पापमोचनी एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है।
इसके नाम से ही पता चलता है कि यह व्रत व्यक्ति के पापों का नाश कर उसे मोक्ष प्रदान करता है।
यह एकादशी व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इस व्रत का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है और इसे करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पापमोचनी एकादशी का पौराणिक महत्व
पौराणिक ग्रंथों में इस एकादशी का विशेष महत्व है।
पद्म पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से बड़े से बड़े पाप भी समाप्त हो जाते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा चित्ररथ के राज्य में एक तपस्वी ऋषि का पुत्र स्त्रियों के प्रेम में फंस गया और अपने सभी पुण्यों को नष्ट कर दिया।
जब उसने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया तो वह अपने धर्म के मार्ग पर वापस आ गया और मोक्ष प्राप्त किया।
इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्त हो जाता है, इसलिए यह बहुत ही प्रभावशाली और लाभकारी व्रत माना जाता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत मार्च 2025 तिथि व मुहूर्त
पापमोचिनी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त:
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 05:05 मिनट पर होगी और तिथि का समापन अगले दिन यानी 26 मार्च को देर रात 03:45 मिनट पर होगा।
पापमोचनी एकादशी व्रत की सम्पूर्ण विधि
इस व्रत को करने के लिए कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
दशमी तिथि (एक दिन पहले की तैयारी)
दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और मन को शुद्ध रखें।
रात को जल्दी सोएं और बुरे विचारों से बचें।
एकादशी पर व्रत और पूजा विधि
स्नान और संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
पूजा सामग्री:
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
तुलसी के पत्ते, फल, पंचामृत, धूप, दीप, नैवेद्य, गंगा जल
विष्णु सहस्रनाम पाठ: पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता का पाठ करें।
भजन और कीर्तन: दिन भगवान श्री हरि के भजन और कीर्तन गाएं और आध्यात्मिक चर्चा में समय व्यतीत करें।
रात्रि जागरण: इस एकादशी पर जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
द्वादशी तिथि को पारण (व्रत तोड़ना)
ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर व्रत तोड़ें।

पापमोचनी एकादशी व्रत नियम
- आहार नियम
इस दिन भोजन न करें। फल खाएं या जल पर उपवास रखें।
व्रत के दौरान मांस, लहसुन, प्याज, शराब आदि तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
केवल सात्विक भोजन जैसे दूध, फल, मेवा और फल खाएं।
- आचरण और व्यवहार नियम
क्रोध, झूठ, चोरी, चुगली आदि से बचें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और अपने विचारों को शुद्ध रखें।
जरूरतमंदों की मदद करें और यथासंभव दान दें।
- आध्यात्मिक नियम
इस दिन केवल भगवान विष्णु की पूजा करें और किसी अन्य देवता की पूजा न करें।
यदि संभव हो तो मंदिर जाएं और भगवान विष्णु के दर्शन करें।
इस दिन कम से कम 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
पापमोचनी एकादशी व्रत के लाभ
- पापों से मुक्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति का मन शांत होता है और वह आध्यात्मिक रूप से उन्नति करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: यह व्रत शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- विवाह और संतान सुख: यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिन्हें विवाह या संतान से संबंधित समस्याएं हैं।
पापमोचनी एकादशी व्रत से जुड़ी खास बातें
- धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख: इस एकादशी का उल्लेख कई पुराणों में किया गया है।
- श्री हरि का विशेष दिन: यह दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है।
- आस्था और भक्ति का महत्व: इस व्रत को सच्ची आस्था और भक्ति के साथ करने पर ही फल की प्राप्ति होती है।
- जरूरतमंदों की मदद करना: इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

निष्कर्ष
पापमोचनी एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है जो न केवल व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाता है बल्कि मोक्ष भी प्रदान करता है।
जो भक्त इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं, उन्हें आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान विष्णु का आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
इस व्रत को रखने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ रखना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।