होली के पहले आठ दिनों की कालावधि होलाष्टक कहलाती है, जो हिंदू धर्म में अशुभ मानी जाती है।
इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए कार्यों की शुरुआत आदि से बचने की सलाह दी जाती है।
आध्यात्मिक दृष्टि से इन दिनों को साधना, भक्ति और होली की तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
होलाष्टक का महत्व
होलाष्टक का अत्यधिक महत्व प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कहानी से जुड़ा है।
मान्यता है कि इन आठ दिनों में हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को कई यातनाएं दी थीं।
अंत में, होलिका के माध्यम से उसे मारने का प्रयास किया गया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका दहन में भस्म हो गई।
इसी कारण होलाष्टक को मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक शुद्धि का महत्वपूर्ण समय माना जाता है।

होलाष्टक में क्या करें?
- भक्ति और उपासना करें
भगवान विष्णु, नरसिंह देव और श्रीकृष्ण की पूजा करें।
इस अवधि में श्रीमद्भागवत, विष्णु सहस्रनाम और नरसिंह स्तुति का पाठ शुभ माना जाता है।
हनुमान जी की अराधना करने से भी नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
- दान और सेवा करें
होलाष्टक के दिनों में दान देने का विशेष महत्व है।
अन्न, परिधान, जल और आवश्यक सामग्री को आर्थिक सहायता देना शुभ माना जाता है।
गौसेवा, ब्राह्मण सेवा और वृद्ध जनों की सेवा से पुण्य का फल प्राप्त होता है।
- नियमितता और शिष्टाचार अपनाएं
होलाष्टक में क्रोध, अभिमान और द्वेष से बचें।सात्विक भोजन करें और मानसिक शांति बनाए रखें।
ध्यान, योग और प्राणायाम करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- होली के लिए तैयारी करें
होलाष्टक के पहले दिन विभिन्न रंगों की उपस्थिति होती है।
इस समय होली के लिए पुतले और अन्य स्मशान सामग्री का संग्रहण शुरू होता है।
होलिका पूजन के लिए उचित स्थान का चयन किया जाता है।
- पितृ शांति व गृहदोष शांति के लिए उपाय
जिन व्यक्तियों के होलाष्टक में पितृदोष है, उन्हें पितृ-दोष शांति के लिए होलाष्टक में तर्पण, पिण्डदान या श्राद्ध करना चाहिए।
गंगाजल से नहाना शुभ माना जाता है।
- मंत्र जाप करें और सिद्धि प्राप्त करें
होलाष्टक में तंत्र-मंत्र साधना के लिए उचित समय माना जाता है।
इस समय महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, विष्णु मंत्र या अपने पसंदीदा देवता के मंत्रों का जाप करें।
इस मंत्र जाप करने के दौरान कई गुणा पुण्य होता है।
होलाष्टक में क्या ना करें?
- विवाह, घर में प्रवेश और आयोजन न करें
होलाष्टक में विवाह, सगाई, घर प्रवेश, नामकरण संस्कार, मुंडन आदि शुभ कार्यों से बचना उचित है।
इन दिनों को अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित होते हैं।
- नए काम न शुरू करे
नया कारोबार, नौकरी ग्रहण, किसी बड़ी योजना की शुरुआत, दौलत खरीदना-बेचना जैसे काम करने से परहेज करें।
इस समय किए गए कार्यों में अघोषिता हो सकती है।
परिवार में विवाद न करेंइस अवसर परिवार में तकरार, विवाद, हंगामा, कठोर भाषण और नकारात्मक सोच से दूर रहें।
इस समय परिश्रम, संयम और सहनशक्ति की जरूरत है।
- शराब और मांसाहार का सेवन न करें
होलाष्टक में पाक का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।
मदिरा, मांस, तामसिक भोजन और अनुचित चरित्र को टालें।
होली दहन से पहले पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाएं
होली के रंगों की खेलने के लिए पेड़ों को काटने से बचें।सूखी लकड़ी और प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग करें।
- नकारात्मक मनोवृत्तियों से दूर रहें
होलाष्टक में नकारात्मकता, चिंता और डर को न बढ़ाएं।
ज्ञान और साधु संगति से अपने विचारों को सकारात्मक बनाए रखें।
निष्कर्ष
होलाष्टक एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समय है।
इन आठ दिनों में शुभ कार्यों से बचाव की परंपरा है, लेकिन यह आत्मशुद्धि, साधना, दान-पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम समय है।
इस अवधि में संयम, भक्ति और सेवा के कार्य करके हम अपने जीवन को आनंदमय बना सकते हैं।
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