नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह देवी दुर्गा का दिव्य स्वरूप है, जिन्हें शांति, साहस और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है।
इनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जिसके कारण इनका नाम “चंद्रघंटा” पड़ा।
यह देवी भक्तों के जीवन से भय और नकारात्मकता को दूर करती हैं तथा आत्मविश्वास, साहस और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को अलौकिक शांति, सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
इस लेख में हम मां चंद्रघंटा के स्वरूप, महत्व, मंत्र, ज्योतिषीय प्रभाव, भक्तों के अनुभव और उनकी पूजा से मिलने वाले लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप और विशेषताएं
माता चंद्रघंटा का स्वरूप दिव्य और अद्भुत है। इनका रंग सोने के समान चमकीला है और इनके दस हाथों में शस्त्र सुशोभित हैं।
मां का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। इनके माथे पर अर्धचंद्र विराजमान है, जिसके कारण इनका नाम “चंद्रघंटा” पड़ा।

यह स्वरूप शांति और क्रोध दोनों का संतुलन दर्शाता है।
जब भक्त प्रेम और भक्ति से पूजा करते हैं तो यह देवी बहुत सौम्य दिखाई देती हैं, लेकिन जब दुष्टों का नाश करना होता है तो वे उग्र रूप धारण कर लेती हैं।
माँ चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में निर्भयता आती है।
यह देवी साधकों का मनोबल बढ़ाती हैं और उनकी चेतना को जागृत करती हैं।
कहा जाता है कि इनकी कृपा से व्यक्ति की कुंडलिनी जागृत होती है और वह आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
इसीलिए साधकों और तपस्वियों के लिए माँ चंद्रघंटा की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
माँ चंद्रघंटा की कथा और पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ चंद्रघंटा को महिषासुर के वध से भी जोड़ा जाता है।
जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया तो देवताओं ने माँ दुर्गा की पूजा की।
तब देवी ने चंद्रघंटा का रूप धारण किया और महिषासुर सहित कई राक्षसों का वध किया।
एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान शिव बारात लेकर पार्वतीजी से विवाह करने आए तो उनका रूप बहुत भयानक था।
शिवजी के गण भी विचित्र और डरावने थे, जिससे पार्वतीजी की माता मैना बहुत भयभीत हो गईं।
तब पार्वतीजी ने मां चंद्रघंटा का रूप धारण कर भगवान शिव को सौम्य रूप धारण करने के लिए प्रेरित किया।
इसी कारण से इस देवी को सौम्यता और शक्ति दोनों का प्रतीक माना जाता है।
इस पौराणिक कथा से हमें यह संदेश मिलता है कि जीवन में साहस और धैर्य का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह हर कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार रहता है।
मां चंद्रघंटा का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव
मां चंद्रघंटा का संबंध चंद्र ग्रह से माना जाता है। यह देवी चंद्रमा के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक मानी जाती हैं।
जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मां चंद्रघंटा की विशेष पूजा करनी चाहिए।
आध्यात्मिक दृष्टि से मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक का हृदय चक्र (अनाहत चक्र) सक्रिय हो जाता है।
यह चक्र प्रेम, दया और करुणा का स्रोत है। जो लोग मानसिक तनाव, भय या चिंता से ग्रस्त हैं, उन्हें मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा से चंद्र ग्रह की पीड़ा शांत होती है और मानसिक शांति मिलती है।
यह साधना उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भावनात्मक रूप से अस्थिर हैं या जिनके जीवन में अक्सर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

