नवरात्रि हिंदू धर्म का एक विशेष त्यौहार है, जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा और नवरात्रि के अनुष्ठान किए जाते है।
यह समय आत्मशुद्धि, साधना और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान साधकों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
सही विधि और भक्ति के साथ किए गए अनुष्ठान साधक को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सफलता प्रदान करते हैं।
इस लेख में हम नवरात्रि के 12 महत्वपूर्ण नवरात्रि के अनुष्ठान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिन्हें इस शुभ अवसर पर अवश्य किया जाना चाहिए।
कलश स्थापना और घटस्थापना
कलश स्थापना को सबसे महत्वपूर्ण और पहले नवरात्रि के अनुष्ठान के रूप में माना जाता है। इसे शुभता, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
घटस्थापना के लिए तांबे, पीतल या मिट्टी के कलश में जल भरा जाता है और उसमें आम के पत्ते, सुपारी, सिक्के और दूर्वा रखी जाती है।
इसके ऊपर लाल कपड़े में लपेटा हुआ नारियल रखा जाता है, जिसे देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
इस अनुष्ठान के दौरान भूमि को शुद्ध किया जाता है और लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर एक आसन पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
घटस्थापना के साथ ही अखंड दीपक जलाने की भी परंपरा है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।
इस अनुष्ठान को नवरात्रि की सफलता का आधार माना जाता है और इसे विधिपूर्वक करना बहुत जरूरी है।

दुर्गा सप्तशती पाठ
दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले सबसे शक्तिशाली अनुष्ठानों में से एक है।
इस पाठ में देवी दुर्गा की महिमा, उनकी शक्तियों और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
दुर्गा सप्तशती के तीन प्रमुख भाग हैं- महाकाली चरित्र, महालक्ष्मी चरित्र और महासरस्वती चरित्र।
इसमें कुल 700 श्लोक हैं, जिनका नियमित पाठ करने से भक्त को जीवन में सफलता, शत्रुओं पर विजय और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
यह पाठ न केवल देवी की कृपा को आकर्षित करता है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है और मन और शरीर को शुद्ध करता है।
इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त या शाम के समय करना अधिक शुभ माना जाता है।
जो व्यक्ति नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, उसे देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कन्या पूजन
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। यह विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि को किया जाता है।
इस नवरात्रि के अनुष्ठान में मां दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक के रूप में नौ कन्याओं की पूजा की जाती है।
सबसे पहले कन्याओं के पैर धोए जाते हैं, फिर उन्हें तिलक लगाकर फूल चढ़ाए जाते हैं।
इसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है, जिसमें हलवा, चना और पूरी विशेष रूप से बनाई जाती है।
भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा और वस्त्र भेंट किए जाते हैं।
यह अनुष्ठान देवी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।
ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने वाले को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

अखंड ज्योति प्रज्वलन
नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का विशेष महत्व है। इस ज्योति को देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इसे जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
अखंड दीपक जलाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
इसे घी या तिल के तेल से जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
इस दीपक को नौ दिनों तक लगातार जलाते रहना चाहिए, ताकि देवी दुर्गा की कृपा बनी रहे।
अगर किसी कारणवश दीपक बुझ जाए तो उसे दोबारा जलाना चाहिए और क्षमा याचना करनी चाहिए।
इस अनुष्ठान से घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।
माता को विशेष भोग अर्पित करना
नवरात्रि में देवी को विशेष भोग अर्पित करने की परंपरा है। हर दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों को भोग लगाया जाता है।
- मां शैलपुत्री को घी,
- मां ब्रह्मचारिणी को चीनी,
- मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई,
- मां कुष्मांडा को मालपुए,
- मां स्कंदमाता को केले,
- मां कात्यायनी को शहद,
- मां कालरात्रि को गुड़,
- मां महागौरी को नारियल और
- मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाया जाता है।
भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

चंडी पाठ और हवन
माता चंडी के पाठ और हवन नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले सबसे प्रभावशाली नवरात्रि के अनुष्ठान में से एक है।
चंडी पाठ में संपूर्ण देवी महात्म्य का पाठ किया जाता है, जिसमें मां दुर्गा की महिमा और उनकी शक्तियों का विस्तार से वर्णन किया जाता है।
इसका पाठ करने से साधक को विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और उसकी सभी बाधाएं दूर होती हैं।
हवन के दौरान देवी को विशेष मंत्रों के साथ आहुतियां दी जाती हैं, जिससे नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं और वातावरण शुद्ध होता है।
नवदुर्गा स्तोत्र और सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ
नवरात्रि में नवदुर्गा स्तोत्र और सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
नवदुर्गा स्तोत्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की महिमा का वर्णन किया गया है, जिससे साधक को विशेष आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
सप्तश्लोकी दुर्गा, दुर्गा सप्तशती से लिए गए सात विशेष मंत्रों का संग्रह है, जिसका नवरात्रि में पाठ करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
यह पाठ मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक है।
जो साधक इस पाठ को नियमित रूप से करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
इसे सुबह और शाम करने से विशेष लाभ होता है।
जो व्यक्ति नवरात्रि में इन पाठों का श्रद्धापूर्वक जाप करता है, उसे मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
व्रत और उपवास
नवरात्रि में व्रत और उपवास का विशेष महत्व होता है।
यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि के लिए भी लाभकारी होता है।
व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है, जिससे तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
नवरात्रि के दौरान फल, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, दूध और सूखे मेवे का सेवन किया जाता है।
प्याज, लहसुन, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
व्रत के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले व्यक्ति को देवी की कृपा जल्द ही प्राप्त होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
व्रत से शरीर की ऊर्जा शुद्ध होती है और ध्यान और साधना में एकाग्रता बढ़ती है।

