गुरुवार व्रत गुरुदेव बृहस्पति की प्रसन्नता तथा भगवान विष्णु की कृपा के लिए किया जाता है। गुरुवार व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-संपन्नता आती है तथा बृहस्पति के अशुभ लक्षणों से मुक्ति मिल जाती है।
आईए जानते हैं कि गुरुवार व्रत के नियम क्या है? विधि क्या है? व्रत में कैसा खान-पान होना चाहिए?
तथा गुरुवार व्रत में व्यक्ति को कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए।
गुरुवार व्रत में कौन सी चीज़ दान करना आपके लिए लाभप्रद होता है तथा गुरुवार का व्रत किसे करना चाहिए और इस व्रत को करने से क्या लाभ होता है?
गुरुवार व्रत कब से शुरू करें | Guruwar Vrat Kab Se Shuru Karte Hain | When To Strat Brihaspatiwar Vrat
वैसे तो गुरुवार व्रत को पौष मास से छोड़कर बाकी सभी महीनों में शुरू किया जा सकता है परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति सूतक-पातक की स्थिति में इस व्रत की शुरुआत ना करे तथा ध्यान दे कि पौष महीने में इस व्रत को शुरू करना उत्तम नहीं माना जाता है।
यदि वर्ष के सबसे शुभ माह की बात करें तो गुरुवार व्रत कार्तिक मास से शुरू करना सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि कार्तिक मास भगवान विष्णु का माह माना जाता है। इसके बाद दूसरा शुभ माह सावन माह को माना जाता है। इन दो महीनों के अलावा आप किसी भी महीने में भी व्रत को प्रारंभ कर सकते हैं परंतु ध्यान रहे की शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से इस व्रत को प्रारंभ करना सर्वोत्तम माना जाता है।
गुरुवार व्रत कितनी संख्या में करना चाहिए | How Many Times Should One Fast Brihaspatiwar | Brihaspatiwar Vrat Kitne Baar Karna Chahiye
वैसे तो गुरुवार का व्रत एक साल या छह महीने के लिए संकल्प करके भी किया जाता है परंतु इस व्रत को 16 की संख्या में करना विशेष शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि 16 गुरुवार व्रत कर विधि-विधान से उसका उद्यापन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
गुरुवार व्रत किसे करना चाहिए | Who should Fast Thursday | Guruwar Vrat Kise Karna Chahiye
अगर आप भी अपने जीवन में अपने किसी भी कष्ट से परेशान हैं, विशेष कर कुंडली के अशुभ बृहस्पति से परेशान हैं या आपकी शादीशुदा जीवन अच्छा नहीं चल रहा है तो आप भी 16 गुरुवार का व्रत कर सकते हैं।
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गुरुवार व्रत की पूजा विधि | Worship Method of Thursday Fast | Guruwar Vrat Ki Puja Vidhi
सर्वप्रथम गुरुवार व्रत करने वालों को, यदि स्त्री हैं तो एक दिन पूर्व ही अपने बालों को शैंपू या साबुन से साफ कर लें। व्रत करने वाले को उस दिन जल्दी जगना चहिये और बिना साबुन-शैंपू का स्नान करना चाहिए तथा पूजा स्थान को गोबर से नहीं लेपना है, केवल गंगाजल छिड़क कर किसी साफ कपड़े से स्वच्छ कर लेना है। इस व्रत में भगवान बृहस्पति की फोटो के साथ-साथ केले के पेड़ की भी पूजा होती है। तो यह दोनों चीज़ें आपके पास पूजा के लिए होना अनिवार्य है।
तो चलिए जान लेते हैं पूजा के निम्नलिखित बातें :-
(i). व्रतधारी को इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
(ii). सर्वप्रथम पूजा के लिए व्रतधारी के पास चने की दाल तथा मुनक्का होना चाहिए।
(iii). व्रत धारी को केले के वृक्ष के पास आसन लगाकर बैठ जाना है यदि केले के वृक्ष के पास बैठना संभव न हो सके तो आप अपने घर के मंदिर में भगवान बृहस्पति की फोटो के सामने भी यह पूजा कर सकते हैं।
(iv). इसके बाद एक कलश रखें। कलश के अंदर मुनक्का, चने की दाल और थोड़ा गुड़ डालकर रखें फिर उसके ऊपर एक दीप प्रज्वलित करें।
(v). केले के वृक्ष की या भगवान विष्णु की फोटो या मूर्ति को पीले रंग के चंदन से तिलक करके उन्हें धूप-दीप नैवेद्य तथा इत्र अर्पित करें।
(vi). इसके बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई, चने की दाल का हलवा या कच्चे चने की दाल और गुड का भोग अर्पित करें।
(vii). तत्पश्चात आप व्रत कथा पढ़ें इसके बाद आरती करें।
