शनि के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शनि चालीसा का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र शनि के दोष, साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने में मददगार है।
शनि चालीसा पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, संपत्ति, और संघर्षों से छुटकारा दिलाता है।
इसे नियमित रूप से पढ़ने से शनि देव खुश होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
विशेषकर शनिवार को इसका पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है।
इस लेख में प्रस्तुत है शनि चालीसा, उसके महत्व,लाभ, नियम और अन्य जानकारियां।
शनि चालीसा का इतिहास
शनि की चालीसा का इतिहास धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं से संबंधित है। इस चालीसा में भगवान शनि की प्रशंसा और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए भावुक शब्दों में लिखा गया है।
मान्यता है कि इस चालीसा का उत्पादन संतों और भक्तों ने उनके प्रति आदर और उनके अशुभ प्रभावों को शांत करने के इरादे से किया था।
इस चालीसा का उत्पादन भक्तों के बीच में बहुत लोकप्रिय है।
शनि चालीसा के लाभ
इस चालीसा का लगातार पाठ करने से कई आध्यात्मिक और जीवन के प्रायोजन प्राप्त किए जा सकते हैं:
- शनि के अशुभ प्रभाव और साढ़े साती को शांत करने में मदद मिलती है।
- आर्थिक समस्याओं को हल कर धन की प्राप्ति में सहायता मिल सकती है।
- कठिन कार्यों में सफलता प्राप्त करने और जीवन की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है।
- स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं और दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- धैर्य और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।

शनि चालीसा का पाठ
दोहा:
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
चौपाई:
जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।
सौरि मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।
रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।
पर्वतहूं तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा।
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई।
मात जानकी गई चुराई।।
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।
मचि गयो दल में हाहाकारा।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर को डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हो।
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
वैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शकंरहि गहो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनि बिलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।
बची द्रोपदी होति उघारी।।
कौरव की भी गति मति मारी।
युद्ध महाभारत करि डारी।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि पर्यो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभहानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्रा नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।
कैसे करें पाठ?
जब आप चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको श्रद्धा, विश्वास और नियम का पालन करना जरूरी है। यह करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
- सभी चीजों को साफ करें और तैयारी करें
प्रातः काल स्नान करें और उज्जवल कपड़े पहनें।
एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जहाँ पूजा करने में कोई विघ्न न हो।
पूजा का स्थान ऐसा हो, जहाँ शनिदेव की मूर्ति हो।
- पूजा की सामग्री
तेल का दिया जलाएं (सरसों का तेल प्राथमिक है)।
काले तिल, काले कपड़े, नीले फूल और लौंग उपहार में दें।
प्रसाद में गुड़ या काला चना शामिल करें।
- शनि चालीसा पाठ की विधि
सबसे पहले गणेशजी और भगवान शिव की पूजा करें।
उसके बाद शनिदेव की मूर्ति के सामने प्रणाम करें।
“ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 11 या 108 बार जप करें।
फिर शनि चालीसा का पाठ श्रद्धापूर्वक और ध्यानपूर्वक करें।
- प्रार्थना और समर्पण
पाठ के बाद अपनी समस्याओं का समाधान और कृपा की प्रार्थना करें।
प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों के साथ बाँटें और गरीबों को दान दें।
- नियमितता और अनुशासन
चालीसा का पाठ विशेष रूप से शनिवार को करें।
शनिवार को उपवास रखकर पाठ का प्रभाव बढ़ जाता है।
इस तरह से पूजा करने पर शनिदेव की क
शनि चालीसा पाठ करने के प्रमुख पर्व
इस चालीसा को पढ़ने से शनिदेव की दया और शांति प्राप्त करने का उद्देश्य होता है। विशेष अवसरों पर इसका महत्व बढ़ जाता है।
- शनिवार: शनिवार को शनिदेव को समर्पित माना जाता है। इस दिन शनि चालीसा का पाठ करने से शनि दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- शनि अमावस्या: इस दिन शनि चालीसा का पाठ करके अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम किया जा सकता है और बाधाओं को हटाया जा सकता है।
- शनि जयंती: शनि जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ हो सकता है।
- साढ़े साती: जिनको शनि की साढ़े साती का प्रभाव अनुभव हो, उन्हें शनिवार को शनि चालीसा पढ़ने की सिफारिश की जाती है।
- दीपावली अमावस्या: इस दिन चालीसा का पाठ करने से घर में सुख और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।
इन उत्सवों पर भक्ति और नियमितता के साथ शनि चालीसा का पाठ करने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

निष्कर्ष
हिंदू धर्म में, इस चालीसा का महत्व विशेष है। यह प्रभावी ढंग से शनि देव की पूजा करने का एक तरीका है, जो व्यक्ति के जीवन में आने वाली मुश्किलें और संकटों को दूर करता है।
लोग शनि देव को न्याय के देवता के रूप में पूजा करते हैं।
ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस चालीसा का वर्णन विशेष रूप से उस समय किया जाता है जब लोग शनि के प्रभाव से परेशान थे।
इस पाठ से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
इसे नियमित रूप से पढ़ने से शनि की कृपा प्राप्त होती है और कार्यों में सफलता मिलती है।
शनि चालीसा का पाठ सुबह या शाम को साफ स्थान पर बैठकर करना चाहिए, शुद्धता और श्रद्धा के साथ।
शनि अमावस्या और शनिवार के महत्वपूर्ण त्योहारों पर शनि चालीसा का पाठ विशेष रूप से फलदायक होता है।
Frequently Asked Questions(FAQs)
शनि चालीसा को पढ़ने की आवश्यकता क्यों है?
चालीसा का पाठ तब किया जाता है जब शनि देव की कृपा प्राप्त करने, कष्टों से मुक्ति, और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त करना चाहिए।
शनि चालीसा को पढ़ने का सही समय क्या होता है?
शनिवार के दिन विशेषत: इस चालीसा का पाठ करने को बहुत शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, शनि अमावस्या और अन्य महात्म्य पर्वों पर भी इसका पाठ फलदायक सिद्ध होता है।
शनि चालीसा पाठ कैसे करना चाहिए?
शनि चालीसा पाठ में श्रद्धा और विश्वास के साथ अभ्यास करना चाहिए। यह कार्य सुबह या शाम के समय, शांत स्थान पर, साफ-सुथरे होकर किया जाता है।
क्या हर दिन शनि चालीसा का पाठ करना उपयुक्त है?
जी हाँ, नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने से शनि देव की अनुग्रह प्राप्त हो सकती है। यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर शनि के अशुभ प्रभावों को दूर कर सकता है।
क्या शनि चालीसा पाठ करने से जीवन में सुधार आ सकता है?
चालीसा का नियमित जप मानसिक शांति, समृद्धि और समस्याओं से मुक्ति में सहायक होता है। यह उपाय शनि ग्रह के दोषों से बचाव और जीवन में सुख-समृद्धि लाने में मददगार माना जाता है।
अधिक जानकारी के लिए:- “शनि देव की कथा in detail”
यह भी पढ़े:- “शनि प्रदोष व्रत संपूर्ण जानकारी”