हिंदू धर्म में जया एकादशी को अत्यंत पवित्र और महत्त्वपूर्ण माना गया है।हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष प्राप्त करता है। इस दिन में भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करें।
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवात्मा की गति उच्च स्थानों की ओर होती है और वह भूत-प्रेत के शरीर से मुक्त हो जाता है।
इस दिन के पूजन में घी, चावल, रोली और विशेष सुगंध चढाने की प्राथा है।
जया एकादशी का महत्व
जया एकादशी व्रत आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए विशेष रूप से प्रभावी है। इस व्रत को रखने से मनुष्य को पापों से छुटकारा मिलता है और उसकी आत्मा उच्च लोकों में स्थान पाती है। जया एकादशी केवल व्रत या पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले को भूत-प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
जया एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी 2025 को रात 9:00 बजे।
एकादशी तिथि समाप्त: 8 फरवरी 2025 को रात 9:30 बजे।
पूजा का शुभ मुहूर्त: 8 फरवरी 2025 को शाम 8:10 बजे से 9 फरवरी 2025 को सुबह 7:04 बजे तक।
पूजा की अवधि: कुल 2 घंटे 12 मिनट।
व्रत विधि
जया एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सूर्योदय के समय स्नान करके भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। अपने मन में संकल्प करते हुए पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए।
- व्रत से पूर्व एकादशी व्रत के दिन से एक दिन पहले, दशमी तिथि को एक समय में सात्विक आहार लें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- व्रत में भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करें।
- पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की छोटी प्रतिमा स्थापित करें ।
- उन्हें दूध, दही, घी, पंचामृत से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद प्रतिमा को वस्त्र पहनाएं और पवित्र धागा चढ़ाएं।
- पुष्प, जल, रोली और विशेष सुगंधित पदार्थों से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- भगवान विष्णु की पूजा के बाद उनकी आरती करें।
- उनसे प्रार्थना करें कि “हे प्रभु, यदि हमारी पूजा में कोई कमी रह गई हो तो उसे स्वीकार करें।”
- शाम को दीपक जलाएं और चंदन, फल आदि अर्पित करें।
- रातभर जागरण करें, श्री हरि के नाम का भजन करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों या निर्धन व्यक्तियों को भोजन कराएं और दान करें।
भगवान नारायण को प्रसन्न करने के लिए इस दिन श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके अलावा, नारायण स्तोत्र का पाठ भी शुभ माना जाता है।
द्वादशी के दिन का महत्व
द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को आमंत्रित करें, उन्हें भोजन कराएं, वस्त्र, पत्तल, पवित्र धागा, और दक्षिणा दें।
उनके जाने के बाद ही स्वयं भोजन करें। ऐसा करने से व्यक्ति भूत-प्रेत के चक्र से मुक्त होता है।
यदि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो चुकी हो, तो जया एकादशी व्रत करने से उनके आत्मा को शांति मिलती है, और वे भूत-प्रेत योनि से मुक्त हो जाते हैं।

जया एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में इन्द्र की सभा में मलयवान नामक एक गंधर्व गीत गा रहा था, लेकिन उसका मन अपनी नवयुवती पत्नी में था। इस कारण से उसका गायन ताल से बिगड़ गया। इन्द्र क्रोधित होकर उसे श्राप दे दिया कि वह जिसको याद कर रहा है, वह राक्षसी बन जाए। गंधर्व अपनी गलती स्वीकार करते हुए इन्द्र से क्षमा मांगने लगा, लेकिन इन्द्र ने उसे सभा से बाहर निकाल दिया।
घर लौटने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी सच में राक्षसी बन चुकी थी। श्राप से मुक्ति के लिए उसने बहुत प्रयास किए, लेकिन सभी असफल रहे। एक दिन उसकी भेंट ऋषि नारद से हुई। ऋषि नारद ने उसे श्राप निवारण के लिए शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत और भागवत कीर्तन करने की सलाह दी।
गंधर्व ने एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उनके श्राप का अंत हुआ।औरउसकी पत्नी राक्षसी रूप से मुक्त होकर अत्यंत सुंदर रूप में परिवर्तित हो गई। दोनों ने स्वर्गलोक की ओर यात्रा की और वहां सुखपूर्वक निवास किया।
जया एकादशी के लाभ
- पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति।
- भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि।
- भूत-प्रेत योनि से मुक्ति।मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त।
जया एकादशी के साथ जागरण का महत्व
इस दिन जागरण का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि जो व्यक्ति जया एकादशी की रात जागरण करता है और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करता है, उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
जया एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है। इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा के साथ करने से जीवन के सभी दुखों और पापों का नाश होता है। भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।
इस जया एकादशी 2025 पर व्रत रखें, भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को संवारें।