रविवार का व्रत भगवान सूर्य देव को समर्पित होता है। यह व्रत सूर्य देव के निमित्त होता है। इसे सूर्य देव की कृपा पाने के लिए, उन्हें प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि अगर सूर्य देव प्रसन्न हो जाए तो जीवन में कोई ऐसी कामना नहीं जो पूर्ण ना हो। ऐसा इसलिए भी क्योंकि शास्त्रों में सूर्य देव पंच देवों में से एक है। साथ ही ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राजा भी सूर्य देव को ही माना गया है। हमारी जन्म कुंडली में भी सबसे ज्यादा बलवान सूर्य देव होते हैं, इसलिए जन्म कुंडली में सूर्य का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। सूर्य को मजबूत करने के लिए ही हम सूर्य देव के निमित्त रविवार का व्रत धारण करते हैं। सरकारी नौकरी, मान सम्मान, प्रतिष्ठा, पुत्र प्राप्ति और जीवन के हर प्रकार के सुखों के लिए रविवार का व्रत किया जाता है। यदि आपके पिता के साथ आपके रिश्ते अच्छे नहीं है या आपके पिता का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता तो भी आपको रविवार का व्रत करना चाहिए।
कब से शुरू करें रविवार का व्रत?
भगवान सूर्य देव का रविवार व्रत आप शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार से उठा सकते हैं। शुक्ल पक्ष मतलब अमावस्या के बाद आने वाले किसी भी रविवार से आप व्रत करना शुरू कर सकते हैं।
कितनी संख्या में करना चाहिए यह व्रत?
शास्त्रों के अनुसार, हमें कम से कम लगातार 12 रविवार के व्रत करने चाहिए। यदि आप इससे अधिक व्रत करना चाहते हैं तो आप 30 रविवार के व्रत कर सकते हैं। बहुत लोग एक वर्ष या फिर 12 वर्ष का भी रविवार व्रत करते हैं और उसके बाद उद्यापन करते हैं। हालांकि सबकी अपनी-अपनी श्रद्धा होती है परंतु कम से कम 12 रविवार व्रत करना चाहिए।
पूजा विधि
जिस रविवार से आपको व्रत शुरू करना है उसे दिन प्रातःकाल जल्दी उठे। रविवार के व्रत में सूर्योदय का बहुत महत्व होता है इसलिए हमें सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। सूर्योदय होने के समय पर आपको सूर्य देव को जल देना है। इसके बहुत से फायदे होते हैं, जैसे हमारे चक्र संतुलित होते हैं एवं ग्रहण का प्रभाव अनुकूल हो जाता है।
जब हम जल देते हैं और जल की धारों से भगवान सूर्य की किरणो को देखते हैं तो हमारे शरीर की बहुत से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है, कई बड़ी से बड़ी बीमारियां समाप्त हो जाती है।
जल अर्पित करने के लिए तांबे का एक पत्र होना जरूरी है। उसे पत्र को आप शुद्ध जल से भर दीजिए। उस जल में आप थोड़ी सी रोली, हल्दी चाहे तो अक्षत और गुड़ भी डाल सकते हैं। यदि आपके पास दूर्वा या लाल पुष्प या लाल चंदन है तो आप वह भी डाल सकते हैं। यदि यह चीजे़ आपके पास उपलब्ध न हो तो आप अपने मुताबिक भी सूर्य देव को जल अर्पण कर सकते हैं। परंतु जल हमेशा तांबे के पत्र में रोली डालकर करें। जल का पात्र तैयार करने के बाद जहां से भी सूर्य देव दिखाई दे वहां जल अर्पित कर देना चाहिए। जिस स्थान पर आप खड़े होकर जल दे रहे हैं उसी स्थान पर तीन बार सूर्य देव की परिक्रमा करें। जल अर्पित करते समय आप ओम सूर्याय नमः का जाप कर सकते हैं। भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद धूप दीप दिखाकर उनकी पूजा कर लीजिए। अब अपने दाहिने हाथ पर थोड़ा सा जल और पुष्प लेकर व्रत धारण करने का संकल्प लीजिए। किस मनोकामना से कर रहे हैं और कितनी संख्या में कर रहे हैं यह यह भी आपको भगवान सूर्य देव के सामने कहना है और संकल्प लेना है।यह उनसे प्रार्थना कीजिए कि आपका व्रत बिना किसी विघ्न बाधा के हो जाए। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करें और व्रत के दौरान होने वाली किसी भी गलती की क्षमा मांगे। अब अपने दाहिने हाथ में रखे हुए पुष्प को उसी जगह पर रखें जहां पर अपने प्रार्थना करी है (आप इसे थोड़ी देर बाद हटा सकते हैं)। संकल्प लेने के बाद आज से आपका व्रत शुरू हो जाता है और आप रविवार का व्रत धारण कर सकते हैं। आपको व्रत संपूर्ण श्रद्धा भाव के साथ करना चाहिए।

व्रत के नियम
- भगवान सूर्य देव के व्रत के दिन आप लाल रंग के वस्त्र धारण करें और लाल रंग का तिलक लगाए।
- इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए और ना ही धोने चाहिए।
- व्रत में आपको दिन में सोना नहीं है इससे व्रत खंडित हो जाता है।
- ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करें।
- आप सुबह के समय मंत्रों का जाप कर सकते हैं और आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं।
भगवान सूर्य देव को भोग क्या लगाए?
