हिंदू धर्म में नरसिंह जयंती 2025 का विशेष स्थान है। हिंदी पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर वर्ष वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। आइए जानें नरसिंह जयंती 2025 की तिथि, व्रत विधि, कथा, और इसका महत्व।
इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए समय-समय पर अवतार लिए हैं। उन्हीं में से पांचवां अवतार भगवान नरसिंह का है। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धारण किया। यह उनका प्राकृतिक रूप था, जो संध्या काल में एक खंभे से प्रकट हुआ। भगवान नरसिंह को श्री हरि विष्णु का उग्र और शक्तिशाली अवतार माना जाता है।
नरसिंह जयंती का महत्व
भगवान नरसिंह की पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याओं और दुर्घटनाओं से रक्षा होती है। उनके आशीर्वाद से शत्रु, मुकदमे, विरोधी और सभी प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती हैं। अगर कोई बड़ा मंत्र (जादू-टोना या तंत्र) किया गया हो, तो भगवान नरसिंह की कृपा से वह भी नष्ट हो जाता है।
नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है। यह पर्व भगवान विष्णु के भक्तों को कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
शुभ मुहूर्त: नरसिंह जयंती 2025
इस वर्ष नरसिंह जयंती 2025 रविवार, 11 मई 2025 को मनाई जाएगी।
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 10 मई 2025, रात्रि
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 11 मई 2025, शाम 5:29 बजे
- पूजा का समय: 11 मई 2025, शाम 4:21 बजे से 7:03 बजे तक
(कुल अवधि: 2 घंटे 42 मिनट) - व्रत पारण का समय: 12 मई 2025, सुबह 5:32 बजे
नरसिंह जयंती की पूजा विधि
इस बार भी भगवान नरसिंह की पूजा की जाएगी। हालांकि, उन्हें किसी भी समय पूजा जा सकता है; इसके लिए विशेष अवसर का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने दैनिक जीवन में भी भगवान नरसिंह की आराधना कर सकते हैं।
लेकिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान नरसिंह का अवतरण हुआ था। इसलिए यह तिथि विशेष रूप से उनका प्राकृतिक दिन मानी जाती है।
भगवान नरसिंह की पूजा विधि: चतुर्दशी के दिन
चतुर्दशी तिथि पर भगवान नरसिंह की पूजा कैसे करें?
चतुर्दशी तिथि, विशेष रूप से वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी, भगवान नरसिंह के अवतरण का दिन होता है। इस दिन उनकी पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
पूजा की विधि:
- सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें
चतुर्दशी के दिन सबसे पहले प्रातः जल्दी उठकर घर को स्वच्छ और पवित्र करें। घर को साफ करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा में विशेष फल मिलता है। - शरीर पर तिल, गोमूत्र, मिट्टी और आंवला लगाकर स्नान करें
दोपहर के समय शरीर पर तिल, गोमूत्र, मिट्टी और आंवला लगाकर स्नान करें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करके शुद्ध स्थिति में पूजा करें। - भगवान नरसिंह की तस्वीर स्थापित करें
शाम या संध्याकाल के समय भगवान नरसिंह की तस्वीर एक पवित्र स्थान पर स्थापित करें। - दीप जलाएं और पूजा करें
भगवान नरसिंह के सामने दीप जलाएं , भगवान को चंदन और लाल फूल और प्रसाद अर्पित करें। - मंत्र जाप करें
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान नरसिंह का मंत्र जाप करें। यह जाप संध्याकाल और रात्रि के मध्य में किया जाता है, विशेषकर रात्रि में इसका अधिक प्रभाव होता है। - व्रत का पालन करें
इस दिन व्रत रखें और केवल पानी या फल का सेवन करें। यह व्रत भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। - अगले दिन दान करें
चतुर्दशी के बाद अगले दिन निर्धन व्यक्तियों को वस्त्र दान करें और फिर व्रत समाप्त करें।
भगवान नरसिंह का जन्म समय
नरसिंह भगवान का जन्म संध्याकाल (दिन और रात के मिलन के समय) हुआ था। यह समय इसलिए विशेष है क्योंकि हिरण्यकश्यप ने भगवान से वरदान प्राप्त किया था कि वह केवल उसी समय मारे जाएंगे जब दिन और रात मिलेंगे। इस कारण से संध्याकाल में भगवान नरसिंह की पूजा का विशेष महत्व है।
व्रत और कथा का महत्त्व
