आपने बहुत से लोगों को यह कहते सुना होगा कि हम बहुत पूजा पाठ करते हैं लेकिन उसका पूर्ण फल हमें नहीं मिलता है। असल में जाने अनजाने में कुछ लोग पूजा के दौरान कई तरह की गलतियां कर बैठते हैं, जिसके वजह से उन्हें पूजा का फल नहीं मिल पाता है और पूजा अधूरी रह जाती है। ऐसे में अगर आप गलत विधियों और नियमों के साथ पूजा करते हैं तो इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है।
चलिए जानते हैं कि घर और मंदिर में पूजा करने का सही तरीका क्या है :-

- किसी भी देवी या देवता की पूजा करने से पहले स्नान किया जाता है। स्नान के पश्चात शांत मन से भगवान के सामने आसन पर बैठा जाता है। पूजा कभी भी खड़े होकर नहीं करनी चाहिए और ना ही खाली फर्श पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। कुछ लोग पूजा करते समय ज़मीन पर ही बैठ जाते हैं जो बिल्कुल गलत है। जिस तरह से आपने भगवान को बैठने के लिए आसान दिया है। ठीक उसी प्रकार स्वयं भी आसान पर ही बैठे। शास्त्रों में कंबल और कुश के आसान को पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
- इस बात का भी ध्यान रखें की पूजा का स्थान घर के फर्श से थोड़ा ऊपर होना चाहिए क्योंकि भगवान अतुल्य और श्रेष्ठ है इसलिए आप अपनी बराबरी में उनकी पूजा ना करें। पूजा के लिए भगवान को किसी चौकी में या फिर फर्श से उच्च स्थान पर स्थापित करें। इसके अलावा पूजा घर में देवी देवताओं की मूर्तियों को कभी भी दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। पूजन करते समय आपका मुंह उत्तर या फिर पूर्व की दिशा में ही होना चाहिए। घर या किसी भी मंदिर में पूजा संपन्न करने के बाद भगवान से अपनी भूल के लिए उनके समक्ष क्षमा याचना जरूर कर लेनी चाहिए। इससे परमात्मा आपके द्वारा जाने अनजाने में की गई गलती को क्षमा करते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
- पूजा घर हमेशा घर के ईशान कोण में ही रखना चाहिए। पूजा घर में किसी एक देवी देवता की मूर्ति एक से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। घर के मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति 9 इंच या 22 सेंटीमीटर से छोटी होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर में रखना शुभ नहीं माना जाता है बड़ी प्रतिमा को मंदिर में रखा जाता है। अपने बेडरूम में कभी भी पूजा घर स्थापित न करें और रात्रि के समय अपने पूजा घर को परदे से ढ़क कर रखे और पूजा घर में काम में आने वाली सभी चीजे़ जैसे शंख, घंटी, प्रसाद के बर्तन, दीपक, शिवलिंग, जनेऊ, और भगवान शालिग्राम को साफ-सुथरे कपड़े के ऊपर रखना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर हर रोज पूजा पाठ करने के बाद भी आपको उचित फल नहीं मिलता है।
- शास्त्रों में उल्लेख है कि, घर या मंदिर कहीं पर भी यदि आप सूर्यास्त के बाद रात के समय पूजा करते हैं तो इस समय ना तो शंख और घंटी नही बजानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद देवी देवता शयन के लिए चले जाते हैं और ऐसे में जगाना सही नहीं माना जाता है। इसलिए इस बात का सदैव ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद घंटी और शंकर बिल्कुल ना बजे।
- अक्सर लोग पूजा करते समय सिर्फ धूप जलते हैं लेकिन यह गलत है किसी भी देवी देवता की पूजा करने से पहले दीपक जलाना अनिवार्य माना जाता है ऐसी मान्यता है कि दीपक भगवान के प्रति हमारी भक्ति भाव, हमारे द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद, धूप और अन्य कार्यों का साक्षी होता है अगर आप पूजा करने से पहले दीपक नहीं जलाते हैं तो भगवान तक आपकी प्रार्थना कभी नहीं पहुंचती है। आज कल ज्यादातर घरो में अगरबत्ती का इस्तेमाल किया जाता है परंतु कभी भी पूजा करते वक्त अगरबत्ती का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि अगरबत्ती में बाँस की डंडी का इस्तेमाल करी जाती है। हिंदू शास्त्र में पूजा में बाँस का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। इसलिए हमेशा पूजा में दीपक का इस्तेमाल करना चाहिए।
- अपने मंदिर या पूजा घर में कभी भी नग्न मूर्तियां ना रखें। देवताओं को वस्त्र सिलकर पहनाएं। आजकल बाजार में भी देवी देवता के वस्त्र उपलब्ध है। आप चाहे तो बाजार से ले सकते हैं। हमेशा शुद्धता को ध्यान में रखते हुए ही वस्त्र धारण करवाना चाहिए। सूर्य देव, गणेश जी, मां दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु यह पंचदेव कहलाते हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जाती है। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पांच देवों का ध्यान अवश्य करना चाहिए इससे माता लक्ष्मी की कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।
- आप चाहे किसी भी देवी देवता का पूजन कर रहे हो लेकिन सर्वप्रथम हमेशा भगवान गणेश को ही प्रणाम किया जाता है किसी भी हवन या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश को प्रणाम करके ही की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश को प्रणाम किए बिना पूजा करने से उसके फल की प्राप्ति नहीं होती है।
