Guruwar vrat katha
ज्योतिष शास्त्र में देव गुरु को संतान और पति का कारक ग्रह माना गया हैl गुरुवार का व्रत धारण करके गुरुवार व्रत की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से गुरु ग्रह की कृपा अपरंपार बरसने लगती है तो आइए जानते हैं गुरुवार व्रत कथा
कथा सुनने से पूर्व गणेश जी का ध्यान कर ले हाथों में फूल ले ले मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करके कथा श्रवण करना प्रारंभ करें|
Guruwar Vrat Ki Katha
प्राचीन काल की बात है किसी राज्य में एक राजा राज्य करता था वह हर गुरुवार को व्रत रखकर दीन दुखियों की मदद करके पूरे प्राप्त करना चाहता था परंतु यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती वरना तो व्रत करती और ना ही दाने पुणे में विश्वास रखती थी और राजा के इन कार्यों से वह दुखी और परेशान रहती थी राजा को ऐसा करने से मना भी किया करती थी|
एक समय की बात है राजा शिकार खेलने के लिए वन में गए हुए थे रानी और दासी घर पर थी उस समय गुरु बृहस्पति देव साधु का रूप धारण करता जा के दरवाजे पर भिक्षा मांगने आए साधु ने जब रानी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी हे साधु महाराज मैं इस दान पुणे से तंग आ गई हूं आप कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे कि सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं|
इतना सुनकर बेस पर देव ने कहा यह देवी तुम बड़ी विचित्र हो संतान और धन से कोई दुखी नहीं होता अगर धन अधिक है तो इसे शुभ कार्य में लगाओ कुंवारी लड़कियों का विवाह कराओ विद्यालय बाग बगीचे में बावड़ी इत्यादि का निर्माण कराओ जिससे तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की यह स्थिति में वृद्धि हो परंतु यह सब बातें उसकी रानी को अच्छी नहीं लगी और उसने कहा कि मुझे इतनी धन की आवश्यकता नहीं है जिसे मैं उठा हूं|रखूं और उसे दान दे डालो और इसी में अपना सारा समय व्यर्थ में नष्ट करूं तब साधु ने कहा अगर तुम्हारी यही चाहे तो मैं जैसे तुम्हें बताता हू|वैसा करना गुरु गुरुवार के दिन घर को गोबर से लीपना अपने बालों को मिट्टी से धोना राजा से कहना वह हजामत करवाएं भोजन में मांस मदिरा का सेवन करना कपड़े धोबी की है यहां धुलने को देना इस प्रकार 7 गुरुवार करने से तुम्हारा समस्त धन चला जाएगा इतना कहकर साधु के रूप में आए गुरु बृहस्पति देव अंतर्ध्यान हो गए|
साधु ने जैसा कहा था वैसा पूरा करते हुए रानी को सिर्फ तीन गुरुवार ही दिखते थे रानी की समस्त धन संपत्ति नष्ट हो गई भोजन के लिए परिवार तरसने लगे तब एक दिन राजा ने रानी से बोला है रानी तुम यहां रहो मैं दूसरे देश को जाता हूं क्योंकि यहां पर मुझे सभी लोग जानते हैं इसलिए मैं कोई भी कार्य नहीं कर सकता ऐसा कह कर राजा दूसरे देश को चला गया और वहां जंगल में लकड़ी काट कर लाता था शहर में भेजता था और इस तरह करके वह अपना दुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा इधर रानी की स्थिति भी खराब होने लगी वह वासियों सहित काफी दुखी रहने लगे|
एक बार जब रानी और दासी को 7 दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा तो अपनी रानी ने अपनी दासी से कहा कि पास के ही नगर में मेरी बहन रहती वह बड़ी धनवान है तो उसके पास जाकर कुछ लें आओ ताकि थोड़ी बहुत गुजर बसर हो सके, इतना सुनने के बाद दासी रानी की बहन के पास पहुंची उस दिन गुरुवार था और रानी की बहन उस समय बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी दासी ने रानी की बहन को अपनी रानी का संदेश दिया लेकिन रानी की बड़ी बहन उसे कोई उत्तर नहीं दिया जब राशि को रानी की भान से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुखी हुई और उसे क्रोधी आया दासी ने वापस आकर रानी को सारी बातें बता दी यह सुनकर रानी अपने भाग्य को कोसने लगी उधर रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई