हमें हर दिन अपने घर में पूजा करके घर को पवित्र रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सुबह, सबसे पहले हमें सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। उसके बाद ही आगे की पूजा करना चाहिए। फिर आपको तुलसी जी की पूजा कर लेना है।
पूजन विधि।
हर पूजा पाठ के शास्त्रों मे नियम होते हैं जिसके अनुसार हमें पूजा करनी चाहिए। हमें अपने घर का मंदिर हमेशा उत्तर या फिर पूर्व दिशा में रखना चाहिए, जिसे ‘ईशान कोण’ बोला जाता है। आप मंदिर को पश्चिम में भी रख सकते हैं। अपने मंदिर के बीच में आपको अपने इष्ट देव को रखना है। अपने मंदिर में माता रानी, लक्ष्मी नारायण, राम दरबार, बालकृष्ण और महादेव की सहपरिवार तस्वीर जरूर रखनी चाहिए। मंदिर में गणेश जी और माता रानी की दो-दो प्रतिमाएं नहीं रखी जाती है। परंतु गणेश जी कि अगर आपके पास महादेव के साथ अलग और लक्ष्मी जी के साथ अलग तस्वीरे है तो वह रख सकते हैं। अपने मंदिर में एक दक्षिणावर्ती शंख जरूर रखें, शंख में आप चावल भर दे। बालकृष्ण की तस्वीर के पास आप मोर पंख रखे। आप चाहे तो अपने मंदिर में पंचमुखी हनुमान की तस्वीर रख सकते हैं।
सबसे पहले गौरी गणेश की पूजा करनी चाहिए जिसमें पहले उन्हें स्नान कराना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पीतल की मूर्ति को प्रतिदिन स्नान कराना चाहिए। विशेष तिथियो में आप पंचामृत से स्नान कराये। लड्डू गोपाल के वस्त्रो को आप रोज न धोए क्योंकि भगवान के वस्त्र मलिन नहीं होते हैं। सभी भगवान को पीले चंदन लगाएं और माता रानी को सिंदूर लगाए। सभी भगवान को स्नान करने के बाद आप दीपक व धूपबत्ती जलाकर मंत्र व आरती गा सकते हैं। यदि आपको रोज समय नहीं मिलता है तो बुधवार और शनिवार को माता जी को सिंदूर लगाये और यदि आप सुहागन है तो उसी से अपनी मांग में भर सकते हैं। आप चाहे तो दिनों के अनुसार भगवान को टिका कर सकते हैं जैसे सोमवार को महादेव को कर दिए, गुरुवार को विष्णु भगवान को केसर का तिलक कर दीजिए। यदि आपको फुल मिलते हैं तो अर्पित कर सकते हैं ना मिले तो कोई बात नहीं। बहुत अधिक पीतल या चांदी की मूर्तियां ना रखें। क्योंकि इन्हें रोज स्नान कराना आवश्यक है इसलिए एक या दो से ज्यादा ना रखें। यदि आप पूजा करने में असमर्थ है तो अपने घर में किसी और के हाथों पूजा करवा सकते हैं। भगवान को भोग आप दो जगह लगाये एक में तुलसी पत्र न रखें और एक में रखें। महादेव को तुलसी वाला भोग ना चढ़ाए। भोग लगाते समय भगवान को भोग की कटोरी को स्पर्श कराकर भोग लगाए, और बोले प्रभु भोग ग्रहण करें। भोग लगने के बाद भगवान को पानी उतारे। भोग लगाते समय घंटी जरूर बचाए। घंटी बजाने के बाद आंख बंद करके तीन बार ताली पिटे, जिससे आपका भोग लग जाएगा।

अब आप मंत्र पाठ कर सकते हैं। पूजा कम से कम आप सवेरे 9:00 बजे तक कर लीजिए। भोग आपको पूजा खत्म होने के बाद उठा लेना है। अपने घर के मंदिर में एक लोटा जल भरकर रखना अनिवार्य होता है। अंत में आप तुलसी जी और धरती माता के पैर छुए।
