नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रतिदिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
इनका स्वरूप तप, संयम और आत्मबल का प्रतीक माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को अटूट धैर्य, संयम और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
इस लेख में हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, महत्व, स्वरूप, मंत्र, नैवेद्य, ज्योतिषीय प्रभाव और विशेष उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और विशेषताएं
मां ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- “ब्रह्मा” अर्थात तपस्या और “चारिणी” अर्थात आचरण करने वाली। अर्थात ये ब्रह्म (तपस्या) का पालन करने वाली देवी हैं।
स्वरूप की विशेषताएं:
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सौम्य और तपस्वी जैसा है।
वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक है।
उनके एक हाथ में जप माला (रुद्राक्ष माला) है, जो ध्यान और साधना का संकेत देती है।
दूसरे हाथ में कमंडल है, जिसे त्याग और संयम का प्रतीक माना जाता है।
वे नंगे पैर रहती हैं, जिससे उनकी कठिन तपस्या और सादगी का बोध होता है।
मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसी कारण उन्हें साधना और तपस्या की देवी माना जाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा सुबह या शाम के शुभ समय में करनी चाहिए।
खास तौर पर ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 6:00 बजे) में पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है।
पूजा सामग्री:
माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र
सफेद फूल (खास तौर पर चमेली या मोगरा)
चावल, रोली, अक्षत, कुमकुम और चंदन
गंगा जल से भरा कलश
दूध, दही, शहद और घी (पंचामृत)
शुद्ध घी का दीपक
रुद्राक्ष की माला
कमंडल और पीले फल (केला, आम)
मिश्री और गुड़ का भोग

पूजा विधि:
- स्नान और संकल्प: सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का संकल्प लें और मन ही मन उन्हें प्रणाम करें।
- कलश स्थापना: तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल डालें।
- माता का आह्वान: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। उन्हें कुमकुम, अक्षत, चंदन और फूल अर्पित करें।
- धूप-दीप प्रज्वलन: दीप जलाएं और धूप या अगरबत्ती लगाएं।
- मंत्र जप: मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें (मंत्र नीचे दिए गए हैं)।
- अभिषेक: मां को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं।
- भोग अर्पण: उन्हें मिश्री, गुड़ और पंचामृत का भोग लगाएं।
- आरती और प्रार्थना: मां की आरती करें और उनसे बुद्धि, धैर्य और संयम के लिए प्रार्थना करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ: नवरात्रों में माता रानी को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के मंत्र
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।
ध्यान मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धारयां ब्रह्मचारिणीम्।।
स्तोत्र पाठ:
तप्तमग्निसमाकाशां निराधारां निरञ्जनाम्।
नादबिन्दुकलातीतां तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और आत्मबल की प्राप्ती होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व साधना, तप और संयम से जुड़ा है।
पूजा के लाभ:
जीवन में धैर्य और आत्मविश्वास बढ़ता है।
मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएँ समाप्त होती हैं।
विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को विशेष लाभ मिलता है।
वैवाहिक जीवन में शांति और स्थिरता आती है।
माँ ब्रह्मचारिणी के ज्योतिषीय प्रभाव
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से चंद्र ग्रह मजबूत होता है।
जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर या अशुभ है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए।
चंद्रमा से संबंधित दोष (जैसे मानसिक अस्थिरता, भय, निर्णय लेने में असमर्थता) को दूर करने के लिए इस दिन सफेद कपड़े पहनकर पूजा करें।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा कन्या और तुला राशि के लोगों के लिए बहुत शुभ है।
नवरात्रि के दूसरे दिन व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए व्रत में सात्विक और शुद्ध भोजन करना चाहिए।
क्या खाएं?
फल और मेवे: केला, सेब, अनार, नारियल, अखरोट, बादाम, किशमिश आदि।
दूध और दूध से बने उत्पाद: दूध, दही, छाछ, पनीर, मखाना।
साबूदाना और कुट्टू: साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू के आटे की रोटी या पकौड़े।
सेंधा नमक: सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
गुड़ और मिश्री: मिठास के लिए चीनी की जगह गुड़ या मिश्री का इस्तेमाल करें।
क्या न खाएं?
अनाज और दालें: चावल, गेहूं, मक्का, दालें आदि वर्जित हैं।
लहसुन-प्याज: नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन से बचें।
मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थ: अधिक तेल और घी वाले खाद्य पदार्थ वर्जित हैं।
नमक: साधारण नमक का उपयोग न करें, केवल सेंधा नमक का उपयोग करें।
सात्विक और हल्का भोजन करने से शरीर ऊर्जावान और मन शांत रहता है, जिससे मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होती है।

नवरात्रि के दूसरे दिन के खास उपाय
- सफेद फूल चढ़ाएं: मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल चढ़ाने से घर में शांति और समृद्धि बढ़ती है।
- चंद्र दोष निवारण: नवरात्रि के दूसरे दिन चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- शहद और मिश्री का भोग लगाएं: यह उपाय जीवन में मिठास और सफलता लाने में मदद करता है।
- दिन में एक बार फल खाएं: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने का यह सबसे अच्छा उपाय है।
- रुद्राक्ष की माला पहनें: इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को संयम, धैर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना चाहते हैं और आध्यात्मिक उन्नति के इच्छुक हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में आत्मविश्वास, सकारात्मकता और सफलता मिलती है।
अगर आप इस दिन मां की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो पूरी श्रद्धा और नियम से उनकी पूजा और ध्यान करें।
इससे आपके जीवन में खुशी, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा आएगी।
जय माता दी!