मार्गशीर्ष महीना जिसे अगहन का महीना भी कहा जाता है इसमें प्रत्येक गुरुवार को माता महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष महीने में माता महालक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती है। जो भक्तजन गुरुवार के दिन इनका व्रत, पूजन, स्वागत करते हैं माता महालक्ष्मी उनके घर में स्थाई निवास करती है भगवान विष्णु के साथ। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है लेकिन मार्गशीर्ष महीने में विष्णु भगवान के साथ-साथ माता महालक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है।
मार्गशीर्ष महीने में माता महालक्ष्मी के पूजन के लिए कलश स्थापना की जाती है। इस कलश को श्री कलश कहा जाता है।
कैसे सजाए श्री कलश?
कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले हम हल्दी का गंगाजल या फिर शुद्ध जल के साथ घोल बना लेंगे। फिर हम एक जटाधारी पानी वाले नारियल हम श्री कलश को माता महालक्ष्मी लेकर उसमें हल्दी का लेप लगा देंगे। फिर उसे कुमकुम से टिका करेंगे। पूजन के समय हम श्री कलश को ही माता लक्ष्मी का रूप मानकर पूजन करेंगे।
नारियल को सजा लेने के बाद हम तांबे या पीतल का कलश लेंगे। कलश के गले में मौली बांध ले। फिर आप कलश में स्वास्तिक बनाकर अक्षत अर्पित कर दे। कलश में आपको मुख्य रूप से 5 या 7 प्रकार के पत्ते लगाने हैं। आप पान, आम, जामुन, अशोक, मनी प्लांट आदि किसी भी पेड़ के पत्ते इस्तेमाल में ले सकते हैं। लिए हुए सभी पत्तों को टीका करें। अब आप कलश को वस्त्र धारण कराए। आप बाजार से माता रानी को चढ़ाने वाले वस्त्र लाकर कलश को धारण करवा सकते हैं। साथ ही कलश को आभूषण पहनाकर अलंकृत करें। मंगलसूत्र का अवश्य ध्यान रखें, कलश को मंगलसूत्र जरूर पहनाए। कलश को पहनाए जाने वाले आभूषण नए होने चाहिए। यदि नए ना हो तो उसे गंगाजल से एक बार जरुर धुल ले। कलश के अंदर शुद्ध जल या फिर गंगाजल भरे।अब आप कलश में लौंग, इलाइची, हल्दी, सिक्का, सुपारी, दूर्वा और अक्षत डालें और पत्ते लगा दे। आप कलश के ऊपर नारियल रखें। ध्यान दे की नारियल का मुख्य ऊपर की ओर हो। चूड़ियों और झुमको को कलावे में बांधकर नारियल को अलंकृत करें। नारियल को नाथ और मांग टीका भी पहनाए। नारियल स्वरूप महालक्ष्मी को गजरा लगाए। उसके बाद चुनरी पहनाए।
इस प्रकार से आपको हर गुरुवार कलश बनाना है। श्रृंगार का सामान जैसे की झुमकी,चूड़ियां,मंगलसूत्र आभूषण, मांग टीका, नथ आप अगले गुरुवार इस्तेमाल कर सकते हैं। कलश में रखी हुई पत्तियों को आप अपने गमले में डाल सकते हैं। लक्ष्मी पूजन की किसी भी वस्तु को विसर्जित नहीं करना है।
