श्री दुर्गा चालीसा पाठ का विशेष महत्व है क्योंकि यह माँ दुर्गा की कृपा पाने और सभी संकटों से मुक्ति पाने वाला स्तोत्र है।
इसे पढ़ने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
इस पाठ का महत्व विशेष रूप से नवरात्रि, अष्टमी, नवमी और मंगलवार को बढ़ जाता है।
इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।

श्री दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥10॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥20॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥30
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥40
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा संपूर्ण ॥
श्री दुर्गा चालीसा पाठ की विधि
श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले यह आवश्यक है कि साधक शुद्ध और पवित्र मन से माँ दुर्गा का ध्यान करे।
- स्नान और पवित्रता – सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा का स्थान – घर के मंदिर या शुद्ध स्थान पर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- संकल्प और आसन – एक आसन पर बैठ जाएं और शुद्ध मन से संकल्प लें।
- दीप जलाना और आरंभ करना – घी या तेल का दीपक जलाएं और धूपबत्ती जलाएं।
- मां दुर्गा का ध्यान और जाप – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र का जाप करें।
- चालीसा पाठ – स्पष्ट उच्चारण के साथ श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- आरती और प्रसाद – पाठ के बाद दुर्गा जी की आरती करें और भोग लगाएं।
- समर्पण – हाथ जोड़कर मां से प्रार्थना करें और अपने कष्टों को दूर करने का आशीर्वाद मांगें।
इस विधि से भक्तिपूर्वक पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

श्री दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ
श्री दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सभी प्रकार के भय दूर होते हैं।
यह पाठ मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
यह पाठ विशेष रूप से उस व्यक्ति के लिए लाभकारी है जो किसी संकट, बीमारी या आर्थिक परेशानी से गुजर रहा हो।
माँ दुर्गा की कृपा से बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
ऐसा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और बुरी नजर, जादू-टोना और शत्रु बाधा से सुरक्षा मिलती है।
विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान इसका पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्त को विशेष आशीर्वाद मिलता है।
यह पाठ मन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
यह भी देखे: दुर्गा सप्तशती का पाठ
Frequently Asked Questions (FAQs)
श्री दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इसे सुबह या शाम को करना शुभ होता है, खासकर नवरात्रि, अष्टमी, नवमी, मंगलवार और शुक्रवार के दिनों में।
क्या बिना स्नान किए दुर्गा चालीसा का पाठ किया जा सकता है?
उत्तर: आदर्श रूप से इसे स्नान करने के बाद किया जाना चाहिए, लेकिन आपातकालीन स्थिति में इसे मानसिक रूप से भी किया जा सकता है।
क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: आस्था और भक्ति के साथ किया गया पाठ हमेशा फलदायी होता है, परंपरागत रूप से कुछ लोग इसे करने से बचते हैं।
क्या दुर्गा चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हां, देवी मां के आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और समृद्धि प्राप्त होती है।
क्या दुर्गा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
उत्तर: हां, इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष लाभ के लिए इसे शुभ तिथियों पर करना सबसे अच्छा माना जाता है।