खरमास, जिसे मलमास भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार वह समय है जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है। यह महीना शुभ कार्यों और मांगलिक कार्यक्रमों के लिए वर्जित माना गया है। खरमास की अवधि लगभग एक महीने की होती है।इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। 2024 में खरमास 16 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक रहेगा।
खरमास का ज्योतिषीय महत्व
हिंदू ग्रंथो मे खरमास का उल्लेख व्यापक रूप से मिलता हैँ।बृहस्पति के नक्षत्रों (धनु और मीन) से होकर गुजरता है, तो इस समय को “खरमास” कहा जाता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान सूर्य की गति धीमी हो जाती है इसलिए इसका प्रभाव शुभ नहीं माना जाता है।”खर” का अर्थ है “गधा” और इसे आलस्य, परेशानी और बाधाओं का प्रतीक माना जाता है।इस माह में किए गए शुभ कार्यों का सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता।अतः इस समय शुभ कार्यों को टाल देना ही उचित माना जाता है।

खरमास 2024 की अवधि
2024 मे खरमास 16 दिसंबर को शुरू होगा, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। यह अवधि 14 जनवरी तक रहेगी जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा । इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
इस माह मे क्या करें और क्या ना करें?
खरमास के दौरान हिंदू धर्म में कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है।
क्या करें?
- दान: इस समय दान करना फलदायी कहा जा सकता है। गरीबों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरत की चीजें दान करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: इस समय भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
- भजन-कीर्तन: इस महीने में भजन-कीर्तन और भगवत गीता का पाठ करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है।
- व्रत: खरमास के दौरान व्रत करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
क्या ना करें?
- शुभ कार्यक्रम: इस समय विवाह, गृह प्रवेश, नया करियर या अन्य शुभ कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है।
- सौंदर्य प्रसाधन: शास्त्रों के अनुसार इस दौरान आडंबर और श्रंगार/सजावट से बचना चाहिए।
- नये निवेश. नई संपत्ति या वाहन खरीदने से बचना चाहिए।
धार्मिक कथाएं और मान्यताएं
खरमास के बारे में कई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित हैं। किंवदंती के अनुसार, खरमास को यह नाम सूर्य की धीमी गति से मिला। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान सूर्यदेव की गति धीमी हो जाती थी । वे खर (गधे)की तरह धीरे-धीरे चलते थे। इसीलिए इसे “खरमास” कहा जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे। अतः उनकी अनुपस्थिति में कोई भी शुभ कार्य करने से अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
इस दौरान पूजा और व्रत का महत्व
खरमास के दौरान किए गए धार्मिक कार्य और व्रत का विशेष महत्व है। इस समय भगवान सूर्य, विष्णु और शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है।
- भगवान विष्णु की पूजा: इस महीने भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैँ।विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और तुलसी के पत्तों को अर्पण करना फलदाई है।
- सूर्य पूजा: खरमास के दौरान रोज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- महामृत्युंजय मंत्र: इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।

खरमास के आधुनिक समय में प्रभाव
आधुनिक युग में, जहां लोग धीरे -धीरे ज्योतिष और धार्मिक विश्वासों से छुटकारा पा रहे हैं, खरमास का महत्व अभी भी बरकरार है।कई परिवार अब शुभ कार्य को करने से से परहेज कर रहे हैं।इस इस धार्मिक दृष्टि से देखते हैं।हालांकि, कुछ लोग इसे एक परंपरा मानते हैं।
2024 खरमास के लिए विशेष उपाय
धर्म के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- भगवत गीता का पाठ करें: इसका पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है।
- दान: भोजन, कपड़े और पैसे दान करें।
- पानी और दीप दान: सूर्यास्त के समय नदी में दीप जलाकर जल प्रवाहित करना शुभ माना जाता है ।
- सत्संग: इस समय, साधु-संतों के सत्संग और प्रवचन सुनकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष
खरमास न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।यह समय आत्मनिरीक्षण, साधना और सेवा का है।2024 का खरमास 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक चलेगा। जब हमें अपने कार्यों को सही दिशा में निर्देशित करके अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।खरमास हमें सिखाते हैं कि हमारे आंतरिक गुण और पवित्रता,हमारी बाहरी प्रतिभा से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
इसलिए इस पवित्र महीने में संयम और धर्म का पालन करें और अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
अधिक जानकारी के लिए:- “खरमास में मैं ना करें यह कार्य”
यह भी देखें:- “ भगवत गीता के उपदेश”