नवरात्रि शक्ति साधना और देवी उपासना का पर्व है।
ये नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित हैं।
नवरात्रि में विशेष रूप से पाठ करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, भक्त के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि के दौरान किए गए पाठ का फल कई गुना बढ़ जाता है।
इन दिनों में शक्ति के विभिन्न रूपों की पूजा करने से जीवन की समस्याएं समाप्त होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।
यहां नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले कुछ सबसे महत्वपूर्ण पाठों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

दुर्गा सप्तशती पाठ
दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ देवी महात्म्य ग्रंथ का एक हिस्सा है ।
इसमें मां दुर्गा की महिमा, उनकी लीलाओं और राक्षसों पर उनकी विजय का वर्णन किया गया है।
यह ग्रंथ सात सौ श्लोकों में विभाजित है तथा इसमें तीन खंड हैं-
- प्रथम चरित्र (महात्म्य)- इसमें महर्षि मेधा राजा सुरथ तथा एक व्यापारी को देवी महिमा की कथा सुनाते हैं।
- मध्यम चरित्र (मधु-कैटभ तथा महिषासुर वध)- इसमें विष्णु द्वारा मधु-कैटभ तथा दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की कथा है।
- उत्तर चरित्र (शुम्भ-निशुम्भ वध)- इसमें मां कात्यायनी के स्वरूप की महिमा तथा उनकी विजय का वर्णन है।
विधि:
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां दुर्गा की मूर्ति अथवा चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
संकल्प लें तथा लाल पुष्प, चंदन, धूप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
संपूर्ण सप्तशती का पाठ करें या कम से कम कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ के बाद देवी दुर्गा की आरती करें और प्रसाद बांटें।
यदि संपूर्ण पाठ करना संभव न हो तो 3 दिन या 9 दिन तक पाठ करें।
लाभ:
सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
व्यापार में उन्नति और धन की प्राप्ति होती है।
नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
देवी महात्म्य पाठ
देवी महात्म्य पाठ को चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है।
यह पाठ ब्रह्मांड में शक्ति के कार्य और प्रभाव को समझने के लिए किया जाता है।
इसे पढ़ने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और देवी की कृपा बनी रहती है।
विधि:
स्वच्छ वस्त्र पहनकर माता की तस्वीर के सामने बैठें।
लाल आसन पर बैठकर पाठ करें।
पाठ के दौरान माता को लाल फूल, चावल और कुमकुम चढ़ाएं।
पाठ के बाद “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र का जाप करें।
अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
लाभ:
इस पाठ से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आती है।
समस्याएं और शत्रु नष्ट होते हैं।
आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
श्री दुर्गा चालीसा पाठ
दुर्गा चालीसा 40 छंदों में रचित एक स्तोत्र है, जिसमें देवी दुर्गा के स्वरूप, उनकी शक्ति, लीलाओं और कृपा का वर्णन किया गया है।
यह पाठ उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते।
विधि:
इसका पाठ सुबह और शाम दोनों समय करना शुभ माना जाता है।
पाठ के समय मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं।
पाठ के बाद दुर्गा जी की आरती करें और मीठा प्रसाद चढ़ाएं।
लाभ:
यह पाठ सभी प्रकार के संकटों और रोगों से बचाता है।
शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
श्री रामचरितमानस से सुंदरकांड पाठ
सुंदरकांड भगवान हनुमान की वीरता और उनकी भक्ति का प्रतीक है। इसका पाठ करने से व्यक्ति की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
विधि:
मंगलवार या शनिवार का दिन पाठ के लिए सबसे अच्छा है।
हनुमान जी के सामने बैठकर भक्ति भाव से पाठ करें।
पाठ पूरा होने के बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
लाभ:
भय, बाधाएं और रोग दूर होते हैं।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
देवी दुर्गा और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र
श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है, जिन्हें सृजन, पालन और संहार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
इस स्तोत्र में उनके 1000 नामों का वर्णन है, जो भक्त को सिद्धियों और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो मानसिक शांति, धन, समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति चाहते हैं।
विधि:
पाठ करने के लिए, सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
माँ ललिता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
“ॐ ललितायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए संकल्प लें।
पाठ के दौरान गुलाब के फूल और केसर मिला जल चढ़ाएँ।
पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें और सफेद मिठाई का भोग लगाएँ।
लाभ:
मन की शांति और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है।
व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है।
जीवन में सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
मानसिक और शारीरिक रोग दूर होते हैं।
देवी कवच पाठ
देवी कवच पाठ को दुर्गा सप्तशती का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है।
