शनि प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव और शनिदेव को समर्पित है और इसे त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल में मनाया जाता है। जब यह व्रत शनिवार को होता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।
यह व्रत 11 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।
इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव-शनिदेव की पूजा करने से जीवन की अनेक समस्याएं दूर होती हैं।
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शनि प्रदोष व्रत का महत्व
- शनि दोष परिहार:
जिनकी जन्म कुंडली में शनि का दोष , ढ़ैया या साढ़ेसाती होती है, उनके लिए यह उपाय बहुत महत्वपूर्ण है। इस उपाय से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। साथ ही शुभ परिणाम मिलते हैं। - पौराणिक कथा की महत्वता:
विविध मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव भगवान शिव के विशेष भक्त हैं। इसे माना जाता है कि शिवजी ने शनि को आशीर्वाद दिया था। जिससे उनके भक्तों को कठिनाइयों से मुक्ति मिल सके। - धन और आरोग्य प्राप्ति:
यह उपाय आर्थिक और शारीरिक संकटों से निजात दिलाता है। जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव होता है। - कर्म सुधार और पितृ दोष मिटाना:
शनि प्रदोष उपासना करने से बुरे कर्म का प्रभाव कम होता है । साथ ही, इससे पितृ दोष को भी दूर किया जा सकता है।
शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि
यह व्रत के लिए पूजा विधी सरल है, लेकिन आपको इसे श्रद्धा और नियम के साथ करना होगा:
- व्रत की तैयारी:
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
पूरे दिन सात्विक भोजन करें या फिर निर्जल व्रत रखें।
- संध्या पूजा:
सूर्यास्त के समय नहाने के बाद पूजा स्थल को साफ करें।
भगवान शिव का अभिषेक जल, दूध, मध, दही और घी से करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, और फूल अर्पित करें।
भगवान शिव और शनिदेव के मंत्रों का जाप करें।
- विशेष दान:
इस दिन काले तिल, काले कपड़े, और सरसों के तेल का दान करने से शनि दोष मिटता है।
गरीबों को भोजन और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें।
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शनि प्रदोष व्रत की कथा
शनि प्रदोष व्रत संबंधित एक पौराणिक कहानी के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने प्रदोष समय में भगवान शिव की पूजा की।
उनके भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें संपत्ति, सुख और आशीर्वाद दिया।
यह कहानी इस व्रत की महत्ता को दिखाती है। यह संदेश देती है कि विश्वास और भक्ति से सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं।
व्रत के लाभ
- गृह शांति: शनि ग्रह से जुड़े समस्त दोषों का समापन ग्रह शांति द्वारा होता है।
- रोग और समृद्धि: उपवास का पालन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- कर्ज से मुक्ति: कर्ज से परेशान व्यक्तियों के लिए यह उपवास बहुत ही फायदेमंद होता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बहुत प्रभावशाली माना जाता है।
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11 जनवरी 2025 को शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 10 जनवरी 2025, रात 8:33 बजे।
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 11 जनवरी 2025, रात 10:04 बजे।
प्रदोष काल: 11 जनवरी 2025, शाम 5:45 बजे से 7:15 बजे तक।
महत्वपूर्ण मंत्रो का उच्चारण
शनि प्रदोष व्रत के समय इन मंत्रों को जपना बहुत शुभ माना जाता है:
ॐ नमः शिवाय
ॐ शनिश्चराय नमः
शनि गायत्री मंत्र निम्नलिखित हैँ:-
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे भास्कराय धीमहि तन्नो मंदः प्रचोदयात्।
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इन बातों का रखें ध्यान
- उपवास के दिन क्रोध और नकारात्मक भावनाओं से बचने का प्रयास करें।
- सात्विक भोजन और सोच बनाए रखें।
- उपवास के अंत में ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन दिलाएं।
- परिवार के साथ शिवजी और शनिदेव की पूजा करें।
निष्कर्ष
11 जनवरी 2025 को शनि प्रदोष व्रत मनाने से भगवान शिव और शनिदेव की अनुग्रह प्राप्त होती है। यह उपवास जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि लाता है।
यदि इसे विश्वास और विधिवत किया जाये, तो न केवल शनि के दोष से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के संगीन कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें शुभ फल प्राप्त होते हैं।
व्रत कथा:- “ शनि प्रदोष संपूर्ण व्रत कथा”
यह भी देखें:- “ महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण व्रत ”