्रत रखने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

व्रत की परंपरा और नियम

राम नवमी के दिन व्रत रखने के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है।

इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।

व्रत सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक रखना चाहिए, क्योंकि यही वह समय है जब भगवान श्री राम का जन्म हुआ था।

व्रत के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए, जिसमें फल, दूध, पंचामृत और सूखे मेवे शामिल हों।

इस दिन चावल और गेहूं के आहार से बचना चाहिए, खासकर अगर व्यक्ति कठोर व्रत रख रहा हो।

रामचरितमानस और श्री राम के नाम का जाप करने से व्रत का विशेष लाभ मिलता है।

राम नवमी पूजा विधि: पूरी प्रक्रिया

राम नवमी के दिन भगवान श्री राम की विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है।

यह पूजा मंदिरों में तो होती ही है, लेकिन भक्त इसे घर पर भी पूरे विधि-विधान से करते हैं।

  1. सुबह स्नान करके पवित्रता बनाए रखें और घर में पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  2. एक आसन पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. पूजा में रोली, अक्षत, फूल, तुलसी दल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य का प्रयोग करें।
  4. भगवान राम को विशेष रूप से पीले रंग के वस्त्र अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि यह रंग उनके प्रिय रंगों में से एक है।
  5. श्री राम जन्मोत्सव के समय दोपहर 12 बजे भगवान को पंचामृत स्नान कराया जाता है।
  6. इस दिन सुंदरकांड, राम रक्षा स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
  7. आरती के बाद प्रसाद बांटें और गरीबों को भोजन कराकर पुण्य कमाएं।
राम नवमी

राम नवमी से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान: आध्यात्मिक जागृति का पर्व

रामनवमी कोई साधारण त्योहार नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागृति का दिन है।

इस दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिससे न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है।

इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का माध्यम हैं।

राम जन्म महोत्सव: आध्यात्मिक उल्लास

रामनवमी के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक दोपहर 12 बजे राम जन्म महोत्सव का आयोजन है।

इस समय मंदिरों में विशेष आरती और अभिषेक किया जाता है।

भगवान राम के जन्म के स्वागत के लिए विशेष भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

भक्तजन भगवान का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाते हैं तथा उन्हें पुष्प, मिठाइयाँ तथा फल अर्पित करते हैं।

राम नाम संकीर्तन: भक्ति और शक्ति का संगम

रामनवमी पर ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन भक्तजन रामचरितमानस, सुंदरकांड तथा हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।

पूरे दिन भगवान राम के भजन तथा कीर्तन आयोजित किए जाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

रामलीला तथा शोभा यात्रा: भक्ति का सजीव प्रदर्शन

इस दिन विभिन्न स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान श्री राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

अयोध्या, वाराणसी, दिल्ली तथा अन्य प्रमुख शहरों में भव्य जुलूस निकाले जाते हैं, जिनमें भगवान राम, लक्ष्मण, सीता तथा हनुमान की झांकियाँ शामिल होती हैं।

राम नवमी पर विशेष हवन और उपाय: दुर्भाग्य दूर करने के कारगर उपाय

राम नवमी का दिन न केवल भगवान श्री राम की भक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

इस दिन किए गए विशेष हवन और उपाय न केवल जीवन की समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी करते हैं।

हवन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

राम नवमी हवन विधि: शुभता और सकारात्मकता का संचार

  1. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और अपने पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  2. हवन कुंड की स्थापना करें और उसमें आम की लकड़ी, गाय का घी, तिल और हवन सामग्री डालें।
  3. “ॐ श्रीरामाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और प्रत्येक मंत्र उच्चारण के साथ आहुति दें।
  4. हवन के दौरान विशेष रूप से कपूर और लौंग का प्रयोग करें, जिससे वातावरण पवित्र और ऊर्जावान बनता है।
  5. हवन समाप्त होने के बाद आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दें।

राम नवमी उपाय: जीवन की समस्याओं का समाधान

सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन से बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से शत्रु भय समाप्त होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

तुलसी की पूजा करने और उसके पास दीपक जलाने से आर्थिक समृद्धि आती है।

इस दिन विशेष रूप से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

राम जी की शोभायात्रा

राम नवमी और ज्योतिषीय महत्व: राशियों पर प्रभाव और विशेष ज्योतिषीय उपाय

राम नवमी का दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इस दिन सूर्य और बृहस्पति का विशेष प्रभाव होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था, जो उच्च ज्ञान, दया और शक्ति का प्रतीक है।