माँ चंद्रघंटा के मंत्र और स्तोत्र
माँ चंद्रघंटा की पूजा में मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व है।
इन मंत्रों के जाप से साधक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
बीज मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।”
इस मंत्र के जाप से साधक के भीतर शक्ति का संचार होता है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
ध्यान मंत्र:
“पिंडज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैरुता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघंटाति विश्रुता।”
यह ध्यान मंत्र माँ चंद्रघंटा के स्वरूप का विशद वर्णन करता है।
इसके जाप से साधक का मन एकाग्र होता है और पूजा का फल शीघ्र प्राप्त होता है।
स्तोत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
इस स्तोत्र का जाप करने से साधक को भय, चिंता और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा माँ चंद्रघंटा की कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का भी पाठ किया जाता है।
मंत्रों और स्तोत्रों का नियमित जाप करने से साधक का मन शुद्ध होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
मां चंद्रघंटा के उपासकों के लिए विशेष नियम और सावधानियां
माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।
इनका पालन करने से साधक को माँ की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- सात्विकता का पालन करें:
मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान मन, वाणी और आचरण की शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।
इस दिन मांस, मदिरा और अन्य तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
सात्विक भोजन करें और क्रोध, ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।
- मंत्र जाप और ध्यान करें:
माँ चंद्रघंटा के मंत्रों का नियमित जाप करें।
पूजा के दौरान मानसिक एकाग्रता बनाए रखें और ध्यान करें।
रुद्राक्ष या चंदन की माला से 108 बार मंत्र जाप करना विशेष फलदायी होता है।
- विशेष पूजन सामग्री का प्रयोग करें:
पूजा में दूध, शुद्ध घी, शहद और मिश्री का प्रयोग करें।
माँ को सुनहरे और लाल फूल चढ़ाएं।
घंटी बजाकर माँ की आरती करें, क्योंकि घंटी की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
- व्रत और नियमों का पालन करें:
नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की पूजा करने वाले भक्तों को व्रत रखना चाहिए।
व्रत के दौरान फलाहार करें और दिन में एक बार सात्विक भोजन करें।
देवी की पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करें।
इन नियमों का पालन करने से भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा की कृपा के लाभ
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधकों को कई आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ मिलते हैं।
- भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति:
माता चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के मन से सभी प्रकार के भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
यह देवी साधकों को आंतरिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि:
मां चंद्रघंटा शक्ति और साहस से संबंधित हैं।
जिस व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी या जीवन में किसी भी तरह की अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है, उसे इनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए।
- चंद्र ग्रह दोष से मुक्ति:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
इससे व्यक्ति को मानसिक शांति, स्थिरता और संतुलन मिलता है।
- वैवाहिक जीवन में सामंजस्य:
जिन लोगों को वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें मां चंद्रघंटा की साधना करनी चाहिए।
इससे पारिवारिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति और कुंडलिनी जागरण:
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक का अनाहत चक्र जागृत होता है, जो उसे आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
इन सभी लाभों के कारण, भक्त नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हैं।

नवरात्रि के दौरान माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
नवरात्रो के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन की गई साधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्ति:
नवरात्रि के दौरान माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
इस दिन देवी को दूध, मिश्री और शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
- शक्ति और साहस की प्राप्ति:
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
यह साधना विशेष रूप से उन लोगों को करनी चाहिए जो जीवन में भय या अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
- शत्रुओं और बाधाओं से मुक्ति:
माँ चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति के जीवन से शत्रु और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
यह देवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सफलता प्रदान करती हैं।
- मानसिक शांति और स्थिरता:
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
जो लोग मानसिक तनाव, भय या चिंता से ग्रसित हैं, उन्हें इस दिन विशेष रूप से देवी की पूजा करनी चाहिए।
इसलिए नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की पूजा का बहुत महत्व माना जाता है।
भक्तों के अनुभव और प्रचलित मान्यताएँ
माँ चंद्रघंटा से जुड़े कई भक्तों के अनुभव और प्रचलित मान्यताएँ प्रचलित हैं।
- माँ चंद्रघंटा के प्रत्यक्ष दर्शन:
कई भक्तों का मानना है कि नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से उन्हें देवी के दिव्य रूप के दर्शन होते हैं।
कई साधकों को सपने में देवी की कृपा का एहसास होता है।
- संकटों से मुक्ति के अनुभव:
कुछ भक्तों का कहना है कि माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से उनके जीवन के संकट समाप्त हो गए हैं।
मानसिक तनाव से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने के अनेक उदाहरण मिलते हैं।
- संकटों में देवी की रक्षा:
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मां चंद्रघंटा की पूजा करता है, देवी स्वयं उसे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बचाती हैं।
इन प्रचलित मान्यताओं और भक्तों के अनुभवों से स्पष्ट है कि मां चंद्रघंटा अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाती हैं।

निष्कर्ष
माँ चंद्रघंटा शक्ति, साहस और शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
इनकी पूजा करने से भक्त को भय, नकारात्मक ऊर्जा और चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
देवी का स्वरूप हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है- जहाँ एक ओर करुणा और दया की भावना है, वहीं दूसरी ओर अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शक्ति भी है।
मंत्रों का जाप करने और पूजा विधि का सही तरीके से पालन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
खासकर नवरात्रि में इनकी पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल मिलता है।
भक्तों की प्रचलित मान्यताएँ और अनुभव यह सिद्ध करते हैं कि माँ चंद्रघंटा संकट के समय रक्षा करती हैं और अपने भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करती हैं।
इनकी पूजा करने से न केवल सांसारिक जीवन सुधरता है, बल्कि भक्त की आध्यात्मिक यात्रा भी तेज होती है।