गुप्त नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा का विशेष पर्व है, जो साल में दो बार माघ और आषाढ़ माह में मनाया जाता है।
यह नवरात्रि खास तौर पर तंत्र साधना, सिद्धि प्राप्ति और गुप्त पूजा विधियों के लिए जानी जाती है।
जहां सामान्य नवरात्रि में सार्वजनिक पूजा और उत्सव होते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में पूजा विधियों को अधिक गोपनीय रखा जाता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि गुप्त नवरात्रि का व्रत कैसे रखें, पूजा विधि क्या है, व्रत के नियम क्या हैं और व्रत के दौरान क्या खाया जा सकता है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धियों की प्राप्ति और दुर्गा सप्तशती की गुप्त साधनाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
खास तौर पर साधक और तांत्रिक इस समय को बहुत फलदायी मानते हैं।
यह नवरात्रि मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।
व्रत की तैयारी और संकल्प विधि
गुप्त नवरात्रि व्रत की शुरुआत संकल्प से होती है। संकल्प लेने के लिए दाहिने हाथ में तांबे या पीतल के लोटे में जल लेकर मां दुर्गा का ध्यान करे।
इसके बाद कलश स्थापित करें और नवदुर्गा का आह्वान करें।
कलश स्थापना और दुर्गा पूजन विधि
साफ जगह पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर मिट्टी में जौ बोएं और घट स्थापित करें।
कलश पर स्वास्तिक बनाएं, आम के पत्ते रखें और नारियल रखें।
दुर्गा मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फूल-माला चढ़ाएं।
दुर्गा सप्तशती, अर्गला स्तोत्र, कवच आदि का पाठ करें।
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व्रत कैसे रखें?
गुप्त नवरात्रि का व्रत दो तरह से रखा जा सकता है:
निर्जल उपवास – इसमें पूरे दिन पानी भी नहीं पिया जाता है। यह कठिन व्रत है और विशेष साधकों के लिए उपयुक्त है।
फलाहार उपवास – इसमें एक बार फल या व्रत से संबंधित भोजन खाया जा सकता है।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
पूरे दिन मां दुर्गा का नाम स्मरण करें। संयमित रहें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
किसी को भी कटु वचन न बोलें और मन को शांत रखें।
रात्रि जागरण करके दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, खास तौर पर अष्टमी और नवमी की रात्रि में।
व्रत के दौरान क्या खाएं?
व्रत के दौरान केवल सात्विक और शुद्ध भोजन ही करें। नीचे कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जिन्हें व्रत के दौरान खाया जा सकता है:
फलों के विकल्प:
केला, सेब, अंगूर, पपीता आदि जैसे फल।
नारियल पानी, नींबू का शर्बत
दूध, छाछ, दही, पनीर
मखाना, सिंघाड़ा, कुट्टू या राजगिरा का आटा
साबूदाना खिचड़ी या साबूदाना खीर
आलू या शकरकंद से बने व्रत के व्यंजन
केवल सेंधा नमक का उपयोग करें, सामान्य नमक वर्जित है।
वर्जित पदार्थ:
अनाज, चावल, गेहूं, दालें
प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा
शराब, सिगरेट, तंबाकू
तला हुआ या बासी खाना
तिथि
2025 में गुप्त नवरात्रि आषाढ़ माह में 26 जून को शुरू होगी और 2 जुलाई को समाप्त होगी।
इस दौरान नौ दिनों तक गुप्त रूप से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
प्रतिदिन देवी के किसी विशेष स्वरूप की साधना करना विशेष फलदायी माना जाता है।
व्रत खोलने की विधि
नौवें दिन हवन करने या कन्या पूजन के बाद व्रत खोला जाता है।
सबसे पहले मां दुर्गा को भोग लगाएं
नौ कन्याओं को आमंत्रित करें और उन्हें पूड़ी, चना और हलवा खिलाएं
उन्हें यथाशक्ति वस्त्र, दक्षिणा और उपहार दें
अंत में स्वयं सात्विक भोजन करें
विशेष उपाय और मंत्र
गुप्त नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले विशेष उपाय बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं।
कुछ कारगर उपाय:
गरीबी दूर करने के लिए: देवी लक्ष्मी की पूजा करें और ‘श्री सूक्त‘ का पाठ करें
शत्रुओं का नाश करने के लिए: बगलामुखी मंत्र का 108 बार जाप करें
मानसिक शांति के लिए: गायत्री मंत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
सफलता के लिए: ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे’ का जाप करें

गुप्त नवरात्रि के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
इस साधना को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है – इसका दिखावा या प्रचार नहीं किया जाता है।
इस व्रत के दौरान मानसिक शुद्धता बहुत जरूरी है।
घर का माहौल सात्विक और शांतिपूर्ण रखें।
संभव हो तो नौ दिनों तक लगातार दीपक जलाते रहें।
निष्कर्ष
गुप्त नवरात्रि आध्यात्मिक साधना का पर्व है, जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है बल्कि जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान भी कर सकता है।
अगर नियमानुसार व्रत, पूजन और उपवास किया जाए तो यह नवरात्रि साधकों को दिव्य अनुभूतियों और इच्छित सिद्धियों की ओर ले जाती है।
इस बार गुप्त नवरात्रि में संकल्प लें कि आप शुद्ध मन, वाणी और आचरण से मां दुर्गा की आराधना करेंगे और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।