हर साल गर्मी के मौसम में एक खास समय आता है जिसे ‘नौतपा’ कहते हैं।
यह समय न केवल मौसम की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी है।
नौतपा का अर्थ है – ‘गर्मी के नौ दिन’। इन 9 दिनों में सूर्य पृथ्वी के बहुत करीब आ जाता है और तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है।
यह अवधि भारत के उत्तरी भागों में सबसे गर्म समय माना जाता है। नौतपा के दौरान लोगों को बहुत सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि भीषण गर्मी का स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि 2025 में नौतपा कब से कब है?, नौतपा क्या है, इसका महत्व क्या है और इससे कैसे बचा जाए।
नौतपा क्या है?.
‘नौतपा’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘नव’ और ‘तपन’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – भीषण गर्मी के नौ दिन।
यह वह समय होता है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश ज्योतिषीय दृष्टि से भीषण गर्मी लेकर आता है।
इन 9 दिनों में सूर्य की किरणें सीधी और तीव्र होती हैं, जिससे तापमान अधिकतम स्तर पर पहुंच जाता है।
गर्म हवाएं, लू और उमस इन दिनों की मुख्य विशेषताएं हैं।
यही कारण है कि नौतपा को गर्मियों का चरम समय कहा जाता है।
यह समय शरीर के लिए भी चुनौतीपूर्ण होता है, इसलिए पर्याप्त सावधानी बरतना आवश्यक है।

2025 में नौतपा कब है?
वर्ष 2025 में नौतपा 25 मई से शुरू होकर 8 जून को समाप्त होगा। इस दौरान सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।
ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय अत्यधिक प्रभावशाली होता है क्योंकि सूर्य की ऊर्जा अपने चरम पर होती है।
इस अवधि में दिन सबसे लंबे और रातें सबसे छोटी होती हैं, जिससे सूर्य का प्रभाव और भी अधिक महसूस होता है।
तापमान में अचानक वृद्धि होती है और मौसम बेहद शुष्क और गर्म हो जाता है।
2025 में नौतपा के दौरान, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंचने की संभावना है, खासकर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में।
इस समय लोग घर से कम निकलते हैं और शरीर को ठंडा रखने के उपाय करते हैं।
नौतपा के दौरान अधिक गर्मी क्यों पड़ती है?
नौतपा के दौरान सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस वजह से सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं और उनका प्रभाव अधिक होता है।
इसके अलावा जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो उसकी किरणें शुक्र के क्षेत्र में प्रवेश करती हैं। ज्योतिष के अनुसार शुक्र और सूर्य एक दूसरे के शत्रु ग्रह माने जाते हैं।
जब सूर्य शुक्र के नक्षत्र में होता है तो इनकी ऊर्जा आपस में टकराती है जिससे वातावरण में असंतुलन पैदा होता है और अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है।
रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा का प्रिय नक्षत्र माना जाता है, लेकिन जब सूर्य यहां प्रवेश करता है तो पृथ्वी की सतह गर्म होने लगती है।
इस समय भूमि जलविहीन हो जाती है और वातावरण शुष्क हो जाता है, जिससे लू और हीटवेव जैसी स्थिति पैदा होती है।
नौतपा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष में नौतपा को एक विशेष खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है।
यह काल सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने से शुरू होकर मृगशिरा नक्षत्र तक जारी रहता है।
रोहिणी नक्षत्र शुक्र ग्रह का क्षेत्र है और सूर्य के साथ इसका मिलन गर्मी और परिवर्तन का संकेत देता है।
इस समय सूर्य अपनी सर्वोच्च शक्ति पर होता है, जिसका सीधा असर मौसम और मानव जीवन पर पड़ता है।
यह भी माना जाता है कि इन दिनों समुद्र में वाष्पीकरण अधिक होता है, जो बाद में मानसून का आधार बनता है।
इसलिए, यह अवधि कृषि और पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
पुराणों में भी इस समय को तप और ध्यान के लिए उपयुक्त बताया गया है।
नौतपा के दौरान क्या करें?
खूब पानी पिएं: शरीर में पानी की कमी न होने दें।
हल्का और सादा खाना खाएं: तेल-मसालेदार खाने से बचें।
धूप से खुद को बचाएं: बाहर जाते समय छाता, टोपी या सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
नहाएं: ठंडे पानी से नहाने से शरीर को आराम मिलता है।
ताजे फल खाएं: तरबूज, खरबूजा, नींबू और नारियल पानी जैसे फल और पेय पदार्थ गर्मी से राहत देते हैं।
घर के अंदर रहें: दोपहर में जब धूप तेज हो तो बाहर जाने से बचें।
कूलर या पंखे का इस्तेमाल करें: घर का माहौल ठंडा रखें।
साफ और ढीले कपड़े पहनें: सूती कपड़े शरीर को आराम देते हैं।
नौतपा के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
नौतपा के दौरान गर्मी के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
लू लगना: शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाना।
निर्जलीकरण: शरीर में पानी की कमी के कारण चक्कर आना, कमजोरी।
सनबर्न: धूप में अधिक समय तक रहने के कारण त्वचा जल जाती है।
उल्टी-दस्त: गर्मी के कारण पाचन संबंधी समस्याएं।
चिंता और सिरदर्द: अत्यधिक गर्मी के कारण मानसिक तनाव और बेचैनी।
इनसे बचने के लिए पानी का सेवन, ठंडा वातावरण और उचित आहार बहुत जरूरी है।

नौतपा का धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू
कुछ क्षेत्रों में नौतपा के दौरान धार्मिक उपवास और जलदान की परंपरा है।
लोग इस समय भगवान सूर्य को जल चढ़ाते हैं और शीतलता की कामना करते हैं।
मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और गरीबों को जल, छाछ और फल बांटे जाते हैं।
यह समय संयम और सेवा का प्रतीक माना जाता है।
कुछ लोग इस दौरान व्रत और तपस्या भी करते हैं ताकि मौसम के कष्टों को आध्यात्मिक शक्ति से सहन किया जा सके।
निष्कर्ष
नौतपा एक प्राकृतिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण समय है, जो हर साल मई-जून में आता है।
यह न केवल गर्मी के चरम का प्रतीक है, बल्कि मानसून की शुरुआत का भी प्रतीक है।
इस दौरान सूर्य की ऊर्जा अपने उच्चतम स्तर पर होती है, जिससे वातावरण में तीव्र और गर्मी महसूस होती है।
ऐसे में सावधान और सतर्क रहना जरूरी है। पानी का सेवन, संतुलित आहार, ठंडक बनाए रखना और बाहर जाने से बचना इस समय के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं।
नौतपा हमें प्रकृति की शक्ति और उसके प्रभाव को समझने का अवसर देता है।
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