यह पाठ विशेष रूप से साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और दुर्घटनाओं से बचाने के लिए किया जाता है।
यह पाठ आध्यात्मिक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है और साधक को अद्भुत शक्ति प्रदान करता है।
विधि:
इस पाठ को करने से पहले स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनें।
मां दुर्गा का ध्यान करें और उनकी तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
पाठ के दौरान तांबे के बर्तन में पानी रखें और पाठ समाप्त होने के बाद इसे पीएं।
इस पाठ के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती करें।
लाभ:
साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है।
दुर्घटनाओं और अनहोनी से बचाव होता है।
शरीर और मन को शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि इस पाठ से नौकरी, व्यापार और पारिवारिक जीवन में सफलता मिलती है।
श्री अर्गला स्तोत्र और कीलक स्तोत्र
अर्गला स्तोत्र और कीलक स्तोत्र दोनों ही दुर्गा सप्तशती के महत्वपूर्ण अंग हैं।
अर्गला स्तोत्र का पाठ देवी की स्तुति में किया जाता है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है, जबकि कीलक स्तोत्र में देवी की सिद्धियाँ प्राप्त करने की विधि बताई गई है।
विधि:
पाठ से पहले माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएँ।
लाल चंदन और अक्षत (चावल) चढ़ाकर संकल्प लें।
सबसे पहले अर्गला स्तोत्र का पाठ करें और फिर कीलक स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ समाप्त होने के बाद “ॐ दुं दुर्गाये नमः” मंत्र का जाप करें।
अंत में दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती करें।
लाभ:
साधक को देवी की विशेष कृपा और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
मानसिक शांति और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
इस पाठ से शत्रु बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
भगवती अष्टक स्तोत्र
भगवती अष्टक स्तोत्र मां दुर्गा के आठ स्वरूपों की स्तुति में रचित है। इस पाठ से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं तथा साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है।
विधि:
नवरात्रि में भगवती आष्टक पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध भावना से देवी की पूजा करें।
पाठ के दौरान मां दुर्गा को लाल फूल, कपूर तथा धूप अर्पित करें।
पाठ के बाद दुर्गा चालीसा तथा दुर्गा सप्तशती की कुछ चौपाइयां पढ़ें।
लाभ:
इस पाठ से मानसिक तथा शारीरिक शांति मिलती है।
जीवन की सभी कठिनाइयां दूर होती हैं।
व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र दुर्गा सप्तशती का एक बहुत ही शक्तिशाली पाठ है, जिसमें मां दुर्गा के बीज मंत्र सम्मिलित हैं।
इसका पाठ करने से साधक को दुर्गा सप्तशती का पूर्ण लाभ मिलता है।
यह स्तोत्र जीवन की सभी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम माना जाता है।
विधि:
इस पाठ को विशेष रूप से नवरात्रि में 9 दिनों तक करना बहुत शुभ माना जाता है।
पाठ के दौरान “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र का जाप करें।
पाठ समाप्त होने के बाद मां दुर्गा को प्रसाद चढ़ाएं।
लाभ:
सभी बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
देवी की कृपा से साधक को आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
यह पाठ विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं और जादू-टोने से बचाता है।
श्री अन्नपूर्णा स्तोत्र
श्री अन्नपूर्णा स्तोत्र देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है, जिन्हें अन्न, धन और समृद्धि की देवी माना जाता है।
इसका पाठ करने से जीवन में कभी भी अन्न, धन या शांति की कमी नहीं होती है।
विधि:
विशेष रूप से अष्टमी या नवमी का दिन पाठ के लिए श्रेष्ठ है।
देवी अन्नपूर्णा को फल, मिठाई और भोजन का भोग लगाएं।
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर पुण्य कमाएं।
लाभ:
परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती।
साधक के घर में अन्न, धन और समृद्धि स्थाई रूप से निवास करती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि में विशेष पाठ करने से साधक को न केवल आध्यात्मिक उन्नति मिलती है, बल्कि जीवन की समस्याओं का समाधान भी होता है।
प्रत्येक पाठ का अपना विशेष महत्व है और उन्हें साधक की आवश्यकता के अनुसार ही करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती और देवी महात्म्य का पाठ करने से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियां और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
यदि कोई व्यक्ति संपूर्ण पाठ न कर सके तो कम से कम दुर्गा चालीसा, सुंदरकांड और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
इन पाठों से जीवन की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा साधक को अपार आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
जो भक्त नवरात्रि के दौरान इन पाठों का श्रद्धापूर्वक तथा विधिपूर्वक पालन करते हैं, उन्हें देवी दुर्गा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है तथा उनका जीवन सुखमय तथा समृद्ध बनता है।
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