लोहड़ी पंजाब राज्य का प्रमुख त्योहार है, जिसे मकर संक्रांति से एक रात पहले सूर्यास्त के बाद बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस पर्व का अर्थ है—‘ल’ लकड़ी, ‘ओ’ उपले यानी सूखे गोबर के कंडे, ‘द’ रेवड़ी। यह त्योहार पौष माह में मनाया जाता है।आज आप लोहड़ी की परंपरा और इसके पीछे की रोचक कहानियां के बारे में जानेंगे।
इस की तैयारियां बच्चे लोकगीत गाकर करते हैं और लकड़ियां तथा गोबर के कंडे इकट्ठे करते हैं। फिर इन इकट्ठी की गई सामग्रियों को किसी चौराहे या मोहल्ले के खुले स्थान पर जलाया जाता है।
वे अलाव के चारों ओर एकत्र होकर कहानियां सुनाते हैं और मूंगफली, रेवड़ी और मक्का के दाने अर्पित करते हैं। लोहड़ी मनाने का तरीका अलग और खास होता है।
पंजाबी समाज इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाता है। वे गोबर से बनी माला बनाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की आशा करते हैं। इस खुशी में लोहड़ी की अग्नि में इन मालाओं को समर्पित किया जाता है। इसे ‘चर्खा चढ़ाना’ कहते हैं।
लोहड़ी की तिथि
साल 2025 में, लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी, जबकि मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
लोहड़ी क्यों मनाई जाती है?
लोहड़ी का त्योहार परंपरागत रूप से फसलों की कटाई और नई फसलों की बुवाई से जुड़ा हुआ है। रबी की फसल काटने और उसे घर लाने की खुशी में किसान लोहड़ी मनाते थे। इस अवसर पर पुराने समय की फसल घर लाई जाती थी, और इस खुशी में लोग मिलकर त्योहार मनाते थे।
यह जनवरी के महीने में आती है, जब ठंड का मौसम चरम पर होता है। मान्यता है कि लोहड़ी के बाद धीरे-धीरे ठंड कम होने लगती है।
लोहड़ी की आग में तिल, मूंगफली, गुड़ आदि अर्पित किए जाते हैं, जो सूर्य की फसल का प्रतीक हैं।
लोहड़ी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, इस तरह से सूर्य देव और अग्नि देव का आभार प्रकट किया जाता है कि उनकी कृपा से फसल अच्छी हो। साथ ही, यह प्रार्थना की जाती है कि आने वाली फसल में किसी प्रकार की समस्या न आए।
लोहड़ी न केवल फसलों के उत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार और समाज में एकता, प्रेम और सौहार्द का संदेश भी देती है। यह त्योहार हमें अपने पौराणिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ता है।
यह त्योहार परिवार में नए मेहमानों जैसे नई बहू, नवजात शिशु या हर वर्ष आने वाली फसल का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व खुशहाली, समृद्धि और नई ऊर्जा का प्रतीक है।
पौराणिक कथा
लोहड़ी का संबंध पौराणिक कथाओं से भी है। तीसरे पुराण के अनुसार, यह त्योहार एक बलिदान के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति भगवान शिव का अपमान किया था और उन्हें यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। इस अपमान से क्रोधित होकर माता सती ने यज्ञ की अग्नि में स्वयं को अर्पित कर दिया। उसी बलिदान को याद करते हुए लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है।
दुल्ला भट्टी की ऐतिहासिक कथा
लोहड़ी का पर्व एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जिसका संबंध दुल्ला भट्टी नामक वीर योद्धा से है। दुल्ला भट्टी को पंजाब का बेटा कहा जाता था। यह उस समय की बात है जब अकबर का शासन था। अकबर की नजरों में दुल्ला भट्टी एक डाकू था क्योंकि वह अमीर सैनिकों और जमींदारों के खिलाफ था। दुल्ला भट्टी अमीरों से धन लूटकर गरीबों में बांटता था।
दुल्ला भट्टी ने अकबर के सारे नियमों और कायदों का विरोध किया। उसने अकबर को इतना परेशान किया कि अकबर को अपनी राजधानी आगरा से लाहौर स्थानांतरित करनी पड़ी। उस समय पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में लड़कियों को बेचकर धन कमाने का चलन था।
जब भी दुल्ला भट्टी को इस तरह के किसी सौदे की खबर मिलती, वह इसका कड़ा विरोध करता और लड़कियों को बचाता। लोहड़ी का प्रसिद्ध गीत “सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा, दुल्ला भट्टी वाला” दुल्ला भट्टी की वीरता को ही दर्शाता है।
इस गीत की कथा के अनुसार, दुल्ला भट्टी ने दो सुंदर लड़कियों को उनके लालची चाचा के चंगुल से बचाया, जो उन्हें धन के लिए बेचने वाला था। दुल्ला भट्टी ने उन दोनों लड़कियों का अपहरण किया और उन्हें एक अच्छे परिवार में शादी करवाकर उनका जीवन बचाया।
दुल्ला भट्टी ने कई और लड़कियों की भी मदद की और उन्हें समाज में एक सम्मानित जीवन जीने का अवसर दिया। उनकी इस वीरता और साहस के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है और लोहड़ी के पर्व पर उनका गुणगान किया जाता है।
लोहड़ी के दिन क्या करें ?
- अग्नि और सूर्य देव की पूजा करें
लोहड़ी के दिन अग्नि और सूर्य देव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन पूजा करना न भूलें। - गरीब कन्याओं को रेवड़ी खिलाएं
मान्यता है कि लोहड़ी के अवसर पर गरीब कन्याओं को रेवड़ी खिलाने से घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती। - अग्नि देव की पूजा करें
सनातन धर्म में अग्नि को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है। लोहड़ी के दिन अग्नि देव की पूजा करने से साधक को शुभ फल मिलता है। - आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए
इस दिन लाल रंग के कपड़े में गेहूं बांधकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। - लोहड़ी की पूजा और शुभकामनाएं दें
इस दिन की पूजा करें और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दें। गरीबों को दान देने का महत्व इस दिन और भी अधिक है।
लोहड़ी के दिन क्या न करें ?
- झगड़ा या लड़ाई न करें
इस दिन झगड़ा करना अशुभ माना जाता है। घर में शांति बनाए रखें। - झूठ न बोलें
इस दिन झूठ बोलने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसलिए सत्य बोलें। - काले वस्त्र न पहनें
लोहड़ी के दिन काले वस्त्र धारण करना वर्जित है। इसे अशुभ माना जाता है। - अग्नि में अपवित्र चीजें न चढ़ाएं
मूंगफली, रेवड़ी आदि को पहले पूजन करें और फिर अग्नि में अर्पित करें। जूठी चीजें अग्नि में नहीं चढ़ानी चाहिए।
सार
लोहड़ी का यह पर्व हमें दुल्ला भट्टी की निडरता, परोपकार और न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है। लोहड़ी पर्व सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए।
तो इस लोहड़ी, आइए मिलकर इस त्योहार का आनंद लें और अपनी परंपराओं को सहेजें।