नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत तपस्वी और सौम्य है।
इस देवी को साधना, संयम और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है।
इनके ध्यान, पूजन और स्तोत्रों से साधक को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
इस लेख में हम मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप, मंत्र, स्तोत्र और ध्यान विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – “ब्रह्मा” जिसका अर्थ है तपस्या और “चारिणी” जिसका अर्थ है अभ्यास करने वाली।
अर्थात यह देवी तप और साधना का पालन करने वाली हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की विशेषताएं
मां का स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और सौम्य है।
वे सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो पवित्रता, ज्ञान और शांति का प्रतीक है।
उनके दाहिने हाथ में जपमाला (रुद्राक्ष की माला) है, जो ध्यान और साधना का प्रतीक है।
बाएं हाथ में कमंडल है, जिसे संयम, त्याग और संतुलन का प्रतीक माना जाता है।
वे नंगे पैर हैं, जिससे कठोर तपस्या और सादगी का बोध होता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
पुराणों के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
हजारों वर्षों तक उन्होंने केवल फल-फूल खाकर तपस्या की और बाद में बिना जल के भी शिव की आराधना की।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
यही कारण है कि माँ ब्रह्मचारिणी की साधना को संयम, धैर्य और साधना का प्रतीक माना जाता है।
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माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र
माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए उनके मंत्रों का जाप करना बहुत लाभकारी होता है। ये मंत्र साधक को आत्मबल, संयम और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
- बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिणी नमः।
इस मंत्र के जाप से साधक को अद्भुत मानसिक शांति और ध्यान में एकाग्रता प्राप्त होती है।
- ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धारयां ब्रह्मचारिणीम्।।
ध्यान मंत्र के माध्यम से माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करने से भक्त के मन में संयम और धैर्य पैदा होता है।
- स्तुति मंत्र
तप्तकांचन वर्णाभां तप्यमानां स्वतेजसा।
ध्वजाब्ज कमण्डलुं रुद्राक्षमाला विभूषिताम्।।
इस मंत्र में माँ ब्रह्मचारिणी की दिव्यता, तेज और तपस्या की प्रशंसा की गई है।
- जप मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से साधक को आध्यात्मिक जागृति, आत्मसंयम और शांति की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की स्तुति एवं पूजा
- मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को आत्मबल, धैर्य और सफलता मिलती है।
- मां ब्रह्मचारिणी चालीसा
यदि कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ मां ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करता है तो उसे विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
इस चालीसा के माध्यम से साधक को आत्मबल, संयम और कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखने की शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की ध्यान विधि
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में ध्यान का विशेष महत्व है। ध्यान करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
ध्यान विधि
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शांत स्थान पर बैठ जाएँ।
- एक चौकी पर सफ़ेद कपड़ा बिछाएँ और माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र रखें।
- धूप, दीप और कुमकुम से माँ की पूजा करें।
- माँ का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- माँ के स्वरूप की कल्पना करें – वे शांत और तेजस्वी हैं, उनके हाथ में रुद्राक्ष की माला और कमंडल है।
- मंत्र जाप के साथ ध्यान करें – बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिणी नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें।
- अंत में प्रार्थना करें – माँ से आत्मविश्वास, आत्म-नियंत्रण और ज्ञान के लिए प्रार्थना करें।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को निम्न लाभ प्राप्त होते हैं:
- मानसिक शांति – ध्यान और साधना से तनाव दूर होता है।
- आत्मसंयम – व्यक्ति में संयम, धैर्य और सहनशीलता बढ़ती है।
- आध्यात्मिक उन्नति – साधक की साधना शक्ति बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा – जीवन में सकारात्मकता और आशावाद बढ़ता है।
- चंद्रमा का आशीर्वाद – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की शुभता बढ़ती है।
निष्कर्ष
ब्रह्मचारिणी माता की पूजा, ध्यान और मंत्र जाप से साधक को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और संयम की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
अगर भक्त सच्चे मन से माँ की पूजा करता है, तो जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ टल जाती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनकी दिव्य कृपा से अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाएँ।
जय माता दी!
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