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Reading: Parshuram Jayanti पर ऐसे करे भगवान परशुराम का पूजन: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शन
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Marg Darshan > Blog > Puja Vidhi > Parshuram Jayanti पर ऐसे करे भगवान परशुराम का पूजन: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शन
Puja VidhiVrat

Parshuram Jayanti पर ऐसे करे भगवान परशुराम का पूजन: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शन

Anushka Mishra
Last updated: April 13, 2025 6:11 pm
By Anushka Mishra
7 Min Read
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परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है।

Contents
परशुराम जयंती का महत्वपूजा से पहले आवश्यक तैयारियांभगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र की स्थापनापूजा की विधि और मंत्र जापउपवास और संयम की महिमाविशेष उपाय और धार्मिक अनुष्ठानपरशुराम जयंती के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलूनिष्कर्ष

यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहते हैं।

भगवान परशुराम को ब्राह्मणों का रक्षक और दुष्टों का संहारक माना जाता है।

इस दिन विधिपूर्वक परशुराम जी की पूजा करने से जीवन में शांति, साहस और धर्म की स्थापना होती है।

इस लेख में हम परशुराम जयंती के दिन की जाने वाली पूजा विधि और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

परशुराम जयंती का महत्व

परशुराम जी का जन्म धरती पर बुराई और अत्याचार को समाप्त करने के लिए हुआ था।

वे विष्णु के छठे अवतार हैं और एकमात्र ऐसे अवतार माने जाते हैं जो अमर हैं।

उनका जीवन क्षत्रियों के अत्याचारों को समाप्त करके धर्म की पुनः स्थापना का प्रतीक है।

परशुराम जयंती का पर्व शक्ति, साहस, ज्ञान और तप की प्रेरणा देता है।

इस दिन की गई पूजा मनोबल बढ़ाती है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती है।

यह पर्व विशेष रूप से ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

विद्यार्थियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए यह दिन विशेष फलदायी होता है।

भगवान परशुराम

पूजा से पहले आवश्यक तैयारियां

परशुराम जयंती के दिन पूजा शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए।

सबसे पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।

उस पर भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

पास में पंचामृत, फूल, चंदन, अक्षत, दूर्वा, फल, मिठाई, नारियल आदि रखें।

व्रत रखने वालों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

विधिपूर्वक आचमन और प्राणायाम करके मन को शांत करें और पूजा के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाएं।

भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र की स्थापना

परशुराम जयंती पर शुभ मुहूर्त में भगवान की मूर्ति या चित्र को उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित करें।

मूर्ति को जल से स्नान कराएं और फिर पंचामृत से अभिषेक करें।

अभिषेक के बाद उन्हें पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ और नए वस्त्र पहनाएँ।

उन्हें चंदन, साबुत चावल, हल्दी और फूल चढ़ाएँ।

भगवान परशुराम के हाथ में एक फरसा है, जिसे उनके सामने रखना चाहिए।

उनके चरणों में फूल चढ़ाएँ और दीपक जलाएँ।

इस प्रकार मूर्ति की स्थापना के साथ पूजा शुरू होती है।

पूजा की विधि और मंत्र जाप

पूजा के समय सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान करें और फिर नौ ग्रहों की पूजा करें।

इसके बाद भगवान परशुराम का ध्यान करते हुए “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र का जाप करें।

उन्हें फूल, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही तुलसी के पत्ते, बेलपत्र और दूर्वा भी चढ़ाएँ।

“ॐ श्री विष्णुवे नमः” और “ॐ क्षत्रियान्तकाय विद्महे रामदूताय धीमहि तन्नो परशुरामः प्रचोदयात्” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

खीर, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। आरती करें और हाथ जोड़कर आशीर्वाद मांगें।

यह भी पढ़े: श्री परशुराम चालीसा

उपवास और संयम की महिमा

परशुराम जयंती पर व्रत रखना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

जो व्यक्ति इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखता है, उसे भगवान परशुराम की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

यह व्रत व्यक्ति को आत्मविश्वास, साहस और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है।

व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन सात्विक विचारों के साथ रहना चाहिए और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए।

शाम को भगवान की आरती और भजन करें और शाम को फलाहार या भोजन ग्रहण करके व्रत का समापन करें।

इस व्रत को करने से पितृ दोष, क्रोध और अन्य मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।

अधिक जानकारी के लिए: परशुराम जयंती के दिन के व्रत की सम्पूर्ण विधि

विशेष उपाय और धार्मिक अनुष्ठान

परशुराम जयंती के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

इस दिन ब्राह्मणों को दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है।

खास तौर पर फरसा (लोहे का छोटा औजार), अन्न, वस्त्र, तांबा और चंदन का दान करें।

पुराने शत्रुओं से मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा और परशुराम स्तोत्र का पाठ करें।

साथ ही अपने कुलदेवता की पूजा भी करें।

संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को इस दिन शिव-पार्वती और परशुराम जी की पूजा करनी चाहिए।

इस दिन किए गए यज्ञ, हवन और जप से कई गुना अधिक फल मिलता है।

हवन

परशुराम जयंती के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू

परशुराम जयंती न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि एक सांस्कृतिक आयोजन भी है।

इस दिन कई स्थानों पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें परशुराम जी की झांकियां सजाई जाती हैं।

ब्राह्मण समाज इस दिन सामूहिक यज्ञ और सत्संग करता है।

शिक्षण संस्थानों में उनके जीवन और योगदान पर भाषण, निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में कथा-प्रवचन, भजन-कीर्तन और विशेष भंडारों का भी आयोजन किया जाता है।

यह पर्व सामाजिक समरसता, धर्म की रक्षा और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालता है।

निष्कर्ष

परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम की पूजा करना एक महान आध्यात्मिक अनुभव है।

यह पर्व धर्म, न्याय और साहस का प्रतीक है। सही तरीके से पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास, निर्भयता और शांति आती है।

भगवान परशुराम को याद करने से समाज को अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा मिलती है।

अगर इस दिन श्रद्धा और नियम से पूजा की जाए तो यह जीवन को एक नई दिशा देती है।

ऐसे त्योहार हमारे जीवन में धर्म और संस्कृति की गहराई को फिर से जगाते हैं।

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ByAnushka Mishra
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