थी मैंने उसे कुछ बोला नहीं बात नहीं किया इससे वह बहुत दुखी और परेशान हुई होगी यह सोचकर रानी की बहन ने उस कथा को संपूर्ण किया और संपूर्ण करके प्रसाद लिया उसके बाद वह अपनी बहन के पास आए और बहन से पूरी बात बताते हुए कही कि जब तक कथा होती है तब तक उठते नहीं बोलते नहीं और इस कारण मैं तुम्हारी दासी का कोई भी जवाब नहीं दे पाई इस पर रानी ने कहा कि मैं तुम्हें क्या बताऊं हमारे घर खाने पीने के लाले पड़े हुए हैं और इसलिए मैंने दासी को तुम्हारे पास भेजा था कि कुछ अन्य मिल जाता जिससे हमारा जीवन भी सुख पूर्वक बीतने लगता इस पर रानी की बहन ने कहा कि बहन परेशान ना हो गुरु बृहस्पति देव सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं lतुम घर में जाकर देखो शायद तुम्हारे घर में भी अनाज भरा हुआ मिले ऐसा ऐसा सुनने के बाद जब रानी ने घर में जाकर देखा तो अनाज से भरा हुआ घड़ा उन्हें मिलाl यह देखकर उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ l यह देखकर रानी बहुत प्रसन्न हुई यह सब देखकर रानी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसने अपने साथियों को कहा कि भोजन नहीं मिलने पर तो हम प्रतिदिन ही उपवास करते हैं परंतु हम भी गुरुवार का व्रत करेंगे और विधि विधान के साथ पूजन करेंगे इतना कहकर वह बहन से गुरुवार व्रत की विधि कथा और नियम पूछी उसकी रानी की बहन ने कहा गुरुवार व्रत में चने की दाल और मुनक्का केले की जड़ में अर्पित करें तथा दीपक जलाएं व्रत कथा सुने और पीला पूजन करें इससे बृहस्पति देव और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं व्रत और पूजा की विधि बता कर रानी की बहन घर को लौट आई|
7 दिन बाद जब गुरुवार का दिन आया तो रानी अपने साथियों सहित व्रत रखा और घुड़साला में जाकर चना गुड़ बिन लाई उसे केले की जड़ में तथा भगवान विष्णु की पूजा की और जब पीला भोजन नहीं मिला तो दोनों बहुत दुखी हुए क्योंकि उन्होंने व्रत रखा था इसलिए बृहस्पति देव उन पर बहुत प्रसन्न होते वह एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण करके 2 सालों में सुंदर पीला भोजन देख ले कर दासी को देकर वापस चले गए भोजन पर आकर दासी प्रसन्न हुए और रानी के पास जाकर भोजन ग्रहण किया इसके बाद रानी का विश्वास बढ़ गया और वह प्रत्येक गुरुवार को इसी प्रकार व्रत रखने लगी गुरुदेव की कृपा से उनका घर फिर से धन संपत्ति से भर गई लेकिन रानी फिर पहले की तरह आने से करने लगी तब दासी बोली रानी तुम पहले भी इस प्रकार वाले से करती थी तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था इस कारण सभी धन व्यर्थ में नष्ट हो गया अब गुरुदेव की कृपा से धन मिला है तो फिर आलस्य न करो और अपने कार्य करती रहो रानी को समझाते हुए दासी ने सभी बीते हुए पलों की याद दिलाई और उन्हें दानकुनी करने के लिए सारी बातें समझाई बताई इससे रानी और दासी दोनों मिलकर गुरुवार का व्रत रखने लगे दान पुण्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे|
उधर राजा राजा को 1 दिन सपना आया कि उसकी रानी परेशान और दुखी है उसे अपने नगर को लौट जाना चाहिए राजा ने स्वप्न देख कर उठा तो उसे अपने नगर की याद आई और वह नगर लौटने की तैयारी करने लगाl राजा जिस नगर में लकड़ियां काट कर बेचता था उस नगर के राजा ने उसे चोरी के आरोप में कारागार में बंद कर दिया उसी रात राजा को सपना आया कि इसे बाहर निकालो या निर्दोष है ऐसा सपने देखने के बाद उस नगर के राजा सुबह उठकर राजा को बंदीगृह से मुक्त कर दिए और राजा अपने नगर को लौट आया l राजा रानी प्रसन्नता से अपना जीवन बिताने लगे गुरुवार की या कथा जो पढ़े या सुने गुरु बृहस्पति देव की संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं|
धन्यवाद|
Videos Regarding This Topic:-
———-Thanks For Visiting Us———-
Our YouTube Channel:-
~ Sadhana Pandey