मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला एक विशेष व्रत एवं पूजन उत्सव है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है।
यह व्रत शक्ति, साहस और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वर्ष 2025 में ज्येष्ठ माह में यह व्रत 3 जून, मंगलवार को रखा जाएगा।
यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत रखने और देवी की पूजा करने से पापों का नाश होता है और देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
अष्टमी तिथि और पूजा मुहूर्त
दुर्गाष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 जून 2025 को रात 8:34 बजे
दुर्गाष्टमी तिथि समाप्त: 3 जून 2025 को रात 9:56 बजे
व्रत तिथि (उदयतिथि के अनुसार): 3 जून, मंगलवार
पूजा शुभ मुहूर्त: 2 जून को रात 8:34 बजे से 3 जून को रात 9:56 बजे तक
चूंकि व्रत और पूजा की गणना उदयतिथि के अनुसार की जाती है, इसलिए मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 3 जून को रखा जाएगा।
चूंकि यह दिन मंगलवार है, इसलिए देवी दुर्गा के साथ-साथ भगवान हनुमान की पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी होगा।

मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व
मासिक दुर्गाष्टमी देवी दुर्गा की पूजा करने का एक मासिक अवसर है।
यह व्रत उन भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन में शक्ति, सफलता और सुरक्षा की कामना करते हैं।
यह दिन बुरी शक्तियों के नाश और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है।
मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करती हैं।
यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ होता है।
अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं सौभाग्य और संतान सुख के लिए यह व्रत रखती हैं।
व्रत विधि
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
व्रत का संकल्प लें – “मैं आज मां दुर्गा की कृपा के लिए मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रख रहा हूं।”
पूरे दिन उपवास रखें। कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फल या केवल एक समय भोजन करते हैं।
पूरे दिन मां दुर्गा का नाम स्मरण करें और दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
शाम को मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें।
पूजा सामग्री और पूजा विधि
आवश्यक सामग्री: लाल कपड़ा, लाल फूल, कुमकुम, चावल, कलावा, गंगा जल, दीपक, घी, धूपबत्ती, नैवेद्य (फल और मिठाई)।
पूजा विधि:
- लाल कपड़े पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें।
- गंगा जल से शुद्धिकरण करें और दीपक जलाएं।
- चावल, कुमकुम और फूल चढ़ाएं।
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र का जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती या अर्गला स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में आरती करें, नैवेद्य चढ़ाएं और व्रत का समापन करें।
कन्या पूजन का महत्व
संभव हो तो मासिक दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन करें। यह विशेष रूप से मां दुर्गा की कृपा पाने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।
9 या कम से कम 1 कन्या को आमंत्रित करें।
उनके पैर धोएँ, उन्हें तिलक लगाएँ और भोजन कराएँ।
उन्हें उपहार, वस्त्र या दक्षिणा दें।
संतान सुख, समृद्धि और पुण्य प्राप्ति के लिए यह पूजा बहुत लाभकारी है। कन्याओं में स्वयं मां दुर्गा का वास होता है, इसलिए उन्हें प्रसन्न करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
व्रत के नियम और सावधानियां
व्रत के दिन सात्विकता बनाए रखें। मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन से परहेज करें।
झूठ, झगड़े, अपवित्रता और बुरे विचारों से बचें।
संभव हो तो ब्रह्मचर्य का पालन करें।
किसी को गाली न दें और सेवा की भावना रखें।
पूरे दिन मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और धार्मिक कार्यों में समय व्यतीत करें।
व्रत खोलते समय सात्विक भोजन करें, तामसिक चीजों से परहेज करें।
इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूरा लाभ मिलता है और देवी की विशेष कृपा बनी रहती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत ग्रहों के दोषों को शांत करने में सहायक होता है।
राहु, केतु और शनि के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए यह व्रत बहुत कारगर माना जाता है।
जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है या राहु-केतु की दशा चल रही है, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
मंगलवार को पड़ने वाली दुर्गाष्टमी मंगल दोष शांति की संभावना भी बनाती है।
इस दिन किए गए जाप और साधना शीघ्र फलदायी होते हैं।
जो लोग अपने जीवन में नकारात्मकता, भय, मानसिक तनाव या दुर्भाग्य से ग्रस्त हैं, उन्हें यह व्रत नियमित रूप से करना चाहिए।
निष्कर्ष
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत एक बहुत ही सरल लेकिन प्रभावी साधना है, जो देवी दुर्गा की उपासना के माध्यम से जीवन में सुख, शांति और सफलता प्रदान करती है।
जून 2025 की मासिक दुर्गाष्टमी 3 जून, मंगलवार को पड़ रही है, जो सभी भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है।
इस दिन श्रद्धा, नियम और पूरी निष्ठा के साथ व्रत और पूजा करने से माँ दुर्गा की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
यह व्रत जीवन को कष्टों से मुक्त करने वाला और साधना को सफल बनाने वाला माना जाता है।
इस दिन जरूर पढ़े दुर्गा चालीसा