हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का तीसरा महीना “ज्येष्ठ मास” कहलाता है।
यह वह समय होता है जब सूर्य अपने प्रचंड रूप में होता है और यह महीना तपस्वियों, भक्तों और साधकों के लिए विशेष पुण्य फल प्रदान करता है।
यह महीना केवल जल की प्यास बुझाने के लिए ही नहीं बल्कि आत्मा को तृप्त करने वाले कर्मों के लिए भी है – जैसे दान, तप, सेवा, व्रत और संयम।
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ मास मंगलवार, 13 मई से शुरू हो रहा है और बुधवार, 11 जून को समाप्त होगा।
इस दौरान शुक्ल पक्ष 13 मई से 28 मई तक और कृष्ण पक्ष 28 मई से 11 जून तक रहेगा।
ज्येष्ठ मास का धार्मिक महत्व
ज्येष्ठ मास को अत्यधिक गर्मी का महीना कहा जाता है, लेकिन इस दौरान धर्म का आचरण करने वाले व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस महीने में जल दान, भोजन बांटना, छाया की व्यवस्था करना और तप करना – इन सभी से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।
कहते हैं कि इस महीने में जल की एक बूंद का दान भी गंगा स्नान के समान फल देता है।
व्रत, त्योहार, पूजा-पाठ और सेवा से यह महीना आध्यात्मिक शुद्धता और विनम्रता का प्रतीक बन जाता है।
ज्येष्ठ मास 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत और त्योहार
ज्येष्ठ मास 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहारों की तिथियां नीचे दी गई तालिका में दी गई हैं:
क्रम | त्यौहार/पर्व | तिथि | दिन |
1 | वृषभ संक्रांति | 15 मई, 2025 | गुरुवार |
2 | विकट संकष्टि चतुर्थी | 16 मई, 2025 | शुक्रवार |
3 | कालाष्टमी | 20 मई, 2025 | मंगलवार |
4 | मासिक कृष्ण जन्माष्टमी | 20 मई, 2025 | मंगलवार |
5 | हनुमान जयंती (तेलुगु ) | 22 मई, 2025 | गुरुवार |
6 | अपरा एकादशी | 23 मई, 2025 | शुक्रवार |
7 | शनि त्रयोंदशी | 24 मई, 2025 | शनिवार |
8 | प्रदोष व्रत | 24 मई, 2025 | शनिवार |
9 | मासिक शिवरात्रि | 25 मई, 2025 | रविवार |
10 | वट सावित्री | 26 मई, 2025 | सोमवार |
11 | विनायकी चतुर्थी व्रत | 30 मई, 2025 | शुक्रवार |
12 | महेश नवमी | 4 जून, 2025 | गुरुवार |
13 | गंगा दशहरा | 5 जून, 2025 | गुरुवार |
14 | निर्जला एकादशी | 6 जून, 2025 | शुक्रवार |
15 | ज्येष्ठ पूर्णिमा | 11 जून, 2025 | बुधवार |
इस महीने में करें ये खास काम
जल दान करें और पीने के पानी की टंकी लगवाएं
गर्मी के इस महीने में प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है।
कहीं पीने के पानी की टंकी लगवाना, राहगीरों को ठंडा पानी पिलाना या पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना- ये सभी बेहद पुण्य कार्य हैं।

व्रत और पूजा:
इस महीने में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत और प्रदोष जैसे व्रत आते हैं, जिनके पालन से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस महीने में महिलाएं विशेष रूप से बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
सूर्य अर्घ्य और सूर्य पूजन:
ज्येष्ठ माह में सूर्य देव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
प्रतिदिन सुबह तांबे के बर्तन में जल, लाल फूल, चावल और रोली डालकर सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में स्वास्थ्य और आत्मविश्वास बढ़ता है।
व्रत कथा श्रवण और सत्संग:
इस समय गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी आदि व्रत कथाओं का श्रवण करना बहुत शुभ होता है।
घर में श्रीमद्भागवत गीता या रामचरितमानस का पाठ करने से इस महीने में दिव्यता आती है।
क्या न करें?
- तामसिक भोजन का त्याग करें:
इस महीने में मांस, मछली, शराब, प्याज-लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
जितना सात्विक भोजन लिया जाएगा, उतना ही शरीर और मन के लिए फायदेमंद होगा।
- झूठ, विवाद और क्रोध से दूर रहें:
धार्मिक महीनों में संयम और शांति जरूरी है। इसलिए क्रोध, अपशब्द या विवाद से बचें।
- दोपहर में यात्रा करने से बचें:
तेज धूप और गर्मी के कारण दोपहर में बाहर निकलने से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
इसलिए जितना हो सके दोपहर में यात्रा करने से बचें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्येष्ठ माह
गर्मी के इस महीने में शरीर से अधिक पसीना और ऊर्जा निकलती है।
ऐसे समय में अधिक पानी पीना चाहिए, ठंडी चीजों का संतुलित उपयोग और हल्का भोजन करना चाहिए।
फल, पानी, छाछ और नारियल पानी जैसे पेय पदार्थ शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं।
यही वजह है कि शास्त्रों में भी इस समय जल और अन्न दान करना श्रेष्ठ माना गया है।
ज्येष्ठ मास में विशेष ध्यान देने योग्य मंत्र
सूर्य मंत्र:
“ॐ घृणि सूर्याय नमः” – प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें।
हनुमान मंत्र:
“ॐ ह्रं हनुमते नमः” – मंगलवार को हनुमान जी की पूजा में इस मंत्र का प्रयोग करें।
शिव मंत्र:
“ॐ नमः शिवाय” – मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत आदि पर इस मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।
महिलाओं के लिए विशेष: वट सावित्री व्रत
ज्येष्ठ मास की अमावस्या या वट पूर्णिमा को विवाहित महिलाएं वट वृक्ष के नीचे व्रत रखती हैं।
यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप से यमराज को भी झुका दिया था।
इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की खुशहाली, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं।

निष्कर्ष
ज्येष्ठ मास केवल एक कैलेंडर माह नहीं है, बल्कि धार्मिक चेतना और समाज सेवा का पर्व है।
यह वह समय है जब तप और त्याग की भावना प्रबल होती है। इस माह का प्रत्येक दिन हमें संयम, सेवा और साधना की ओर प्रेरित करता है।
व्रत, पूजा और सत्कर्मों के माध्यम से हम न केवल अपने जीवन को पवित्र करते हैं, बल्कि समाज को भी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसलिए ज्येष्ठ मास का स्वागत भक्ति, सेवा और संकल्प के साथ करें।