गरबा और देवी जागरण
नवरात्रि के दौरान गरबा और देवी जागरण का विशेष महत्व है।
गरबा एक पारंपरिक नृत्य है, जो मां दुर्गा की पूजा में किया जाता है।
यह नृत्य गुजरात और राजस्थान में खास तौर पर लोकप्रिय है।
आज के समय में इसे पूरे देश और विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
गरबा करने से शरीर में ऊर्जा आती है और इसे देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का एक अनूठा तरीका माना जाता है।
वहीं, देवी जागरण में देवी दुर्गा की स्तुति की जाती है और भजन गाए जाते हैं।
इसमें भक्त पूरी रात जागकर देवी दुर्गा की स्तुति गाते हैं और भक्ति में लीन हो जाते हैं।
देवी जागरण करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं।
यह अनुष्ठान भक्त और देवी के बीच एक मजबूत आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है।

मां दुर्गा का श्रृंगार और वस्त्र अर्पित करना
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का श्रृंगार करने और उन्हें वस्त्र अर्पित करने का विशेष महत्व है।
इस अनुष्ठान में मां दुर्गा को विशेष वस्त्र, आभूषण, सुगंधित फूल और चंदन आदि अर्पित किए जाते हैं।
देवी को हर दिन अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनाने की परंपरा है, जैसे
- पहले दिन पीला,
- दूसरे दिन हरा,
- तीसरे दिन भूरा,
- चौथे दिन नारंगी,
- पांचवें दिन सफेद,
- छठे दिन लाल,
- सातवें दिन नीला,
- आठवें दिन गुलाबी और
- नौवें दिन बैंगनी रंग के वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।
इस अनुष्ठान से मां दुर्गा की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
देवी को सुहाग सामग्री अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
अगर भक्त पूरी श्रद्धा से इस अनुष्ठान को करते हैं, तो मां दुर्गा उन्हें हर संकट से बचाती हैं और उनका जीवन सफल बनाती हैं।
नवरात्रि के विशेष दान अनुष्ठान
नवरात्रि के दौरान दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
ऐसा करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दौरान अन्न, वस्त्र, गाय, स्वर्ण और अनाज का दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
कन्या पूजन के साथ कन्याओं को भोजन कराने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
ब्राह्मणों को भोजन कराना और विद्वानों को दक्षिणा देना भी शुभ माना जाता है।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि में किया गया दान कई गुना फल देता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
अगर कोई व्यक्ति नवरात्रि के दौरान श्रद्धा और विश्वास के साथ दान करता है, तो उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
माँ दुर्गा के विशेष बीज मंत्रों का जाप
नवरात्रि में माँ दुर्गा के विशेष बीज मंत्रों का जाप करने से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होता है।
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से साधक के भीतर ऊर्जा और सकारात्मकता आती है।
कुछ प्रमुख बीज मंत्र इस प्रकार हैं—
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे – यह मंत्र शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
- ॐ दुं दुर्गायै नमः – इस मंत्र के जाप से संकट और बाधाएँ दूर होती हैं।
- ॐ ह्रीं श्रीं दुर्गायै नमः – यह मंत्र सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है।
- ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः – यह मंत्र ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाता है।
सुबह और शाम इन मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
अगर कोई साधक नवरात्रि भर इन मंत्रों का जाप करता है तो उसके जीवन में आने वाले सभी तरह के संकट दूर होते हैं और उसे आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

निष्कर्ष
नवरात्रि आत्मशुद्धि, साधना और देवी की कृपा प्राप्त करने का पवित्र समय है।
यह नवरात्रि के अनुष्ठान भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और भौतिक सुख प्रदान करते हैं।
इन 12 अनुष्ठानों का पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
भक्ति, नियम और कायदे से किए जाने वाले ये अनुष्ठान साधक को हर क्षेत्र में सफलता दिलाते हैं।
इसलिए हर व्यक्ति को नवरात्रि में ये अनुष्ठान अवश्य करने चाहिए, ताकि देवी दुर्गा की असीम कृपा बनी रहे और जीवन सफल और खुशहाल बने।
जय माता दी!