मोहिनी एकादशी 2025, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस शुभ अवसर पर पूजा और व्रत करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। आज के ब्लॉग में हम जानेंगे कि मोहिनी एकादशी पर किस प्रकार पूजा करनी चाहिए, क्या करना चाहिए, और क्या खाएं जिससे आपको इस एकादशी का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
2025 में मोहिनी एकादशी पूजा और पारण तिथि
2025 में मोहिनी एकादशी पूजा 8 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि:
- प्रारंभ: 7 मई 2025, 10:20 AM
- समाप्ति: 8 मई 2025, 12:30 PM
मोहिनी एकादशी व्रत:
- प्रारंभ: 7 मई 2025, 10:20 AM
व्रत पारण का शुभ समय:
- 9 मई 2025, सुबह 5:34 AM से 8:15 AM तक
- व्रत पारण का समय: 2 घंटे 41 मिनट
मोहिनी एकादशी 2025 का महत्व
मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि को समर्पित है। हर एकादशी पर श्री हरि के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। मोहिनी एकादशी पर विशेष रूप से बाँकेबिहारी की पूजा की जाती है।
इस एकादशी का व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला है। यह व्रत व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्त करता है, चाहे वह छोटा पाप हो या बड़ा। इस व्रत को करने से आत्मा शुद्ध होती है और मन में शांति का अनुभव होता है।
मोहिनी एकादशी 2025 कथा
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है, उसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस एकादशी के महत्व के बारे में पूछा, तब भगवान ने उन्हें मोहिनी एकादशी की महिमा बताई।
भगवान श्रीराम और वशिष्ठ मुनि का संवाद
एक बार वशिष्ठ मुनि ने भगवान श्रीराम को इस एकादशी का व्रत करने की कथा सुनाई। भगवान श्रीराम ने वशिष्ठ मुनि से पूछा, “हे मुनिवर, कौन-सा व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है?”
वशिष्ठ मुनि ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, आपके नाम का स्मरण मात्र ही सभी को मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है। फिर भी, जनहित में मैं इस प्रश्न का उत्तर दे रहा हूँ। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है।”
भद्रावती नगरी की कथा : मोहिनी एकादशी 2025
एक समय सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नामक एक सुंदर नगरी थी। इस नगरी के राजा का नाम शक्तिमान था, जो अत्यंत बुद्धिमान और सत्यवादी थे। उसी राज्य में धनपाल नामक एक व्यापारी रहता था, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। धनपाल बहुत धनवान और समृद्ध था।
धनपाल अपनी संपत्ति का उपयोग सदैव राज्य और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए करता था। उसकी यह उदारता पूरे राज्य में विख्यात थी।
श्रवण और उसके पुत्र की कहानी
धनपाल का सबसे छोटा पुत्र दृष्टबुद्धि, अपने पिता के आदर्शों का पालन करने के बजाय, उसके अर्जित धन को व्यर्थ कामों में नष्ट करने लगा। इस वजह से धनपाल को बहुत कष्ट हुआ।
धनपाल का पुत्र दृष्टबुद्धि सभी प्रकार के व्यसनों में लिप्त हो गया। उसके दुराचरण और बुरे व्यवहार से तंग आकर धनपाल ने उसे घर से बाहर निकाल दिया। भूख और प्यास से पीड़ित दृष्टबुद्धि जंगलों में भटकने लगा। इसी दौरान, बीमारी से ग्रसित होकर वह एक दिन महार्षि कौंडिन्य के आश्रम में पहुंचा।
महार्षि कौंडिन्य से सहायता की प्रार्थना
दृष्टबुद्धि ने हाथ जोड़कर असहाय अवस्था में कहा, “हे मुनिवर, मैं अत्यंत दुखी हूं। कृपया मुझ पर दया करें और ऐसा कोई व्रत बताएं, जिसके प्रभाव से मैं अपने सभी पापों से मुक्त हो सकूं।”
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्त्व
महार्षि कौंडिन्य ने कहा, “वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोहिनी एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से सभी बड़े से बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत केवल इस जन्म के पाप ही नहीं, बल्कि अनेक पूर्व जन्मों के पापों को भी पूरी तरह समाप्त कर देता है।”
