पशुपति व्रत हमेशा पूर्णिमा के दिन जो सोमवार हो उसी दिन से शुरू करना चाहिए और अगर ऐसा संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार से व्रत प्रारंभ कर देना चाहिए। अगर यह भी नहीं हो सके तो जो सोमवार से मन में पशुपति व्रत शुरू करने का विचार है उसी सोमवार से पशुपति व्रत प्रारंभ कर देना चाहिए।
पशुपति व्रत करने से मनुष्य के जीवन में चल रही सभी समस्याओं का अंत हो जाता है क्योंकि आपको पता होगा कि पशुपति अस्त्र एक अमोघ अस्त्र है जिसका वार कभी खाली नहीं जाता इसी प्रकार पशुपति व्रत करने वाले की मनोकामना कभी खाली नहीं जाती।
तो चलिए, जान लेते हैं पशुपति व्रत के बारे में विस्तृत जानकारियाँ।
Watch on YouTube: Pashupati Vrat Ki Vidhi | पशुपति व्रत की संपूर्ण पूजा विधि एवं नियम
पशुपति व्रत करने के लाभ | Pashupati Vrat Ke Labh
पशुपति व्रत मात्र पांच व्रत किया जाता है जिससे मनुष्य के दुर्लभ से दुर्लभ मनोकामनाओं की सिद्धी होने लगती है। पशुपति अस्त्र के समान पशुपति व्रत भी अमोघ है तथा इसे करने में किसी प्रकार की कठिनाई भी नहीं आती है क्योंकि इसे मात्र पांच की संख्या में ही किया जाता है। पांचवे व्रत में ही उद्यापन किया जाता है इसलिए यह काफी असरदार और आसान व्रत होता है।
पशुपति व्रत के नियम | Pashupati Vrat Ke Niyam
(i). पशुपति व्रत करने वाले को सर्वप्रथम सुबह जल्दी जागना चाहिए।
(ii). पशुपति व्रत करने वाले को एक थाली ज़रूर लेना चाहिए। थाली में ही पूजा की सभी सामग्रियाँ लेकर शिवालय में जाना चाहिए।
(iii). ध्यान रहे जिस थाली से सुबह पूजन करना है उस थाली को वापस सुबह के पूजन के बाद धोना नहीं है। उस थाली में पूजा की सभी सामग्रियां लेकर और पांच दीपक लेकर शिवालय में जाना चाहिए।
(iv). व्रत करने वाले को मन, कर्म तथा वचन से शुद्ध होना अनिवार्य है।
पशुपति व्रत की पूजा सामग्री | Pashupati Vrat Ki Samagri
पीतल, तांबे या कांसे की एक थाली, सफेद चंदन, फूल, बेलपत्र, नंदी जी के लिए दूर्वा, आंकड़े का फूल और पत्ता, शमी का फूल और पत्ता, पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, साफ जल जिसमे गंगाजल मिश्रित हो, बेलपत्र, भोग, प्रसाद के लिए कुछ सामग्री जैसे रोली, चंदन, घी का एक दिया, भस्म, इत्र, कलवा, जनेऊ इत्यादि।
Watch on YouTube: Pashupati Vrat Ki Thali Kaise Taiyaar Karen | पशुपति व्रत की थाली तैयार करते समय किन बातों का ध्यान रखें
पशुपति व्रत की पूजा विधि | Pashupati Vrat Ki Puja Vidhi
पशुपति व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में जागकर अपने सभी दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होकर घर में अपने देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद एक थाली तैयार करें जिस थाली में उपरोक्त सामग्रियों को सजा लें और इसे लेकर किसी भी शिव मंदिर ज़रूरी है। यदि व्यवस्था दूर हो और न जा सकें तो घर पर भी यह पूजन कर सकते हैं परंतु इस पूजन को जल्दी फलीभूत करना है तो आप अवश्य किसी शिव मंदिर जाएँ।
सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ को गंगाजल मिले हुए जल से स्नान कराएं इसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से एक -एक करके सभी चीजों से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें। जब सभी अभिषेक पूर्ण हो जाए तो अंत में फिर स्वच्छ जल से महादेव को स्नान कराएं।
