मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू धर्मिक उत्सव है जो पूरे भारत में उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को संकेत के रूप में माना जाता है और इसे क़ृषि के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी माना जाता है।
2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन नई ऊर्जा, उत्साह और खुशी से आगमन होता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है।
यह पर्व केवल फसल की विविधता का स्वागत नहीं करता, बल्कि इसे सूर्य देवता की पूजा और दान-पुण्य के लिए भी महत्वपूर्ण समझा जाता है।
धार्मिक महत्व
जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो वह पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश को बूट करता है।
हिंदू धर्म में इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए उचित समझा जाता है।
कृषि और सामाजिक महत्व
यह महोत्सव नवीन फसल की विवेचना का प्रतीक है, जो किसानों के लिए हर्ष का अवसर होता है।
समुदाय में यह पुण्य-दान और गरीबों की सहायता करने का संदेश देता है।
मकर संक्रांति के अन्य नाम और क्षेत्रीय विविधताएं
मकर संक्रांति का भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नाम हैं।
- उत्तर भारत में इसे खिचड़ी के त्यौहार के नाम से मनाया जाता है।
- गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है और पतंग उड़ाने का उत्सव होता है।
- महाराष्ट्र में यह तिलगुड़ के साथ मिठास और आपसी सद्भाव का प्रतीक माना जाता है।
- पश्चिम बंगाल में इसे पोहेला माघ या पौष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
- तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है।

पतंगोत्सव पर होने वाले प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएं
संक्रांति पर लोग विभिन्न प्रकार के आचरण और परंपराएँ सम्पादित करते हैं।
स्नान-दान और पुण्य:
इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व माना जाता है।
स्नान के बाद तिल, गुड़, वस्त्र और धन का दान किया जाता है।
सूर्य देवता की पूजा:
सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है।
उनके लिए तिल और गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
खिचड़ी का भोग:
उत्तर भारत में खिचड़ी तैयार करने और उसे प्रसाद के रूप में बांटने की प्रथा है।

मकर संक्रांति के मुख्य आकर्षण
पतंगबाजी का उत्साह
- पतंगबाजी गुजरात, राजस्थान, और उत्तर भारत में इस त्योहार का प्रमुख आकर्षण है।
- लोग अपने छतों पर एकत्रित होते हैं और पतंग उड़ाने का मजा लेते हैं।
- यह पतंगबाजी का उत्सव जीवन के संघर्ष और उड़ान का प्रतीक है।
- “काई पो छे!” और “लपेटा!” जैसी आवाजें इस दिन के उत्साह को बहाल करती हैं।

तिल और गुड़ की मिठास
- शंकरपाली, पिंडी आदि कई मिठाईयां तिल और गुड़ का उपयोग करके बनायी जाती हैं, जो इस समारोह की पहचान होती है।
- महाराष्ट्र में लोग “तिलगुड़ घ्या, गोड गोड बोला” कहकर मिठाई बांटते हैं।
- तिल और गुड़ को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

मेले और उत्सव
- हरिद्वार, प्रयागराज और अन्य जगहों पर मकर संक्रांति के मौके पर विशाल मेले आयोजित होते हैं।
- कुंभ मेले का आरंभ भी इसी दिन होता है।
- ये मेले धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं।
परिवार संग कैसे बनाएं मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति को और भी उत्साहित और महत्वपूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान दें:
परिवार के साथ समय व्यतीत करें:
इस दिन परिवार के साथ पूजा करें और साथ ही भोजन का आनंद लें।
दान करें:
गरीबों को भोजन, कपड़े और धन की सहायता करें।
पर्यावरण की देखभाल करें:
पतंगबाजी के दौरान पक्षियों और पर्यावरण की देखरेख करें।
सकारात्मकता फैलाएं:
इस दिन अन्य लोगों के साथ मिठाई और खुशी साझा करें।

मकर संक्रांति पर विशेष व्यंजन
मकर संक्रांति के मौके पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
उत्तर भारत:
कड़ी, तिल के लड्डू और रेवड़ी इस क्षेत्र में प्रमुख आहार हैं।
महाराष्ट्र:
तिलगुड़, पूरनपोली और बाजरे का रोटी बनाई जाती है।
तमिलनाडु:
पोंगल और नारियल के लड्डू का आनंद लिया जाता है।
गुजरात:
ऊंधियू, जलेबी और तिल की चिक्की तैयार की जाती है।
ये व्यंजन केवल स्वादिष्ट ही नहीं, वरन वे स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण
मकर संक्रांति की एक वैज्ञानिक और ज्योतिषीय परिपेक्ष्य भी होती है:
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश शीतकाल के समाप्ति और दिन बड़े होने का संकेत देता है।
- यह पृथ्वी पर सूर्य के किरणों के प्रभाव में वृद्धि करता है, जिससे ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
निष्कर्ष
संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह हमें प्राकृतिक प्रक्रियाओं से जोड़ने के लिए प्रेरित करता है, दान करने की प्रेरणा देता है, और समाज में सद्भाव और मेल-जोल बनाए रखने की महत्वपूर्णता को समझाता है।
2025 में, इस पर्व को उत्साह और खुशी के साथ मनाकर और दूसरों के साथ अपनी खुशियां साझा करके उत्साहित हों।
“आइए, इस मकर संक्रांति पर हम सब मिलकर खुशियाँ बांटें और समाज में प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाएं। आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!”
अधिक जानकारी के लिए:- “ मकर संक्रांति पर बनाए जाने वाले व्यंजनों की RECIPES”
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