इस दिन सूर्य पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि भगवान राम को सूर्यवंशी राजा माना जाता है।

जन्म कुंडली पर प्रभाव और शुभ फल

रामनवमी पर किए गए विशेष उपाय सूर्य और बृहस्पति ग्रह को मजबूत करते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान, बुद्धि और सफलता बढ़ती है।

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य या बृहस्पति ग्रह कमजोर है, वे इस दिन विशेष पूजा कर सकते हैं।

राशि के अनुसार उपाय: प्रत्येक राशि के लिए विशेष उपाय

मेष, सिंह: राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें और तांबे के बर्तन में जल चढ़ाएं।

मिथुन, कन्या: सुंदरकांड का पाठ करें और भगवान राम को फूल चढ़ाएं।

मकर, कुंभ: विष्णु सहस्रनाम का जाप करें और मंदिर में दान करें।

तुला, वृश्चिक: तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और रामचरितमानस का पाठ करें।

वृषभ, धनु: श्री राम का नाम जपें और गरीबों को भोजन कराएं।

रामनवमी से जुड़े प्रमुख मंदिर: धार्मिक पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र

भारत में स्थित प्रमुख राम मंदिरों में रामनवमी का त्यौहार विशेष रूप से बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है।

इन मंदिरों में हजारों भक्त आते हैं और भगवान श्री राम के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।

ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की धरोहर भी हैं।

प्रमुख राम मंदिर और उनकी विशेषताएं

राम जन्मभूमि, अयोध्या: इसे भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है और यहां एक विशाल मंदिर बनाया गया है।

रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु: यह मंदिर दक्षिण भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां रामेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

सीतामढ़ी, बिहार: इसे माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है और यहां राम-सीता विवाह स्थल का विशेष महत्व है।

बदरिकाश्रम, उत्तराखंड: यह स्थान भगवान विष्णु की तपस्थली माना जाता है और यहाँ श्री राम की विशेष पूजा की जाती है।

अन्य महत्वपूर्ण राम मंदिर

हनुमानगढ़ी, अयोध्या

किष्किंधा, कर्नाटक

त्रिपुरारी बालाजी मंदिर, राजस्थान

श्री राम मंदिर, नेपाल (जनकपुरधाम)

राम नवमी और श्री राम के आदर्श: आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा और मार्गदर्शन

भगवान श्री राम न केवल एक महान राजा थे, बल्कि वे एक आदर्श पुत्र, पति, भाई और मित्र भी थे।

उनका जीवन हमें जीवन के हर क्षेत्र में धर्म, कर्तव्य और न्याय का पालन करने की शिक्षा देता है।

श्री राम ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी अपने कर्तव्य और धर्म से समझौता नहीं किया।

राम नवमी

श्री राम के प्रमुख आदर्श और उनका प्रभाव

पितृ भक्ति: उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया, जो हमें अपने माता-पिता की सेवा और आज्ञापालन करने की प्रेरणा देता है।

धर्म पर दृढ़ता: उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए रावण का वध किया और अधर्म पर सत्य की विजय स्थापित की।

आचार संहिता का पालन: वे जीवन भर मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाने गए और कभी भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुए।

स्नेह और मित्रता: उन्होंने सुग्रीव और विभीषण को मित्र के रूप में अपनाया और उनकी सहायता की, जिससे हमें सच्ची मित्रता का महत्व समझ में आता है।

आधुनिक जीवन में श्री राम के आदर्शों का महत्व

आज के समय में जब नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है, भगवान श्री राम के आदर्शों को अपनाकर जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

उनकी सत्यनिष्ठा, सहनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।

अगर हम उनके सिद्धांतों पर चलें तो न केवल हमारा जीवन सफल होगा, बल्कि समाज में शांति और सद्भावना का माहौल भी बनेगा।

निष्कर्ष

राम नवमी सिर्फ एक धार्मिक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में मर्यादा, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है।

2025 में यह त्यौहार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा और इस दिन भगवान श्री राम की पूजा करके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता प्राप्त की जा सकती है।

इस दिन भगवान श्री राम को याद करें और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लें और अपने जीवन को सही रास्ते पर ले जाएं।

“जय श्री राम!”

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ByAnushka Mishra
An enthusiast author at Marg Darshan who holds the proficiency in the fields of Finance, Ethics and Sports.
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