- बिना सिर ढके पूजा नहीं करनी चाहिए। मानता है कि बिना सिर ढके पूजा करने से उसका पूर्ण फल आपको प्राप्त नहीं होता है। पूजा के दौरान सर ढकना भगवान के प्रति श्रद्धा भाव को दर्शाता है। पूजा के दौरान सिर ढकने का धार्मिक कारणो के साथ वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं। इसलिए स्त्री हो या पुरुष पूजा के दौरान सिर जरूर ढके। कभी भी भगवान को एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए हमेशा पूरी तरह सिर झुकाकर दोनों हाथों से प्रणाम करना चाहिए।
- जब भी आप पूजा करने किसी मंदिर में जाते हैं तो आपको मंदिर में मिले हुए प्रसाद को मंदिर में ही खाना चाहिए। आप चाहे तो बाकी हिस्सा घर ले जाने के लिए रख सकते हैं। यह ईश्वर के प्रति आपकी श्रद्धा का प्रतीक है। आप जब भी मंदिर जाते हैं तो आपको एक बार घंटा जरूर बजाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घंटा बजाने से आपका संदेश सीधा ईश्वर तक पहुंचता है। घर में पूजा करने के बाद शंख या घंटी बजाना महत्वपूर्ण माना जाता है।इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- हमेशा इस बात का ध्यान रखे की कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाते हैं, वह रोगी होते हैं। नहाने से पहले ही भगवान को चढ़ाने के फूल को तोड़ लेना चाहिए, नहाने के बाद फूल तोड़ने कर फूल स्वयं को चढ़ाया हुआ माना जाता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। पूजा पाठ करते समय या फिर किसी भी समय दीपक शंख भगवान की मूर्ति या तस्वीर सोने के आभूषण और शालिग्राम को कभी भी सीधे जमीन या फर्श पर नहीं रखना चाहिए।
- घर या मंदिर में पूजा के समय भगवान की आरती करते वक्त भगवान विष्णु के सामने 12 बार, सूर्य देव के सामने 7 बार, देवी दुर्गा के सामने 9 बार, शंकर भगवान के सामने 11 बार, गणेश जी के सामने 4 बार, आरती घूमनी चाहिए। इससे पूजा पाठ का सकारात्मक फल मिलता है। आपको किसी भी मंत्र का जाप करने के पश्चात आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगानी चाहिए। इससे आपको जप के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
- अगर आप किसी खास प्रायोजन के लिए कोई पूजा अनुष्ठान करते हैं तो उसमे लिए संकल्प को पूरा करने में ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए। अगर आपने कहीं किसी को दान करने का संकल्प लिया है तो उसे जितनी जल्दी हो सके पूरा कर देना चाहिए। संकल्प को पूरा करने में देरी से पूजा अनुष्ठान का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
- किसी को भी कोई वस्तु दान दक्षिणा हमेशा दाहिने हाथ से ही करनी चाहिए एकादशी, अमावस्या, कृष्ण चतुर्दशी पूर्णिमा व्रत तथा श्रद्धा के दिन बाल और दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए। जिन लोगों का यज्ञोपवित संस्कार हो चुका है उन्हें बिना जनेऊ पहने पूजा पाठ या किसी भी तरह का अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। क्योंकि बिना जनेऊ धारण किये जो भी धार्मिक कार्य किया जाता है वह निष्फल हो जाता है।
- सभी हिंदू घरों में पूजा पाठ या अन्य धार्मिक कार्य में इस्तेमाल करने के लिए गंगाजल रखा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन जैसे एल्यूमिनियम और लोहे के बने बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ माना जाता है।
- अगर आप पूजा करने के लिए मंदिर जा रहे हैं तो आपको हमेशा घर से लोटे में जल ले जाना चाहिए। कभी भी मंदिर में रखे जल से ईश्वर का जलाभिषेक नहीं करना चाहिए। जब भी आप जल चढा़कर मंदिर से वापस आए तब आपको ध्यान देना है कि जल का लोटा कभी भी खाली घर वापस न लाए। यदि आप जल भरकर मंदिर से वापस लौट आते हैं तो इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- हर रोज लक्ष्मी स्त्रोत या कनकधारा स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह धन प्राप्ति और धन संचय करने में विशेष फलदाई माना जाता है। यह एक चमत्कारिक स्रोत है जिसके पाठ से माता लक्ष्मी की आप पर कृपा बनी रहती है। इस स्रोत की खासियत यह है कि यह भी विशेष माला या पूजा पाठ की मांग नहीं करता है। पूजा अर्चना करने के बाद आप इनका पाठ कर सकते हैं। इसका पाठ करने से आपकी उन्नति होगी और धन की बचत भी होगी।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, बहुत से लोगों में आदत होती है कि खाना खाते समय पढ़ाई या काम की चीजे़ करते हैं यह बहुत अशुभ माना जाता है। यह आपके धन के साथ-साथ कई चीजों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। खाना खाते ही पाचन क्रिया शुरू हो जाती है अगर आप खाते समय पढ़ाई या फिर काम करते हैं तो इसका असर आपकी पाचन शक्ति पर भी पड़ता है जिससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं बनी शुरू हो जाती है।