शिव चालीसा एक भक्ति भजन है जो भगवान शिव की महिमा, शक्ति और कृपा का गुणगान करता है।
इसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से भोलेनाथ के विभिन्न रूपों, लीलाओं और उनके भक्तों पर कृपा का वर्णन किया गया है।
माना जाता है कि यह चालीसा तुलसीदास जी द्वारा रचित है और भक्तों के लिए पूजा का एक प्रभावी साधन है।
शिव चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
यह शिव भक्तों के लिए दैनिक पाठ की एक बहुत ही फलदायी और सरल विधि है।
शिव चालीसा
दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

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शिव चालीसा के पाठ की विधि
शिव चालीसा का पाठ करने के लिए, सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा, राख आदि से अभिषेक करें।
“ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए एकाग्र हों। फिर भक्ति भाव से शिव चालीसा का पाठ करें।
पाठ करते समय भगवान शिव के कार्यों और उनके स्वरूप का ध्यान करें।
सोमवार, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि या श्रावण मास में इसका विशेष महत्व है, लेकिन इसका पाठ प्रतिदिन भी किया जा सकता है।
पाठ के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
शिव चालीसा के लाभ
शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति, भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
जीवन में बाधाओं, रोगों, कर्ज और शत्रुओं से सुरक्षा होती है।
शिव की कृपा से व्यक्ति को यश, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
यह साधना साधक को भगवान शिव से जोड़ती है और भक्ति में तीव्रता लाती है।
विशेष रूप से सोमवार को पाठ करने से शीघ्र परिणाम मिलते हैं।
Frequently Asked Questions
- शिव चालीसा किसने लिखी?
शिव चालीसा की रचना संत तुलसीदास जी ने की थी।
- शिव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ सुबह या शाम को करना सबसे अच्छा माना जाता है, खासकर सोमवार को।
- क्या शिव चालीसा का प्रतिदिन पाठ किया जा सकता है?
हाँ, इसका प्रतिदिन भक्तिपूर्वक और नियमित पाठ किया जा सकता है।
- शिव चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ हैं?
मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, कष्टों से मुक्ति और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- क्या शिव चालीसा का पाठ बिना स्नान किए किया जा सकता है?
वैसे तो इसे स्नान के बाद करना सबसे अच्छा है, लेकिन इसका पाठ शुद्ध मन से किसी भी समय भक्तिपूर्वक किया जा सकता है।
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