सुबह सूर्य देव की पूजा के समय ही आपको उन्हें भोग लगा देना है। अपने भोग में गुड़ या फिर गुड़ से बनी हुई कोई भी खाद्य वस्तु का उपयोग कर सकते हैं। आप गेहूं के आटे और गुड़ से हलवा बनाकर भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा आप भगवान सूर्य देव को लाल फलों का भोग लगा सकते हैं जैसे कि सेब और अनार। आप अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार भोग लगाए, परंतु भगवान सूर्य देव को गुड से बनी हुई चीजे़ ज्यादा अच्छी लगती है।
रविवार व्रत में भोजन क्या करें?
भगवान सूर्य देव का रविवार का व्रत फलाहार होता है। आप फल, दूध, जूस इत्यादि लेकर अपना व्रत पूरा कर सकते हैं। सूर्यास्त से पहले भोजन किया जाता है और सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं किया जाता है। भोजन ग्रहण करते समय पहले भगवान को लगाया हुआ भोग प्रसाद खुद खाए साथ ही मीठा भोजन करें। आप गुड़ और रोटी खा सकते हैं, गुड़ का हलवा बना सकते हैं। इस दिन चीनी के बजाय आप गुड़ का सेवन करें, आप चीनी खा सकते हैं पर इस दिन गुड़ का ज्यादा महत्व रहता है। आप अपना भोजन सूर्यास्त के अनुसार करें। इस दिन आपको भूल से भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। सेंधा नमक भी नहीं खाना चाहिए। आप दिन में फलाहार कर सकते हैं लेकिन अन्न का भोजन सिर्फ एक ही बार किया जाता है।
रविवार व्रत उद्यापन
भगवान सूर्य देव का रविवार का व्रत आप अपने संकल्प के अनुसार करें और आखिरी व्रत के दिन उद्यापन करें। आखरी रविवार को आप इस तरह पूजा करेंगे जैसे आप अभी तक करते आए हैं लेकिन उद्यापन वाले दिन हवन जरूर करना चाहिए। आप चाहे तो प्रत्येक रविवार को हवन कर सकते हैं। हवन में आपको 108,11 या फिर 21 आहुतियां देनी होती है। यदि आप हर रविवार आहुति नहीं दे पाते हैं तो उद्यापन के दिन जरूर दें। आप चाहे तो ब्राह्मण बुलाकर विधि विधान से हवन करवा सकते हैं या फिर स्वयं से भी कर सकते हैं। हवन में आहुति आपको मंत्रों का जाप करते हुए देना है। अब आप किसी चीज का दान कर सकते हैं।ज्यादातर गाय का घी और लाल चंदन का दान किया जाता है।आप किसी भी लाल वस्तु का भी दान कर सकते हैं जैसे लाल वस्त्र,लाल फल आदि। आप गुड़ या सोने का भी दान कर सकते हैं। आप अपनी यथाशक्ति के अनुसार किसी भी वस्तु का दान कर सकते हैं। आखरी में आप भगवान सूर्य देव से अपनी मनोकामना की पूर्ति और भूल चुक गलतियो की क्षमा मांगे। अंत में भगवान सूर्य देव को श्रद्धा भाव से नमस्कार करना चाहिए।
ओम सूर्याय नमः