दृष्टबुद्धि ने मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ किया। व्रत के प्रभाव से उसे भगवान की कृपा प्राप्त हुई और उसका जीवन शुद्ध और पवित्र हो गया। वह दिव्य स्वरूप धारण कर श्री विष्णु धाम को प्राप्त हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, “मोहिनी एकादशी का व्रत इतना शक्तिशाली है कि इसके पालन से मनुष्य सभी प्रकार के मोह और बंधनों से मुक्त हो सकता है। यह व्रत करने वाले को हजारों गाय दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। परंतु इसका फल केवल भगवान की भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है, न कि किसी धन या साधन से।”
लड्डू गोपाल की पूजा
ज्यादातर घरों में बाँके बिहारी का चित्र नहीं होता, लेकिन लड्डू गोपाल प्रायः हर घर में मिलते हैं। इसलिए मोहिनी एकादशी पर लड्डू गोपाल की पूजा जरूर करें।
क्या खाएं और क्या परहेज करें
- फलाहार करें
व्रत में केवल फल, दूध, और मेवे का सेवन करें। - अनाज और मसालेदार भोजन से बचें
इस दिन चावल और अन्य अनाज का सेवन वर्जित है। - पानी ज्यादा पिएं
दिनभर ऊर्जा बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
मोहिनी एकादशी 2025 पूजा विधि
मोहिनी एकादशी 2025 के दिन सबसे पहले आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान करने के बाद अपने पूजा स्थल को साफ करें। इस दिन अगर आप व्रत नहीं भी रखते हैं, तब भी पूजा अवश्य करें। यह आपको आधा पुण्य फल अवश्य प्रदान करेगा।
हर एकादशी पर भगवान को स्नान कराएं
एकादशी के दिन पूजा का आरंभ भगवान को स्नान कराने से होता है। भगवान का अभिषेक शंख में जल भरकर करे। यदि आपके पास शंख नहीं है, तो आप लोटे से भी अभिषेक कर सकते हैं। भगवान को स्नान कराने का महत्त्व है, और यदि संभव हो तो पंचामृत से अभिषेक करें।
भगवान का अभिषेक करने की विधि
- शंख या लोटे से जल अर्पित करें
शुद्ध जल से भगवान का अभिषेक करें। - पंचामृत का उपयोग करें
दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करना शुभ माना जाता है। - अभिषेक के बाद भगवान को सुगंधित इत्र लगाए। ध्यान रखें कि अंगूठे का उपयोग न करें। यह परंपरा के अनुसार उचित नहीं माना जाता।
- भगवान को वस्त्र धारण कराएं
भगवान लड्डू गोपाल को विशेष वस्त्र पहनाएं। वस्त्र धारण कराने के बाद भगवान का सुंदर श्रृंगार करें।
पूजा के बाद कथा का श्रवण करें
पूजा के बाद अपने दाहिने हाथ में कुछ फूल लें। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार 11, 21, या 51 तिल और फूल रख सकते हैं। इसके बाद, मोहिनी एकादशी की संपूर्ण कथा का पाठ करें।
मोहिनी एकादशी 2025 पर भोग अर्पण की विधि
- फलों और मिठाइयों का भोग
इस दिन भगवान को फल और मिठाइयां अर्पित करें। आप नारियल बर्फी, मावा बर्फी, या कोई भी शुद्ध मिठाई का उपयोग कर सकते हैं। - नमक, मिर्च और तेल से परहेज करें
भोग में नमक, मिर्च और तेल का उपयोग न करें। केवल शुद्ध पदार्थों का ही सेवन करें।
गौमूत्र का धार्मिक और स्वास्थ्य लाभ
एकादशी के दिन गौमूत्र का विशेष महत्व है। इसे अत्यंत शुद्ध माना गया है। धार्मिक दृष्टि से यह पवित्रता का प्रतीक है और स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
मोहिनी एकादशी पर पूजा के बाद थोड़ा-सा गौमूत्र जरूर पिएं। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। जो लोग नियमित रूप से गौमूत्र का सेवन करते हैं, वे इसके लाभों से भली-भांति परिचित हैं।
कथा पाठ के बाद दान और आरती
- फूलों का दान करें
कथा पाठ के बाद, जो फूल आपने भगवान को अर्पित किए हैं, उन्हें एक ब्राह्मण को दान करें। - आरती करें
आरती का आरंभ गणपति जी की आरती से करें। इसके बाद, बैंक बिहारी जी की आरती करें। - जल अर्पित करें
आरती के बाद भगवान को जल अर्पित करें।
हर एकादशी पर पूजा का तरीका भिन्न होता है। मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और लड्डू गोपाल की विशेष पूजा करें। यह व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने और पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
व्रत का पुण्य फल
मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष प्राप्त करता है। साथ ही, इस दिन पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
मोहिनी एकादशी का व्रत और पूजा विधिपूर्वक करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। इस पवित्र दिन पर शुद्धता और श्रद्धा से पूजा करने का विशेष महत्व है।