गुप्त नवरात्रि का हर दिन आध्यात्मिक शक्ति और साधना की दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है। चौथे दिन देवी दुर्गा के मां कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।
इस दिन मां को प्रसन्न करने से साधक के जीवन से नकारात्मकता, रोग, भय और दुर्भाग्य दूर होते हैं।
मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है, जिनकी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।
आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, मंत्र, कथा, तिथि और गुप्त नवरात्रि में इसकी विशेष भूमिका।
मां कुष्मांडा का स्वरूप और विशेषता
मां कुष्मांडा आठ भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में कमल, धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृतकलश, जपमाला और कमंडल सुशोभित हैं।
वे सिंह पर सवार रहती हैं और तेजोमय सूर्य लोक में निवास करती हैं।
उनका नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है:
कु = थोड़ा
ऊष्मा = ऊर्जा
और = ब्रह्मांड
अर्थ – वह देवी जिसने थोड़ी ऊर्जा से ब्रह्मांड का निर्माण किया।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधिपूर्वक पूजा करने से अद्भुत फल की प्राप्ति होती है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें
पूजा स्थल को साफ करके लाल या पीले कपड़े पर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
दीपक जलाएं और कलश स्थापित करें
मां को ताजे फूल, चावल, कुमकुम, रोली, फल, नारियल, सफेद मिठाई अर्पित करें
“ॐ देवी कुष्मांडायै नमः” मंत्र का जाप करें (108 बार जाप करना शुभ माना जाता है)
सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें
अंत में मां की आरती करें और प्रसाद बांटें
मां कुष्मांडा का मंत्र और ध्यान
🔸 बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नमः॥
इस मंत्र के जाप से साधक को आत्मविश्वास, तेज और निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
🔸 ध्यान मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
ध्यान करते समय मां के तेजस्वी स्वरूप की कल्पना करनी चाहिए, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागृति होती है।
मां कुष्मांडा की कथा
मां कुष्मांडा दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं।
कथा के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार और शून्यता ही छाई हुई थी, तब मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी।
मां का यह दिव्य स्वरूप सूर्य लोक में निवास करता है।
इनके तेज से सूर्य का प्रकाश और ऊर्जा उत्पन्न होती है।
इनकी कृपा से साधक को अपने जीवन में ज्ञान, स्वास्थ्य, तेज और संतुलन की प्राप्ति होती है।
माता का प्रिय भोग और प्रसाद
माँ कुष्मांडा को कुम्हड़ा और मिश्री बहुत प्रिय है। इसके अलावा:
नारियल
सफ़ेद बर्फी या दूध से बने व्यंजन
मौसमी फल
इन चीज़ों को चढ़ाने से माँ जल्दी प्रसन्न होती हैं और रोगों का नाश करती हैं।
गुप्त नवरात्रि में साधना का रहस्य
गुप्त नवरात्रि सामान्य नवरात्रि से अलग होती है। यह न केवल भक्तों के लिए बल्कि तांत्रिकों और साधकों के लिए भी विशेष साधना काल होता है।
इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा ऊर्जा के स्रोत को जागृत करने वाली मानी जाती है।
इस दिन साधक मां का ध्यान करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और विशेष यंत्रों पर हवन करते हैं, जिससे उन्हें तांत्रिक सिद्धि और आत्मविश्वास मिलता है।
विशेष उपाय
हवन में “ॐ कुष्माण्डायै नमः” मंत्र का जाप करें
कपूर और लौंग मिलाकर अग्निहोत्र करें
रविवार को सूर्य देव को जल चढ़ाएं और माता से अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें
दूध और दही का दान करें
पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के लिए माता को सफेद मिठाई का भोग लगाने से विशेष लाभ मिलता है।

माता की कृपा से मिलने वाले लाभ
शरीर और मन की दुर्बलता दूर होती है
तीक्ष्णता, आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता बढ़ती है
भय, रोग, अवसाद और आलस्य से मुक्ति मिलती है
साधना की शक्ति बढ़ती है
कार्य में सफलता मिलती है
गुप्त नवरात्रि के दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक अनंत शक्तियों का स्रोत बन सकता है।
तिथि और मुहूर्त
दिनांक: 29 जून 2025, रविवार
अभिजीत मुहूर्त:
सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 बजे तक
यह समय साधना, पूजा और मंत्र जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
इस समय मां कुष्मांडा की पूजा अवश्य करें।
FAQs
प्रश्न 1. मां कुष्मांडा की पूजा करने से कौन सी मानसिक स्थिति विशेष रूप से लाभकारी होती है?
उत्तर: यदि कोई व्यक्ति अवसाद, अत्यधिक नकारात्मक सोच या आत्मविश्वास की कमी से ग्रस्त है, तो मां कुष्मांडा की पूजा बहुत लाभकारी होती है।
प्रश्न 2. क्या सूर्य पूजा कुष्मांडा साधना से जुड़ी है?
उत्तर: हां, मां सूर्य लोक में निवास करती हैं, इसलिए सूर्य देव को अर्घ्य देना और उनकी ऊर्जा का आह्वान करना इस साधना का एक हिस्सा हो सकता है।
प्रश्न 3. क्या गुप्त नवरात्रि में कुष्मांडा साधना से पहले दीक्षा आवश्यक है?
उत्तर: यदि साधक तांत्रिक साधना कर रहा है तो गुरु दीक्षा आवश्यक है, सामान्य भक्ति के लिए केवल श्रद्धा और नियम ही पर्याप्त हैं।
प्रश्न 4. माँ कुष्मांडा साधना विद्यार्थियों को किस प्रकार लाभ पहुँचाती है?
उत्तर: यह साधना बुद्धि, स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक हो सकती है तथा परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता दिलाने में सहायक हो सकती है।