गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की गुप्त साधना की जाती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तप और संयम की देवी हैं।
यह साधना विशेष रूप से तांत्रिकों, सिद्धों और गंभीर साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इनकी कृपा से साधक को अदम्य आत्मविश्वास, संयम और सिद्धि प्राप्त होती है।
इस लेख में जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, कथा, व्रत नियम, तिथि और अन्य संपूर्ण जानकारी।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व
मां ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती का वह रूप हैं जिन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।
ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तपस्या करने के कारण इनका नाम “ब्रह्मचारिणी” पड़ा।
इनके दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल है।
इनका सौम्य रूप साधकों को संयम और शक्ति का बोध कराता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए अपने पिछले जन्म में कठोर तप किया था।
वे वर्षों तक फल-फूल खाकर, फिर शाक-सब्जियों और बिल्वपत्रों पर रहीं।
अंत में उन्होंने अन्न-जल तक त्याग दिया और निराहार रहकर कठोर तप किया।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
देवी के इस रूप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
गुप्त नवरात्रि में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है।
यह साधना साधक को आत्मविश्वास, संयम और ब्रह्म ज्ञान की ओर ले जाती है।
यदि साधना में शुद्ध भाव से माँ की पूजा की जाए तो यह साधना वाणी सिद्धि, ध्यान सिद्धि और मानसिक शांति भी प्रदान करती है।
माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और देवी की मूर्ति स्थापित करें।
- कलश स्थापित करें और दीप जलाएं।
- देवी को चंदन, चावल, फूल, सफेद वस्त्र और धूपबत्ती अर्पित करें।
- विशेष प्रसाद के रूप में दही, मिश्री और सफेद मिठाई चढ़ाएं।
- जप माला से देवी के बीज मंत्र या स्तुति मंत्र का जाप करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
ध्यान मंत्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तोत्र:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
व्रत के नियम
गुप्त नवरात्रि के व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है।
व्रत करने वाले को पूरे दिन संयमित आचरण, सात्विक भोजन और शुद्ध विचार रखने चाहिए।
लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि तामसिक चीजों का पूरी तरह से त्याग कर देना चाहिए।
आप दिन में एक बार फल या पानी पी सकते हैं, लेकिन कुछ भक्त निर्जल व्रत भी रखते हैं।
झूठ, क्रोध, कटु वचन और आलस्य से दूर रहें।
मां की पूजा के दौरान मंत्र जाप या ध्यान करें और शाम को दुर्गा चालीसा, ब्रह्मचारिणी स्तुति या आरती करें।
व्रत का उद्देश्य मन, वाणी और कर्म की शुद्धता है।
मां को पसंद आने वाले उपाए और चीजें
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद चीजें बहुत पसंद हैं।
उन्हें दही, मिश्री, सफेद रसगुल्ला, खीर और दूध से बनी मिठाइयां विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं।
सफेद कमल, चमेली, चमेली और गुलाब के फूल चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं।
मां को सफेद वस्त्र, चंदन, अक्षत और कमंडलु जैसी चीजें अर्पित करें।
पूजा में चांदी का प्रयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।
शांत और सात्विक मन से की गई पूजा मां को प्रिय है।
विशेष साधक सफेद आसन पर बैठकर जप और ध्यान करते हैं ताकि मां का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त हो।

तिथि और अभिजीत मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन 27 जून 2025 को पड़ रहा है।
इस दिन का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक रहेगा।
इस शुभ समय में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना अत्यंत फलदायी होगा।
FAQs
प्रश्न 1: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा किस उद्देश्य से की जाती है?
उत्तर: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आत्मविश्वास, संयम, तप और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति के लिए की जाती है। इससे भक्तों को मानसिक शांति और ध्यान सिद्धि मिलती है।
प्रश्न 2: क्या आम लोग भी गुप्त नवरात्रि में पूजा कर सकते हैं?
उत्तर: हां, आम भक्त भी गुप्त नवरात्रि में सात्विक भाव से मां की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, तांत्रिक साधनाएं केवल अनुभवी भक्तों को ही करनी चाहिए।
प्रश्न 3: मां ब्रह्मचारिणी को क्या चढ़ाना शुभ माना जाता है?
उत्तर: मां को दही, मिश्री, सफेद फूल, चंदन, बिल्व पत्र और सफेद वस्त्र चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न 4: क्या व्रत के दौरान पूरे दिन कुछ भी खाया जा सकता है?
उत्तर: व्रत रखने वाला व्यक्ति या तो फल खा सकता है या फिर निर्जल व्रत रख सकता है। संयम और पवित्रता व्रत का मुख्य उद्देश्य है।
प्रश्न 5: ब्रह्मचारिणी मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
उत्तर: सुबह स्नान करके शांत वातावरण में देवी के सामने आसन पर बैठकर मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा है।
नवरात्र में अवश्य पढ़े: अर्गला कीलक व देवी कवच, दुर्गा सप्तश्ती अध्याय 1, दुर्गा सप्तश्ती अध्याय 2, दुर्गा सप्तश्ती अध्याय 3