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(viii). फिर कलश में रखे हुए जल को उठकर केले के वृक्ष में डालकर प्रणाम करें फिर प्रसाद उठा लें तथा प्रसाद परिवार के लोगों में बांट दें परंतु खुद प्रसाद शाम को जब भोजन ग्रहण करें तभी खाएं।
गुरुवार व्रत के लाभ | Benefits of Thursday Fast | Guruwar Vrat Ke Laabh
गुरुवार व्रत करने के अनेको लाभ है जिसमें प्रमुख लाभ यह है कि गुरुवार व्रत करने से गुरुदेव उच्च के हो जाते हैं तथा उनके अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल जाती हैं। गुरुवार व्रत करने से वैवाहिक जीवन में आ रही मनमुटाव, तनाव तथा सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
(i). वैवाहिक जीवन में सुधार
कभी-कभी कुंडली में बृहस्पति के सही स्थान पे नहीं होने से वैवाहिक जीवन नर्क बन जाता है तथा पति-पत्नी में आपस में अनबन रहने लगती है। स्थितियां यदि बहुत खराब हुई और समय पर इसका ध्यान नहीं दिया गया तो तलाक तक की नौबत आ जाती है। इसे दूर करने के लिए गुरुवार व्रत, भगवान विष्णु की पूजा करना और केले की पूजा करना रामबाण उपाय है।
(ii). संतान संबंधी पीड़ाओं का समाधान
गुरु ग्रह को संतान का कारक भी कहा जाता है इसलिए यदि संतान होने में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तथा संतान की तरफ से कोई तकलीफ है या संतान किसी भी कष्ट से पीड़ित है तो माता-पिता अपनी संतान की उन्नति के लिए गुरुवार का व्रत धारण कर सकते हैं। संतान नहीं हो रही है, आप लंबे समय से डॉक्टर से सलाह ले रहे हैं, किसी भी हालत में आपकी संतान प्राप्ति की इच्छा अधूरी है तो आपको अवश्य गुरुवार का व्रत करना चाहिए। यह आपकी कुंडली में अशुभ बृहस्पति को शुभ कर आपको संतान का सुख प्रदान करते हैं।
गुरुवार व्रत की उद्यापन विधि | Concluding Method of Thursday Fast | Guruwar Vrat Ki Udyapan Vidhi
गुरुवार व्रत संपूर्ण होने के बाद उद्यापन करना अनिवार्य होता है अन्यथा आपकी किए गए व्रत का संपूर्ण फल आपको नहीं प्राप्त हो पता है इसलिए जब भी व्रत शुरू करें आपको एक निश्चित संख्या में शुरू करना चाहिए। जैसे 16 गुरुवार पूर्ण हो जाए तो 17वें गुरुवार को आपको इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन के लिए हर दिन की तरह पूजा पाठ करना चाहिए तथा कुछ विशेष चीजों का दान करना चाहिए जो की निम्नलिखित है :-
दान: व्रत के उद्यापन के दिन दान करना अनिवार्य है। पूजा-पाठ में आपको सवा किलो चने की दाल, 1.25 metre पीला कपड़ा तथा 1.25 KG गुड़ अवश्य लेना चाहिए। जब आपकी पूजा-पाठ और आरती समाप्त हो जाए तो दान में निकली हुई सामग्री का किसी मंदिर में या ब्राह्मण को दान कर दें। दान करने के बाद ब्राह्मण का चरण स्पर्श करें उसके बाद घर आकर आप अपने व्रत को खोल सकते हैं। इस प्रकार करके आपका उद्यापन पूर्ण हुआ।
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गुरुवार व्रत में जरूर रखें यह सावधानियां | Be Sure To Take These Precautions During Thursday Fast | Guruwar Vrat Mein Kaun Si Sawdhaniyan Rakhni Chahiye
गुरुवार व्रत जितना अधिक शुभ फल देता है उतना ही इस व्रत में किसी भी त्रुटि को करना या व्रत को सही ढंग से निर्वाह न करने से अशुभ प्रभाव भी मिलता है।
तो चलिए जान लेते हैं एक-एक महत्वपूर्ण सावधानियों जिसे रखकर आप अपने व्रत का संपूर्ण लाभ ले सकते हैं।
(i). घर की साफ-सफाई अथवा पोछा लगाना:
गुरुवार के दिन घर में भूल कर भी पोछा न लगाएं तथा इस दिन कपड़े भी न धुले यदि व्रत नहीं करने के दौरान भी इस तरह की गलतियां की जाएं तो व्रत का अशुभ फल हमें मिलने लगता है तथा लाभ की जगह हानि होने लगती है।
(ii). कूड़ा-करकट एवं कबाड़ निकालना:
गुरुवार के दिन भूल कर भी घर के टूटे-फूटे समान तथा कबाड़ को कभी नहीं बेचना चाहिए, इससे लक्ष्मी की हानि होती है। अगर आप गुरुवार व्रत नहीं करते हैं तो भी आपको यह नियम जरूर पालन करना चाहिए।
धन्यवाद
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~ Sadhana Pandey