तत्पश्चात भोलेनाथ का श्रृंगार करेंगे। इसके बाद उन्हें सबसे पहले इत्र लगाएंगे फिर चंदन लगाएंगे उसके बाद जनेऊ पहनाएंगे तथा अंत में वस्त्र स्वरूप मौली उन्हें अर्पित करेंगे। इसके बाद फूल या फूलों की माला जो आप ले गए हों वह चढ़ाएंगे इसके साथ ही शमी पत्र और बेलपत्र भी ज़रूर चढ़ाएं। आंकड़े के पत्ते या फूल भी चढ़ाने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
इन सबके बाद घी का एक दीपक भी प्रज्वलित करें। भोग के लिए जो भी सामग्रियां ले गए हैं वह भोग स्वरूप में वहां पर अर्पित करें। मंदिर में अलग से गौरी-गणेश और कार्तिकेय जी हैं तो उनका भी पूजन करें और अगर आप सुहागत हैं तोह आप गौरी माता को सिन्दूर भी ज़रूर अर्पित करें। अंत में किसी भी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इस प्रकार आपकी सुबह की पूजा पूर्ण हो गई।
पशुपति व्रत में शाम की पूजा विधि | Pashupati Vrat ke Shaam Ki Puja Vidhi
पशुपति व्रत में जो सुबह पूजन के लिए आप थाली ले गए हैं उस थाली को बिना धोए रख दें। जो सामग्रियाँ बची हुई हैं उसे उसी प्रकार रहने दें और उसी से शाम को भी भोलेनाथ की पूजा करें। शाम को अभिषेक करना आवश्यकता नहीं है, केवल अपने घर में कोई भी भोग की सामग्री बना लें जैसे सूजी का हलवा बना सकते हैं, खीर बना सकते हैं, मालपुआ बना सकते हैं या चूरमा भी बना सकते हैं। उसके बाद घी के 6 दिए अपने साथ लेकर मंदिर जाएँ। मंदिर जाकर पांच दिए वहां जला दें। भोलेनाथ को जो प्रसाद आप ले गए हैं उस प्रसाद के तीन हिस्से करें, दो हिस्से मंदिर में छोड़ दें और एक हिस्सा स्वयं के लिए उठाकर घर ले आएं और उस प्रसाद को पूजा के बाद स्वयं ग्रहण करें और भूल से भी उसे किसी अन्य व्यक्ति को ना दें। प्रसाद ग्रहण करने से पहले पांच दिए मंदिर में प्रज्वलित करें और एक दिए को बिना जलाए अपने घर आएं और इस दिए को घर की चौखट पर यानी आप अपने घर की तरफ मुंह कर लें और फिर आपका दाहिना हाथ जिधर है इस दाहिनी हाथ की तरफ घर की चौखट पर घी का एक दिया जला दें और भोलेनाथ को प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति की कामना करें फिर घर में आकर वह जो तीसरा हिस्सा आप मंदिर से ले आए हैं उसे ग्रहण कर लें। इस प्रकार आपकी शाम की पूजा भी पूर्ण हो गई।
पशुपति व्रत की उद्यापन विधि | Pashupati Vrat Ki Udhyapan Vidhi
पशुपति व्रत का उद्यापन व्रत के पांचवें दिन ही किया जाता है। उद्यापन की सारी विधि सामान्य वही रहेगी जो हम प्रतिदिन पूजा करते हैं, पांच दीपक जलाते हैं प्रसाद का तीन हिस्सा करते हैं उसके अलावा एक काम और करना होता है उद्यापन दिन, थोड़ा सा सीधा (कच्चा अनाज) ले लिया जाता हैम, एक नारियल पर पांच बार कलावा लपेटकर 11 या 21 रुपए शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने के उसे रखकर प्रार्थना करके फिर उसे दक्षिणा स्वरुप सीधा किसी ब्राह्मण को देकर चले आते हैं। बस यही है व्रत की उद्यापन विधि और इस प्रकार व्रत करने से महादेव सभी कामनाएं पूर्ण कर देते हैं। उम्मीद करती हूं यह जानकारी आपको बहुत पसंद आई होगी।
धन्यवाद
*Red Color In The Article Denotes Important Points.
Har har Mahadev didi,
Mera naam shivangi h meri baat Hui thi aapse apne husband k bare me apne bataya tha k Roz Vishnu sahasranama ka path karna h aur 5 dohe daily sundarkand k aur ghr me 2 laung aur Kapoor ka dhua karna h.
Didi ye kitne din Tak karna h.
Aur iske alawa aur kya upay h jo kar sakte h.
Jaise pashupatinath vidhi apne bahut ache se batai hai aise hi pradosh vrat ka gyan pradan karne ki kripa karein.