गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना और आंतरिक शक्ति जागरण का विशेष पर्व है।
इसे वर्ष में दो बार गुप्त रूप से मनाया जाता है- आषाढ़ और माघ माह में।
वैसे तो गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधनाओं का विशेष महत्व है, लेकिन सामान्य भक्ति करने वाले साधक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की ही पूजा करते हैं।
इस लेख में हम माँ शैलपुत्री की कथा, पूजा विधि, घटस्थापना की विधि, नियम और लाभ जानेंगे।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप और प्रतीक
माँ शैलपुत्री का वाहन नंदी बैल है।
इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है।
यह स्वरूप सौम्यता, साधना और आत्मविश्वास का प्रतीक है। मां शैलपुत्री मूलाधार चक्र से जुड़ी देवी हैं।
अगर साधक इस दिन मां की पूजा ध्यानपूर्वक करें तो उसे आध्यात्मिक शक्ति, स्थिरता और मानसिक शांति मिलती है।
माँ शैलपुत्री का रंग सफेद है, इसलिए सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।

माँ शैलपुत्री की पौराणिक कथा
नवदुर्गाओं में प्रथम माँ शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री कहा जाता है।
वे अपने पूर्व जन्म में सती थीं, जो दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी थीं।
एक बार उनके पिता ने यज्ञ किया, जिसमें शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था।
सती बिना बुलाए ही वहां चली गईं, लेकिन अपने पिता द्वारा शिव के अपमान से व्यथित होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में अपनी आहुति दे दी।
इसके बाद अगले जन्म में उन्होंने हिमालय के घर जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं।
यही रूप आगे चलकर पार्वती और फिर शिव की अर्धांगिनी बनीं।
माँ शैलपुत्री साधकों को साधना में स्थिरता, शक्ति और दृढ़ता प्रदान करती हैं।
गुप्त नवरात्रि में माँ शैलपुत्री की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शुभ समय में मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
पूजा स्थल को शुद्ध करने के बाद लकड़ी या मिट्टी के पाटे पर सफेद कपड़ा बिछाएं।
मां दुर्गा या शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अब उन्हें जल, अक्षत, चंदन, पुष्प, दूध, दही, शहद, घी आदि से स्नान कराएं। सफेद फूल चढ़ाएं।
दुर्गा सप्तशती या शैलपुत्री स्तुति का पाठ करें।
मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करके पूजा संपन्न करें।
घटस्थापना विधि
गुप्त नवरात्रि की पूजा घटस्थापना से शुरू होती है।
इसके लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके पूर्व दिशा की ओर लकड़ी का तख्ता रखें।
उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं, थोड़ी मिट्टी रखें और उस पर जौ या गेहूं बोएं।
अब एक साफ बर्तन में शुद्ध जल भरें, उसमें सप्तमृति, सुपारी, सिक्का, आम के पत्ते और नारियल रखें।
इसे ‘कलश’ कहते हैं। बोई गई मिट्टी के बीच में कलश स्थापित करें।
इसके बाद देवी का आह्वान करें और दीपक जलाकर घटस्थापना मंत्र बोलें:
ॐ अं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे।
घटस्थापना के बाद ही देवी पूजा और साधना की प्रक्रिया शुरू होती है।
गुप्त नवरात्रि के नियम
गुप्त नवरात्रि में कड़े नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
साधकों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, सात्विक आहार और अपनी दिनचर्या में संयम रखना चाहिए।
नींद, आलस्य, क्रोध और झूठ से दूर रहना आवश्यक है।
सुबह और शाम देवी की आरती करें। धूपबत्ती, दीप, घी और कपूर से पूजा करें।
इस दौरान नशा, मांसाहारी भोजन, तामसिक भोजन और कठोर भाषण वर्जित है।
तांत्रिक साधना करने वाले लोग इन दिनों में विशेष मंत्र, यंत्र और कवच की सिद्धि प्राप्त करते हैं।
हालांकि आम भक्त भी मां की पूजा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पूरी श्रद्धा और नियम से पूजा करनी चाहिए।
माँ शैलपुत्री पूजन के लाभ
माँ शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
जिन लोगों के जीवन में अस्थिरता, भय या मानसिक तनाव रहता है, उनके लिए यह पूजा बहुत फायदेमंद है।
घरेलू जीवन में प्रेम, संयम और पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।
छात्रों को एकाग्रता और सफलता मिलती है।
माता-पिता से संबंध मधुर होते हैं तथा कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बरकरार रहता है।
यह पूजा साधक को साधना पथ पर दृढ़ बनाती है।
तिथि एवं शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि 2025 शुक्रवार, 27 जून से प्रारंभ होगी। इस दिन प्रतिपदा तिथि रहेगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:
🔹 प्रातः 5:25 से 6:58 बजे तक।
🔹 अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:56 से दोपहर 12:52 बजे तक।
इन दोनों ही मुहूर्त में घटस्थापना करना अत्यंत शुभ एवं फलदायी माना जाता है।
पूजा शुभ मुहूर्त में ही प्रारंभ करना आवश्यक है ताकि साधना का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

साधकों के लिए विशेष टिप्स
यदि आप गुप्त नवरात्रि में पहली बार साधना कर रहे हैं, तो किसी गुरु या अनुभवी साधक की सलाह अवश्य लें।
सरल विधियों से शुरुआत करें और पूरे नियमों का पालन करें।
माँ शैलपुत्री की पूजा में किसी भी प्रकार का लोभ या अहंकार न रखें।
भक्तिपूर्वक साधना करें। संभव हो तो नौ दिन का व्रत भी रखें और देवी के नौ रूपों की पूजा करें।
दीप जलाना, पाठ करना और मन से ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होगा।
FAQs
क्या गुप्त नवरात्रि में माँ शैलपुत्री की पूजा सीधे की जाती है?
उत्तर: हां, गुप्त नवरात्रि में नवदुर्गाओं की पूजा उसी तरह की जाती है, लेकिन मंत्र, साधना और पूजा को अधिक गोपनीय रखा जाता है।
क्या घटस्थापना केवल तांत्रिक साधकों के लिए है?
उत्तर: नहीं, सामान्य भक्त भी शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करके माँ दुर्गा की पूजा कर सकते हैं। यह शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
क्या माँ शैलपुत्री की पूजा से मन में स्थिरता आती है?
उत्तर: हां, माँ शैलपुत्री मूलाधार चक्र से जुड़ी हैं। उनकी पूजा से जीवन में आत्मविश्वास, स्थिरता और संतुलन आता है।
क्या इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है?
उत्तर: हां, माँ शैलपुत्री को लाल और गुलाबी रंग पसंद है। इन रंगों के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है और मनचाहा फल देता है।