पंचक काल हिंदू कैलेंडर में एक विशेष ज्योतिषीय अवधि है, जिसमें चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है।
इस समय को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। जून 2025 में पंचक 16 जून को आ रहा है और 20 जून को समाप्त होगा।
इस लेख में हम जानेंगे कि पंचक का क्या महत्व है, इसके दौरान कौन से काम वर्जित हैं, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और धार्मिक दृष्टि से इसका क्या प्रभाव है।
पंचक की तिथि और समय – जून 2025
जून 2025 का पंचक 16 जून को सुबह 11:38 बजे शुरू होगा और 20 जून को सुबह 6:56 बजे समाप्त होगा।
पंचक की यह अवधि पूरे पांच दिनों की होती है।
यह तब शुरू होता है जब चंद्रमा कुंभ राशि में प्रवेश करता है और तब तक रहता है जब तक कि वह मीन राशि को छोड़कर मेष राशि में प्रवेश नहीं कर लेता।

पंचक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
पंचक काल में कई तरह के काम वर्जित होते हैं, जैसे-
नए घर का निर्माण
खाट, पलंग, लकड़ी का फर्नीचर आदि बनाना
दाह संस्कार (विशेष सावधानी से करना होता है)
नाव, छत, कुआं आदि बनाने के काम
विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ काम
माना जाता है कि पंचक के दौरान इन कामों को करने से अशुभ फल मिलते हैं और जीवन में बाधाएं आती हैं।
पंचक के दौरान यात्रा वर्जित
पंचक के दौरान विशेष रूप से दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना वर्जित है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह दिशा यमराज की दिशा है और पंचक के दौरान इस दिशा में यात्रा करने से मृत्यु या हानि हो सकती है।
यदि यात्रा आवश्यक हो तो विद्वानों से परामर्श लेकर तथा हनुमान चालीसा का पाठ, दान आदि उचित उपाय करके यात्रा प्रारंभ की जा सकती है।
पंचक में दाह संस्कार से संबंधित सावधानियां
यदि पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाती है और उसका दाह संस्कार करना हो तो विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में इसे “शव पंचक” कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यदि पंचक में दाह संस्कार किया जाए तो परिवार में लगातार मौतें हो सकती हैं।
इससे बचने के लिए विशेष पूजा-पाठ, यदि किसी की मृत्यु पंचक काल में हो जाए, तो गरुड़ पुराण के अनुसार, शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर अंतिम संस्कार करना चाहिए।
पंचक के पांच नक्षत्र और उनके प्रभाव
पंचक काल उन पांच नक्षत्रों में आता है जिन्हें अशुभ माना जाता है-
- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वाभाद्रपद
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
ये नक्षत्र विष्णु, शनि, वरुण जैसे देवताओं से संबंधित हैं और इन नक्षत्रों के काल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
पंचक काल के उपाय
पंचक के दौरान किसी भी कार्य की आवश्यकता होने पर कुछ उपाय करके अशुभता से बचा जा सकता है-
हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें
पंचक दोष निवारण के लिए ब्राह्मणों को दान दें
पंचमुखी दीपक जलाएं और गाय को रोटी खिलाएं
भगवान विष्णु, शिव और हनुमान की पूजा करें
पंचक के दौरान क्या किया जा सकता है?
वैसे तो पंचक को आमतौर पर अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान ध्यान, पूजा, जप, दान आदि कार्य करना शुभ माना जाता है।
यह आत्मोत्थान और आध्यात्मिक उन्नति का समय होता है।
इस समय किसी भी तरह की साधना या व्रत किया जा सकता है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
पंचक केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं है बल्कि यह खगोलीय स्थिति पर आधारित काल है।
जब चंद्रमा इन पांच विशेष नक्षत्रों में रहता है तो पृथ्वी पर इसकी गति और प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
यही कारण है कि पंचांगों में इसे महत्व दिया गया है।

पंचक से जुड़ी पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यमराज ने बताया था कि पंचक काल में शुभ कार्य करने से मनुष्य के जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं।
इसी मान्यता के आधार पर आज भी पंचक में कई कार्य नहीं किए जाते हैं।
यह काल आत्मचिंतन और अच्छे कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
निष्कर्ष:
जून 2025 में पंचक काल 16 जून से 20 जून तक रहेगा।
यह पांच दिन सावधानी और सतर्कता के साथ बिताने चाहिए।
पंचक के दौरान शुभ कार्यों से बचना, दक्षिण दिशा की यात्रा से बचना और धार्मिक उपाय अपनाकर हम अपने जीवन को सुरक्षित और शुभ बना सकते हैं।
अगर कोई कार्य अनिवार्य है तो किसी अनुभवी पंडित या ज्योतिषी से सलाह लेकर ही करें।