रामायण, महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया एक महान काव्य है, जो सिर्फ़ एक कहानी नहीं है, बल्कि मानवता के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी है।
यह धर्म, कर्तव्य, निष्ठा और बलिदान के उच्च मानकों को दर्शाता है।
रामायण में सात काण्ड हैं, जो भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन को विस्तार से व्यक्त करते हैं।
इस लेख में रामायण का संक्षेप सारांश प्रस्तुत किया गया है।
बालकाण्ड: रामायण का प्रारंभ
रामायण की कहानी दशरथ, अयोध्या के राजा, से शुरू होती है। दशरथ एक नैतिक राजा थे, लेकिन उन्हें संतान की अभाव की वजह से दुःख हुआ।
ऋषियों की सलाह पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया, जिससे कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा से चार पुत्र पैदा हुए: राम, भरत, और जुड़वां लक्ष्मण और शत्रुघ्न।
इनमें से राम कौशल्या के पुत्र थे और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
चारों राजकुमार बड़े होते ही शस्त्र-विद्या में निपुण हो गए।
ऋषि विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण ने राक्षस ताड़का और सुबाहु का वध किया।
उसी समय जनकपुर में आयोजित धनुष-यज्ञ में राम ने विष्णु के धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया।
अयोध्या कांड: वनवास
कुछ समय बाद, राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को अपने उत्तराधिय घोषित कर दिया।
फिर, कैकेयी ने अपनी दासी मंथरा के प्रेरणाप्रद शब्दों पर दशरथ से दो वरदान माँगे—भरत को सिंहासन और राम को १४ वर्ष का वनवास।
दशरथ जो कथित वचनों के बंधन में थे, उन्हें इन वरदानों को देना पड़ा।
राम ने अपने पिता की आदेश का पालन करते हुए वनवास स्वीकार किया।
उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ होने का निश्चय किया।
राम के वनवास और दशरथ की मृत्यु ने उनके वियोग का दुःख बढ़ा दिया।
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अरण्यकांड: रामायण में वनवास का अनुभव
राम, सीता और लक्ष्मण ने जंगल में विभिन्न ऋषियों के आश्रम जाकर उन्हें राक्षसों के दाब से मुक्त किया।
इस समय एक राक्षसी शूर्पणखा ने राम से विवाह का प्रस्ताव दिया, परन्तु राम ने इसे ठुकरा दिया।
इस पर शूर्पणखा ने क्रोधित होकर सीता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।
शूर्पणखा ने फिर अपने भाइयों, खर-दूषण और रावण, को शिकायत की।
रावण, जो लंका के राजा और एक प्रबल राक्षस थे, सीता की सुंदरता में मोहित हो गए।
उन्होंने मायावी रथ के जरिए सीता को अपहरण कर लंका ले गए।
किष्किंधाकांड: हनुमान और सुग्रीव से मित्रता
सीता की खोज में राम और लक्ष्मण दक्षिण की ओर बढ़े।
मार्ग में उनकी भेंट हनुमान से हुई, जो वानरराज सुग्रीव के मंत्री थे।
सुग्रीव ने राम को वचन दिया कि वह सीता को खोजने में सहायता करेगा।
बदले में राम ने सुग्रीव के भाई बाली का वध करके उसे किष्किंधा का राजा बनाया।
हनुमान ने सीता की खोज करते हुए लंका में प्रवेश किया।
वहाँ उन्होंने अशोक वाटिका में सीता को रावण की कैद में पाया।
हनुमान ने सीता को राम की अंगूठी दी और उन्हें आश्वासन दिया कि राम जल्द ही उन्हें मुक्त करेंगे।
सुंदरकांड: रामायण में हनुमान का पराक्रम
हनुमान ने रावण के दरबार में जाकर वहाँ से राम का संदेश सुनाया और सुझाव दिया कि सीता को वह वापस करें।
रावण ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया, जिससे हनुमान ने क्रोधित होकर लंका में आग लगा दी।
उसके बाद, हनुमान जी राम के पास जाकर सीता के बारे में जानकारी दी।
लंकाकांड: रामायण का युद्ध और विजय
राम ने वानर सेना के साथ समुद्र को पार करने के लिए एक सेतु बनाया।
सेना लंका तक पहुंची, और रावण के साथ भयंकर युद्ध हुआ।
रावण के वीर योद्धा, जैसे कुंभकर्ण और मेघनाद, मारे गए।
आखिरकार, राम ने रावण को मार डाले और सीता को छुड़ा दिये।
उत्तरकांड: रामराज्य
राम के अयोध्या में लौटने के बाद राज्याभिषेक हुआ। उनके राज्य में खुशी, शांति और समृद्धि थी।
हालांकि, थोड़ी देर बाद जनता के बीच सीता की पवित्रता पर संदेह उठने लगे।
राम ने धर्म और लोगों के हित में होकर सीता को त्याग दिया।
सीता ने वन में रहकर ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में निवास किया।
वही उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया।
राम ने बाद में अश्वमेध यज्ञ किया, जिसमें लव-कुश ने राम की सेना को चुनौती दी।
जब सच्चाई सामने आई, की लव और कुश राम सिया के ही पुत्र हैँ तो राम ने सीता को फिर से बुलाया।
सीता ने पृथ्वी माता से अपनी निष्कलंकता का साक्षात्कार कराया और मात्रभूमि में मिल गई।
राम ने अपने जीवन का अंत सरयू नदी में जल समाधि लेकर किया और अपने दिव्य स्वरूप में वापस चले गए।
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रामायण का संदेश
रामायण सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक आदर्श जीवन के लिए मार्गदर्शक है।
राम ने अपने व्यवहार से सिखाया कि धर्म, कर्तव्य और नैतिकता का पालन किसी भी परिस्थिति में छोड़ा नहीं जा सकता।
यह कथा प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान के महत्व को प्रकट करता है और हमें आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
अधिक जानकारी के लिए:- Ramayan in detail
यह भी देखें:- भागवत गीता के उपदेश