ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को एक विशेष ग्रह दोष के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ व्यक्ति के कुंडली में सूर्य, चंद्रमा, राहु, केतु आदि ग्रहों के अशुभ संयोग से हैं जो उत्पन्न हो सकता है।
इस दोष को आमतौर पर पूर्वजों की अशांति, उनके अपमान या पितरों की कोई अधूरी इच्छा के लिए एक प्रकार का संकेत माना जाता है।
इस आलेख में, हम पितृ दोष के कारण, लक्षण और उसके निवारण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पितृ दोष के कारण
- पुराने वंशज की असंतुष्टि: यदि हमारे पूर्वज किसी कारण से खुश नहीं हैं या उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली है, तो यह दोष उत्पन्न हो सकता है।
- श्राद्ध कर्म में अव्यवस्था: यदि पुर्वजों के लिए श्राद्ध या तर्पण कार्य विधिबद्ध रूप से नहीं किया गया हो।
- पितृअपकार का अपमान: यदि परिवार में किसी ने पूर्वजों का अपमान किया हो या उनकी विरासत का सही तरीके से सम्मान नहीं किया गया हो।
- कर्म सम्बंधी दोष: पिछले जन्म के बुरे कार्य भी पितृ दोष का कारण बन सकते हैं।
- ग्रहों की स्थिति: कुंडली में सूर्य, चंद्रमा, राहु या केतु की अशुभ स्थान।
पितृ दोष के लक्षण
यदि आपके घर में पितृ दोष लगा हुआ है तो आपको निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:-
- परिवार में बार-बार स्वास्थ्य समस्याएं आना।
- संतान प्राप्ति में रुकावट।
- अचानक धन की कमी।
- करियर और शिक्षा में बाधाएं।
- घर में तंगी और मानसिक अस्तित्व।
- शादी में देरी या पति-पत्नी के जीवन में कठिनाइयाँ।
- परिवार में किसी की अनिरीक्षित मृत्यु।
पितृ दोष निवारण के लिए उपाय
यदि आपके घर में पितृदोष के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं तो आपको निम्नलिखित उपायों को करके इसे जल्द ही खत्म करना चाहिए
पितृ पूजा और तर्पण कार्य
पितृ पक्ष में अपने पितरों के लिए उचित रीति-रिवाज से पितृ पूजा और तर्पण करना पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने का प्रमुख उपाय है।
पितरों की पूजा के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना।
पितृ पक्ष में सेवाएँ
पितृ पक्ष के दौरान आवश्यकतामंद लोगों को भोजन, कपड़े, और धन का अनुदान करना।
गौ माता की सेवा, तुलसी की पूजा, और गरीबों की मदद करना।
पवित्र स्थल पर उपासना
गंगा नदी या किसी अन्य पूजनीय नदी के किनारे जाकर पितरों की आत्मा के शांति के लिए पूजा करना।
“ॐ पितृभ्यो नमः” मंत्र का जाप करना।
पितृ दोष निवारण मंत्र
नियमित रूप से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करना:
“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।”
बरगद के पेड़ की पूजा
वट के वृक्ष के नीचे एक दीपक जलाकर पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करना।
बरगद के पेड़ को जल चढ़ाना और परिक्रमा करना।

गाय को चारा व रोटी दे
गाय को अनियमित समय समय पर हरा चारा और रोटी खिलाने का कार्य किया जाना चाहिए।
यह क्रिया पितरों को आनंदित करती है और उनकी कृपा प्राप्त हो जाती है।
पंचबली कर्म
पंचबलि कर्म में पांच प्राणियों (गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और मनुष्य) को खाना पिलाने की प्रक्रिया शामिल है।
यह कर्म घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
पवित्र स्थलों पर पिंडदान
काशी, गया और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों में जाकर पिंडदान और तर्पण करना चाहिए।
गया में पिंडदान को पितरों की दोष मुक्ति के लिए अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

धार्मिक ग्रंथो का पाठ करें
भगवद गीता, रामायण और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना उचित है।
यह उपाय बस पितृ दोष को नहीं दूर करता है, बल्कि घर में आध्यात्मिकता को बढ़ाता है।
दान पुण्य करें
पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए अनाज, कपड़ा, धन और धार्मिक पुस्तकें दान में देना चाहिए।
पितृ दोष में सावधानियां
- यथाशक्ति श्राद्ध और तर्पण कार्य ज्ञानी पंडित से सम्पन्न कराएं।
- कुटुंब के सभी सदस्यों को पुरखों की सम्मान और आदर बनाए रखें।
- हर अमावस्या को पितरों के लिए दीप प्रज्वलित करें।
- पितृ दोष को दूर करने के लिए पूजा में निष्ठा और भक्ति जगाएं।

पितृ दोष निवारण से संबंधित इन बातों का रखें ध्यान
- पितृ दोष एक प्रकार की दोष नहीं है, वास्तव में यह एक संकेत है कि पितरों की उम्मीदें आप पर निर्भर करती हैं।
- यह दोष कुंडली में राहु, केतु और सूर्य के अशुभ प्रभावों को बढ़ा देता है।
- पितृ दोष के उपाय न केवल दोष को सुलझाते हैं, बल्कि पितरों की आशीर्वाद भी प्राप्त कराते हैं।
निष्कर्ष
पितृ दोष एक महत्वपूर्ण समस्या है, लेकिन इसके निकालने के उपाय भी हमारे धर्मशास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र में विस्तार से बताए गए हैं।
यदि सही तरीके से श्राद्ध, तर्पण और अन्य उपाय किए जाएं, तो पितृ दोष का प्रभाव मिटाया जा सकता है।
यह कमी सिर्फ ग्रह स्थितियों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमें समझाने के लिए भी है कि हमारे पूर्वजों का हमारे जीवन पर कितना बड़ा प्रभाव है।
अपने प्रार्थनाओं से पितरों की स्मृति का सम्मान करें, उनकी आत्मा के लिए प्रयासरत रहें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य और सुखमय बनाएं।
जाने, पितृ दोष कितनी पीढ़ियां तक रहता है और कितनी पीढ़ियों को पितरों का श्राद्ध करना चाहिए?