नरसिंह जयंती के दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन नरसिंह भगवान की कथा सुनने और सुनाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
शत्रुओं पर विजय पाने का उपाय
चाहे आपका शत्रु कितना भी बड़ा या शक्तिशाली क्यों न हो, भगवान नरसिंह की पूजा करने से शत्रु और विरोधी शांत हो जाते हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और सुरक्षा आती है।
नरसिंह जयंती 2025 कथा: भगवान नरसिंह अवतार
राजा कश्यप और उनके दो पुत्र
पुराणों के अनुसार, राजा कश्यप के दो पुत्र थे – हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष। राजा कश्यप के निधन के बाद, उनके बड़े पुत्र हिरण्याक्ष ने राज्य संभाला, लेकिन वह अत्यंत क्रूर और अपने प्रजा पर अत्याचार करने वाला था।
हिरण्याक्ष की क्रूरता इतनी बढ़ गई कि भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार लिया और हिरण्याक्ष का वध किया। इसके बाद, हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से बदला लेने का संकल्प किया और उन्होंने हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। भगवान शिव को प्रसन्न कर उसने एक वरदान प्राप्त किया।
हिरण्यकश्यप को वरदान और उसकी शक्तियां
हिरण्यकश्यप ने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया कि वह न तो घर के अंदर मरेगा, न बाहर, न दिन में, न रात में, न आकाश में, न पृथ्वी पर, न किसी मनुष्य के हाथों, न किसी पशु के हाथों मरेगा। भगवान शिव ने यह वरदान स्वीकार किया और कहा – “ऐसा ही हो”।
भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद हिरण्यकश्यप ने , त्रिलोक में आतंक मचाया। उसने देवताओं को स्वर्ग से बाहर कर दिया और तीनों लोकों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए उसने अपने राज्य में यह घोषणा की कि वह केवल स्वयं भगवान है और कोई उसके अलावा किसी को पूजेगा नहीं ।
प्रहलाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप का विरोध
लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की भक्ति को नकारा और उसे भगवान विष्णु का पूजा करने से रोकने की हर संभव कोशिश की। लेकिन प्रहलाद की भक्ति में कोई कमी नहीं आई।
होलिका और प्रहलाद की कथा
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को मारने के लिए भेजा। होलिका ने अपनी तपस्या से यह वरदान प्राप्त किया था कि वह आग में न जल सकती है। उसने प्रहलाद को गोद में उठाकर अग्नि में बैठने का प्रयास किया, लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गई और प्रहलाद सुरक्षित रहे।
प्रहलाद का उत्तर और भगवान नरसिंह का अवतार
हिरण्यकश्यप ने एक दिन प्रहलाद से कहा, “क्या तुम्हारा विष्णु यहाँ है?” प्रहलाद ने उत्तर दिया, “भगवान विष्णु हर जगह हैं, हर कण में हैं।” यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने गुस्से में आकर प्रहलाद पर आक्रमण किया। उसने कहा, “क्या तुम्हारा विष्णु इस खंभे में है?” प्रहलाद ने उत्तर दिया, “विष्णु यहाँ भी हैं।”
हिरण्यकश्यप ने खंभे को तोड़ा और उसी क्षण भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया। भगवान नरसिंह ने अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का पेट फाड़ दिया और उसे मार डाला।
भगवान नरसिंह का जन्मोत्सव
भगवान नरसिंह का यह अद्भुत रूप भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला है। उनके इस रूप की पूजा करने से घर में शांति और समृद्धि आती है। नरसिंह अवतार का जन्मोत्सव वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है, और इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से सभी समस्याओं का नाश होता है।
इस प्रकार हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से प्रतिशोध लेने का विचार किया और इसका परिणाम भगवान नरसिंह के रूप में हुआ।
शुभकामनाएं
नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख, भय और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह पर्व सभी भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाता है। आप सभी को नरसिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।आप सभी को भगवान नरसिंह की पूजा में सफलता और कृपा की प्राप्ति हो।